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कोरोना-भूख...दुधमुंहे बच्चे को ले 13 किमी चली

मालदा की सबसे बुरी मार गरीबों पर पड़ी है। जहां एक ओर लॉकडाउन ने उनकी जिंदगी की रफ्तार को रोक दिया, वहीं दूसरी तरफ रोजी-रोजगार न मिलने से खाने के लाले हो गए हैं। हर दिन ऐसी तस्वीरें आती हैं जहां भूखे-मजबूर मजदूर खाने और आसरे की तलाश में मीलों दूर चले जा रहे हैं। ऐसी ही एक दास्तान मालदा के हजोल ब्लॉक स्थित बनियापुकुर गांव की रहने वाली आदिवासी महिला मार्ग्रेट हंसदा की है। मार्ग्रेट अपने 6 महीने के बच्चे को गोद में लेकर 13 किमी दूर ब्लॉक ऑफिस राशन की आस में आई हैं। उनके पति चंदन बेंगलुरु में मजदूरी करते थे और लॉकडाउन के चलते वहीं फंसे हैं। द टेलिग्राफ से बातचीत में मार्ग्रेट ने कहा, 'मुझे अपनी चिंता नहीं है। मुझे दिन में दो टाइम अपने बच्चे का पेट भरने की चिंता रहती है। मेरा सबसे छोटा बच्चा 6 महीने का है। इसके अलावा साढ़े तीन साल की बच्ची और आठ साल का बेटा है।' धान की भूसी को छानकर निकले टूटे चावल से भर रहे पेट लॉकडाउन शुरू होने के बाद से मार्ग्रेट और उनके बच्चे राइस मिल के बाहर पड़ी धान की भूसी को छानकर उससे निकलने वाले टूटे चावल खाकर जिंदा हैं। मार्ग्रेट ने बताया कि उनके पास राशन कार्ड नहीं है। उन्होंने बताया कि बड़े-बड़े बाबू उनकी मदद करेंगे। अधिकारी ने पूछा हालचाल, राशन किट दी मार्ग्रेट को गजोल ब्लॉक ऑफिस आता देख पुलिसवालों ने उन्हें रोका और आने की वजह पूछी। कुछ बातचीत के बाद वे लोग मार्ग्रेट को प्रभारी अधिकारी हरधन देव के पास ले गए, जिन्होंने महिला को राशन किट मुहैया कराई।


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कोरोना-भूख...दुधमुंहे बच्चे को ले 13 किमी चली कोरोना-भूख...दुधमुंहे बच्चे को ले 13 किमी चली Reviewed by Fast True News on May 08, 2020 Rating: 5

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