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उत्‍तराखंड में घुसाने की साजिश का आरोप... कौन हैं रोहिंग्‍या मुसलमान, क्‍या है इनसे खतरा?

नई दिल्‍ली: रोहिंग्‍या मुसलमान (Rohingya Muslims) फिर चर्चा के केंद्र में हैं। गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah on Rohingya Muslims) ने इनका मसला उठाया है। शनिवार को उत्‍तराखंड में एक चुनावी सभा में शाह (Amit Shah in Uttarakhand) ने इन्‍हें लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्‍होंने आरोप लगाया कि पार्टी उत्‍तराखंड के पहाड़ों में रोहिंग्‍या मुसलमानों (Rohingya in Uttarakhand) को घुसाने की साजिश रच रही है। ऐसा मुस्लिम तुष्टीकरण (Muslim Appeasement) के लिए किया जा रहा है। रोहिंग्‍या मुसलमानों का मसला नया नहीं है। यह पिछले काफी समय से उठता रहा है। बीजेपी का इन्‍हें लेकर रवैया सख्‍त है। वो खुलकर इन्‍हें देश से बाहर करने की बात करती है। आखिर कौन हैं रोहिंग्‍या मुसलमान, ये कहां से आए हैं, क्‍या वाकई देश को इनसे खतरा है? आइए, यहां इन सभी सवालों का जवाब जानते हैं। कौन हैं रोहिंग्‍या मुसलमान? रोहिंग्या म्‍यांमार (बर्मा) के मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं। ये बांग्लादेश की सीमा से लगे पश्चिमी म्‍यांमार में भौगोलिक रूप से अलग-थलग पड़े रखाइन क्षेत्र के उत्तरी हिस्से में रहते हैं। रोहिंग्या म्यांमार के बहुसंख्‍यक बौद्ध समुदाय से जातीय, भाषाई और धार्मिक रूप से अलग हैं। रखाइन म्यांमार का सबसे कम विकसित क्षेत्र है। इसमें 78 फीसदी से ज्‍यादा परिवार गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं। लगभग 11 लाख रोहिंग्या म्यांमार के रखाइन क्षेत्र में रहते हैं। रोहिंग्या को मान्यता क्यों नहीं देता म्यांमार? इंटरनेशनल ऑब्‍जरवेटरी ऑफ द स्टेटलेस के मुताबिक, 1824-26 में अंग्रेजों ने रखाइन क्षेत्र पर कब्जा किया। इसके बाद उसने भारत से इनके प्रवास को बढ़ावा दिया। म्‍यांमार में बाद में बनी सरकारों ने यह रुख कायम रखा कि रोहिंग्या भारत और बांग्लादेश के अवैध प्रवासी हैं। वह इन्‍हें देश के 135 जातीय समूहों में से एक के रूप में मान्यता देने से इनकार करता रहा है। काउंसिल फॉर फॉरेन रिलेशंस की रिपोर्ट के अनुसार, म्यांमार सरकार के रोहिंग्या मुसलमानों को नागरिकता का दर्जा न देने से ये एक तरह से स्टेटलेस हैं। दूसरे शब्‍दों में कह सकते हैं कि इनका कोई मुल्‍क नहीं है। 1982 में जुंटा के सैन्य शासन में रोहिंग्याओं से प्रभावी तौर पर म्‍यांमार की राष्‍ट्रीयता और बुनियादी अधिकार खत्‍म कर दिए गए। रोहिंग्याओं के साथ म्‍यांमार में रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) भी स्टेटलेस हो गए। हालांकि, वो पीढ़ियों से देश में रह रहे हैं। भारत सरकार के अनुमान के मुताबिक, म्‍यांमार में करीब 25 लाख पीआईओ हो सकते हैं। 1990 में रोहिंग्‍या मुसलमानों को आइडेंटिटी कार्ड जारी किए गए। इसे व्‍हाइट कार्ड भी कहा जाता है। यह उन्‍हें टेम्‍परेरी सिटीजन की कैटेगरी में रखता है। क्‍यों म्‍यांमार छोड़ भागने लगे रोहिंग्‍या? 25 अगस्‍त को रोहिंग्‍या चरमपंथियों ने म्‍यांमार के उत्‍तर रखाइन में पुलिस पोस्‍ट पर हमला कर दिया था। इसमें 12 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी। इस हमले के बाद सेना ने इनके खिलाफ बेहद क्रूर अभियान चलाया था। तब से म्‍यांमार से रोहिंग्‍या मुसलमानों का पलायन जारी है। कहा जाता है कि इन्‍हें खदेड़ने की मंशा से उनके गांव जला दिए गए। हमले हुए। इसके बाद इन्‍होंने बांग्‍लादेश का रुख किया। भारत का क्‍या रहा है रुख? भारत सरकार ने कुछ रोहिंग्‍या को लॉन्‍ग टर्म वीजा दिया है। भारत का इनके मसले पर साफ रुख है। वह इसे म्‍यांमार का आंतरिक मसला करार देता है। इनमें से बड़ी संख्‍या में बांग्‍लादेश के रास्‍ते भारत में गैर-कानूनी तरीके से भारत आए हैं। सरकार किसी भी तरह के गैर-कानूनी प्रवास के पक्ष में नहीं है। बीजेपी क्‍यों करती है विरोध? बीजेपी और हिंदू संगठन कहते रहे हैं कि रोहिंग्‍या और बांग्‍लादेशी मुसलमानों को पूरी योजना के साथ उत्‍तराखंड में बसाया जा रहा है। बद्रीनाथ, हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे क्षेत्रों में इनकी संख्‍या तेजी से बढ़ी है। हिंदू संगठनों को शक है कि इसके पीछे बड़ी साजिश है। उन्‍हें इसके पीछे भूमि जिहाद का भी डर है। वो आरोप लगाते हैं कि राज्‍य के पहाड़ी इलाकों में हिंदू अपने घरों को छोड़ रहे हैं। वहीं, बाहर से आए रोहिंग्‍या और बांग्‍लादेशी मुसलमान हिंदुओं की जमीनें खरीद रहे हैं। इस तरह उन्‍होंने स्‍थायी तौर पर यहां रहने का रास्‍ता खोज लिया है।


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उत्‍तराखंड में घुसाने की साजिश का आरोप... कौन हैं रोहिंग्‍या मुसलमान, क्‍या है इनसे खतरा? उत्‍तराखंड में घुसाने की साजिश का आरोप... कौन हैं रोहिंग्‍या मुसलमान, क्‍या है इनसे खतरा? Reviewed by Fast True News on February 13, 2022 Rating: 5

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