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ब्लॉगः हर मर्ज का इलाज तो नहीं है निजीकरण

वित्त वर्ष 2022 में भारत का राजकोषीय घाटा केंद्रीय स्तर पर सकल घरेलू उत्पाद का 6.8 फीसद रहने की उम्मीद है। आम समझ के लिए यह बोझ 15.06 लाख करोड़ रुपए का है। राज्यों के कर्जों को भी इसमें शामिल कर लें तो यह आंकड़ा जीडीपी के 12.7 फीसद तक पहुंच जाता है। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2022 में मनरेगा के लिए बजटीय परिव्यय 73,000 करोड़ था, जबकि रक्षा मंत्रालय को इसी अवधि के लिए 4.78 लाख करोड़ रुपए आबंटित किए गए थे। अंतर का यह पाट हर साल चौड़ा और गहरा होता जा रहा है। दिलचस्प है कि निजीकरण को सर्वसम्मत रास्ता या रामबाण मान लिया गया है। नीति निर्माता अक्सर निजी क्षेत्र की क्षमता और तेजी से आगे बढ़ने की उसकी पेशकश का हवाला देते हैं। पर यह हमेशा सच नहीं साबित हो सकता।

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ब्लॉगः हर मर्ज का इलाज तो नहीं है निजीकरण ब्लॉगः हर मर्ज का इलाज तो नहीं है निजीकरण Reviewed by Fast True News on February 06, 2022 Rating: 5

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