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फेलुदा टेस्‍ट क्‍या है? मिनटों में बताता है कोरोना है या नहीं, जानें RT-PCR से कितना बेहतर

कोविड-19 की दूसरी लहर में जिस तरह रोज 3 लाख से ज्‍यादा केसेज आ रहे हैं, उससे टेस्टिंग को और बढ़ाने की जरूरत साफ महसूस की जा रही है। दिल्‍ली हाई कोर्ट ने पिछले दिनों इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) से इस बारे में कई सवाल किए थे। अदालत का कहना था कि ICMR से अप्रूव्‍ड सभी टेस्‍ट आम जनता को उपलब्‍ध कराए जाने चाहिए। खासतौर से वे टेस्‍ट जो सस्‍ते हैं और जल्‍द नतीजे देते हैं।अभी RT-PCR को कोविड-19 टेस्टिंग में 'गोल्‍ड स्‍टैंडर्ड' माना जाता है जबकि FELUDA और RAY टेस्‍ट इसके मुकाबले सस्‍ते हैं और नतीजे भी जल्‍दी देते हैं। आइए फेलुदा टेस्‍ट के बारे में जानते हैं।

Feluda test for Coronavirus: हाल ही में दिल्‍ली हाई कोर्ट ने ICMR से पूछा था कि फेलुदा और रे (RAY) जैसे टेस्‍ट RT-PCR जितने मशहूर क्‍यों नहीं हैं। अदालत ने कहा था कि सस्‍ते और सटीक नतीजे देने वाले टेस्‍ट्स को आम जनता के लिए उपलब्‍ध कराया जाना चाहिए।


Feluda test for Covid-19: फेलुदा टेस्‍ट क्‍या है? मिनटों में बताता है कोरोना है या नहीं, जानें RT-PCR से कितना बेहतर

कोविड-19 की दूसरी लहर में जिस तरह रोज 3 लाख से ज्‍यादा केसेज आ रहे हैं, उससे टेस्टिंग को और बढ़ाने की जरूरत साफ महसूस की जा रही है। दिल्‍ली हाई कोर्ट ने पिछले दिनों इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) से इस बारे में कई सवाल किए थे। अदालत का कहना था कि ICMR से अप्रूव्‍ड सभी टेस्‍ट आम जनता को उपलब्‍ध कराए जाने चाहिए। खासतौर से वे टेस्‍ट जो सस्‍ते हैं और जल्‍द नतीजे देते हैं।

अभी RT-PCR को कोविड-19 टेस्टिंग में 'गोल्‍ड स्‍टैंडर्ड' माना जाता है जबकि FELUDA और RAY टेस्‍ट इसके मुकाबले सस्‍ते हैं और नतीजे भी जल्‍दी देते हैं। आइए फेलुदा टेस्‍ट के बारे में जानते हैं।



​क्‍या है फेलुदा टेस्‍ट? सिर्फ 45 मिनट में रिजल्‍ट
​क्‍या है फेलुदा टेस्‍ट? सिर्फ 45 मिनट में रिजल्‍ट

FELUDA असल में FNCAS9 Editor Linked Uniform Detection Assay का संक्षिप्‍त रूप है। इसमें CRISPR जीन-एडिटिंग तकनीक का उपयोग किया जाता है। काउंसिल ऑफ साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) और टाटा ग्रुप के युवा वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस टेस्‍ट को विकसित किया है।

CSIR के अनुसार, इसकी एक्‍युरेसी RT-PCR टेस्‍ट के बराबर है। प्‍लस पॉइंट ये है कि इस टेस्‍ट का नतीजा सिर्फ 45 मिनट में आ जाता है जबकि RT-PCR टेस्‍ट की रिपोर्ट आने में घंटों लगते हैं।

यह एक तरह से पेपर स्ट्रिप के जरिए किए जाने वाले प्रेग्‍नेंसी टेस्‍ट जैसा है। इसमें एक पेपर स्ट्रिप होती है जो सैम्‍पल में वायरस की मौजूदगी पर अपना रंग बदलती है। किट में दो लाइनें होती हैं एक कंट्रोल के लिए और दूसरी नतीजे बताने के लिए। RT-PCR के मुकाबले इसमें कोई भारी-भरकम उपकरण की जरूरत नहीं पड़ती।



​CRISPR टेक्‍नॉलजी क्‍या है?
​CRISPR टेक्‍नॉलजी क्‍या है?

