अयोध्या के मुस्लिम नहीं चाहते 'बाबरी', जानें क्यों
अयोध्या अयोध्या मूवमेंट जिस जगह पर हुआ था, उससे तकरीबन 24 किलोमीटर की दूरी पर धन्नीपुर गांव स्थित है। यह वही गांव है जहां राज्य सरकार ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन आवंटित की है। हो सकता है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड जमीन लेने या न लेने को लेकर असमंजस की स्थिति में हो लेकिन धन्नीपुर में मुस्लिम समुदाय मस्जिद निर्माण को लेकर जश्न मना रहा है। धन्नीपुर गांव में मस्जिद को लेकर मोहम्मद फहीम खान कहते हैं, 'मुगल शासक बाबर भारतीय मुसलमानों की सच्ची नुमाइंदगी नहीं करता था। हजरत निजामुद्दीन, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती जैसे सूफी संत भारतीय मुसलमानों का असली प्रतिनिधित्व करते हैं और उलेमाओं ने भारत की आजादी में योगदान दिया है। हम चाहते हैं कि इस मस्जिद को अमन मस्जिद या शांति की मस्जिद कहा जाए।' मस्जिद के लिए जो जमीन आवंटित की गई है, वह 18वीं शताब्दी के सूफी संत शाहगड़ा बाबा की दरगाह से सटी हुई है, जिन्हें कि सूफी संत सैयद मखदूम अशरफ जाकिर का मुरीद (शिष्य) माना जाता था। इनकी मजार अंबेडकरनगर जिले के किछौछा में है। पढ़ें: '5 एकड़ जमीन पर्याप्त नहीं'स्थानीय सोहराब खान कहते हैं, 'यदि अयोध्या में एक भव्य मंदिर का निर्माण किया जाएगा तो हमें भी यहां एक विशाल मस्जिद की जरूरत है। इसके लिए पांच एकड़ पर्याप्त नहीं है। सरकार को इसके लिए 25 एकड़ जमीन आवंटित करनी चाहिए, जो कि यहां आसानी से उपलब्ध है।' वहीं एक अन्य ग्रामीण फहीम खान इस बात पर जोर देते हैं कि मस्जिद अमन का प्रतीक होनी चाहिए। पढ़ें:
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अयोध्या के मुस्लिम नहीं चाहते 'बाबरी', जानें क्यों
Reviewed by Fast True News
on
February 07, 2020
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