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MP टू राजस्‍थान: कोरोना बना बड़ा 'बहाना'

नई दिल्‍ली राजस्‍थान में जो कहानी चल रही है, हम कमोबेश वैसा ही मध्‍य प्रदेश में चार महीने पहले देख चुके हैं। जब सचिन पायलट ने मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत की तो उसे मध्‍य प्रदेश में ज्योतिरादित्‍य सिंधिया की कमलनाथ के खिलाफ बगावत की तरह देखा गया। मगर पायलट की वापसी के रास्‍ते बंद हो रहे हैं और राजस्‍थान की लड़ाई अब विधानसभा सत्र बुलाने पर फोकस हो गई है। गहलोत सत्र चाहते हैं ताकि सदन में शक्ति प्रदर्शन कर सकें मगर राज्‍यपाल कलराज मिश्रा ने मंजूरी नहीं दी है। मध्‍य प्रदेश में ठीक इसका उल्‍टा हुआ था। तब गवर्नर रहे दिवंगत लालजी टंडन के बार-बार कहने पर भी कमलनाथ विधानसभा सत्र बुलाने में टालमटोल करते रहे। बुलाया भी तो कोरोना का डर बताकर फौरन स्‍थगित करा दिया। राजस्‍थान में भी सत्र न बुलाने के पीछे गवर्नर ने कोरोना को एक कारण बताया है। जरूरत के हिसाब से बहाना बना कोरोनागहलोत की मांग है कि जल्‍द से जल्द विधानसभा सत्र बुलाया जाए। लेकिन न तो बीजेपी ने अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने की मांग की है, न ही गवर्नर ने इसपर रजामंदी दी है। दिलचस्‍प बात ये है कि जहां मध्‍य प्रदेश में फ्लोर टेस्‍ट से बचने के लिए कांग्रेस सरकार ने कोरोना वायरस को खतरा बताकर विधानसभा सत्र खत्‍म कर दिया था। वहीं राजस्‍थान में गवर्नर फ्लोर टेस्‍ट टालने के लिए कोरोना का खतरा बताकर ही विधानसभा सत्र बुलाना नहीं चाहते। राज्‍यपाल ने कैबिनेट से 6 बिंदुओं पर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे थे दोनों मामलेएमपी में सिंधिया की बगावत के बाद कमलनाथ सरकार अल्‍पमत में आ गई थी, जबकि राजस्‍थान में उसके पास अब भी ठीक-ठाक विधायक हैं। दोनों ही राज्‍यों में जब राजनीतिक संकट आया, कोई न कोई पार्टी सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। मध्‍य प्रदेश में फ्लोर टेस्‍ट की डिमांड लेकर जहां बीजेपी ने टॉप कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, वहीं कांग्रेस ने राजस्‍थान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है। SC ने एमपी में तीन दिन के भीतर फ्लोर टेस्‍ट के आदेश दिए थे। वहीं राजस्‍थान में अदालत ने बागी विधायकों को स्‍पीकर के डिसक्‍वालिफ‍िकेशन नोटिस का जवाब देने का वक्‍त दिया है। एमपी: विधानसभा सत्र पर हफ्ते भर में हो गया था खेलमध्‍य प्रदेश में संकट के वक्‍त विधानसभा सत्र बुलाने के निर्देश गवर्नर की तरफ से 14 मार्च को आए थे। गवर्नर ने सीएम को चिट्ठी में कहा था कि बजट सत्र 16 मार्च से शुरू होगा जिसमें सिर्फ विश्‍वास प्रस्‍ताव पर मतदान होगा। 16 तारीख को सदन बैठा मगर राज्‍यपाल के अभिभाषण के बाद स्‍पीकर (कांग्रेस के) ने कोरोना वायरस के मद्देनजर सदन को 26 मार्च तक के लिए स्‍थगित कर दिया था। 17 मार्च को गवर्नर ने फिर सीएम को फ्लोर टेस्‍ट के लिए पत्र लिखा। उसी दिन कमलनाथ ने गवर्नर से मुलाकात की थी और कहा था कि उनकी सरकार बहुमत में है। कुछ ही घंटों बाद बीजेपी के शिवराज सिंह चौहान और नौ अन्‍य विधायक सुप्रीम कोर्ट चले गए। एमपी में फ्लोर टेस्‍ट का आदेश हुआ। 20 मार्च को फ्लोर टेस्‍ट हो पाता, उससे कुछ घंटे पहले ही कमलनाथ ने इस्‍तीफा दे दिया था। राजस्‍थान में कितना टाइम लगेगा?12 जुलाई को सचिन पायलट ने अपनी अनबन जाहिर कर दी थी। गहलोत ने बड़ी तेजी दिखाते हुए स्‍पीकर के जरिए 19 विधायकों को डिसक्‍वालिफ‍िकेशन का नोटिस भिजवा दिया। पायलट और उनके करीबी हाई कोर्ट चले गए और जवाब देने का वक्‍त पा गए। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक की डिमांड करती स्‍पीकर की याचिका खारिज कर दी। गहलोत 102 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं।


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MP टू राजस्‍थान: कोरोना बना बड़ा 'बहाना' MP टू राजस्‍थान: कोरोना बना बड़ा 'बहाना' Reviewed by Fast True News on July 24, 2020 Rating: 5

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