CRISPR यानी Clustered Regularly Interspaced Short Palindromic Repeats एक जीन एडिटिंग तकनीक है। इसका इस्‍तेमाल जेनेटिक गड़बड़‍ियों का पता लगाने और बीमारियों के इलाज और उन्‍हें रोकने में होता है। CRISPR तकनीक के जरिए किसी जीन के भीतर डीएनए के खास सीक्‍वेंसेज को पहचाना जा सकता है।

CRISPR तकनीक के जरिए रिसर्चर्स आसानी से डीएनए सीक्‍वेंसेज में फेरबदल कर जीन फंक्‍शन में बदलाव ला सकते हैं। इस तकनीक को भविष्‍य में अन्‍य पैथोजंस का पता लगाने के लिए भी तैयार किया जा सकता है। कोविड-19 का पता लगाने के लिए CRISPR आधारित टेस्‍ट को सबसे पहले अमेरिका में अप्रूवल दिया गया था।



फेलुदा टेस्‍ट कैसे होता है?
फेलुदा टेस्‍ट कैसे होता है?

नाक से स्‍वाब लेते हैं।

RNA निकालते हैं।

सिंगल स्‍टेप RT-PCR करते हैं।

मृत FnCas9 प्रोटीन, गाइड RNA और एम्प्लिफाइड वायरल DNA को इनक्‍यूबेट कर फेलुदा मिक्‍स तैयार किया जाता है।

डिप स्टिक को फेलुदा मिक्‍स में डुबो देते हैं।

स्ट्रिप पर मौजूद गोल्‍ड नैनोपार्टिकल फेलुदा कॉम्‍पलेक्‍स से चिपक जाता है।

टेस्‍ट लाइन पर स्‍ट्रेप्‍टावाइडिन का नाम एक प्रोटीन इस गोल्‍ड नैनोपार्टिकल को पकड़ लेता है।

बाकी गोल्‍ड पार्टिकल्‍स कंट्रोल लाइन की पकड़ में आ जाते हैं।

टेस्‍ट लाइन या कंट्रोल लाइन का रंग बदलता है। एक लाइन का मतलब निगेटिव और दो लाइन का मतलब पॉजिटिव रिजल्‍ट।

पूरे टेस्‍ट में एक से दो मिनट का वक्‍त लगता है।



फेलुदा टेस्‍ट RT-PCR से बेहतर है?
फेलुदा टेस्‍ट RT-PCR से बेहतर है?

RT-PCR के उपकरण और रीजेंट्स महंगे होते हैं और उसके लिए तकनीकी दक्षता की जरूरत पड़ती है। CSIR-IGIB के सीनियर साइंटिस्‍ट डॉ देबज्‍योति चक्रवर्ती के अनुसार, फेलुदा टेस्‍ट के लिए तकनीकी दक्षता की जरूरत नहीं है। यह वक्‍त, समय और पैसा बचाता है।

फेलुदा टेस्‍ट की कीमत करीब 500 रुपये है जबकि RT-PCR टेस्‍ट के दाम अलग-अलग राज्‍यों में अलग हैं। हालांकि दिल्‍ली हाई कोर्ट में ICMR ने कहा कि फेलुदा टेस्‍ट इस वजह से मशहूर नहीं हो पाया क्‍योंकि इसकी किट ज्‍यादा महंगी है।

PTI की रिपोर्ट के अनुसार, ICMR ने कहा कि फेलुदा की टेस्‍ट किट 300 रुपये की आती है जबकि RT-PCR की 100 रुपये की। मगर फेलुदा टेस्‍ट किट को आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है जबकि RT-PCR के लिए लैब चाहिए।



टेस्‍ट का नाम 'फेलुदा' क्यों है?
टेस्‍ट का नाम 'फेलुदा' क्यों है?

FELUDA का फुल फॉर्म तो हम आपको बता ही चुके हैं। CSIR के डॉ शंकर मांडे के अनुसार, फेलुदा मशहूर फिल्‍म निर्देशक सत्‍यजीत रे की एक फिल्‍म का किरदार है। डॉ मांडे के मुातबिक, 'हमें एक टेस्‍ट के बारे में पता चला जिसका नाम शरलॉक था जो कि एक काल्‍पनिक पात्र है तो हमनें सोचा कि फेलुदा उसकी बराबरी करेगा। फेलुदा एक भारतीय नाम है जिसे सत्‍यजीत रे ने भी इस्‍तेमाल किया है। इसलिए हमने इस टेस्‍ट स्ट्रिप का नाम फेलुदा रख दिया।'





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फेलुदा टेस्‍ट क्‍या है? मिनटों में बताता है कोरोना है या नहीं, जानें RT-PCR से कितना बेहतर फेलुदा टेस्‍ट क्‍या है? मिनटों में बताता है कोरोना है या नहीं, जानें RT-PCR से कितना बेहतर Reviewed by Fast True News on May 15, 2021 Rating: 5

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