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अयोध्या: 'व्यक्ति की तरह है राम का जन्मस्थान'

नई दिल्ली अयोध्या केस की सुनवाई के 35वें दिन हिंदू पक्षकार के वकील के. परासरण ने दलील दी कि अगर लोग किसी स्थान के बारे में ये समझते हैं कि वह अलौकिक शक्ति वाली जगह है तो वह स्थान न्यायिक व्यक्तित्व हो जाता है। राम जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्तित्व बताने के संदर्भ में परासरण ने यह दलील दी है। अब गुरुवार को सुनवाई होगी। आइए जानते हैं कि इस सुनवाई में किसने क्या कहा... राम लला विराजमान के वकील के. परासरण: (भगवद्गीता के श्लोक का संदर्भ देते हुए) राम जन्मस्थान न्यायिक व्यक्तित्व है। देवता का चाहे कोई स्वरूप हो, ऐसी अलौकिक शक्ति को न्यायिक व्यक्ति माना जाता है। जैसे हवा, पानी, आग, पृथ्वी और आकाश सभी की पूजा होती है। तमाम दिशाओं की पूजा होती है। हमारे पास श्री देवी और भू देवी हैं। हम पृथ्वी की पूजा करते हैं। चिदंबरम मंदिर को देखा जाए वहां कोई लिंग मौजूद नहीं हैं बल्कि केवल कुछ पर्दे लगे हुए हैं। जहां पूजा होती है। जब लोग जाते हैं तो पर्दा हटाया जाता है। ये नटराज हैं। कुद्दालोर मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है बल्कि एक ज्योति चलती है जिसकी पूजा होती है। मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन: जो भी उदाहरण दिए जा रहे हैं, उन तमाम उदाहरणों में मंदिर मौजूद हैं। इन तमाम स्वरूप को मंदिर के तौर पर दिखाया गया है। पढ़िए, परासरण: जहां भी लोगों की आस्था है और वहां पूजा की जाती है, वह मंदिर कहा जाता है। जहां भी भक्त पूजा करते हैं उसे सामान्य तौर पर मंदिर कहा जाता है। जस्टिस अशोक भूषण: क्या एक या दो न्यायिक व्यक्ति हो सके हैं। जैसे भूमि और राम? परासरण: ये दो से भी ज्यादा हो सकते हैं। जस्टिस एसए बोबडे: सामान्य तौर पर एक प्रमुख देवता भी कहा जाता है जबकि वहां अन्य देवता भी होते हैं। परासरण: एक प्रमुख देवता होते हैं, लेकिन अनेक देवता अलग-अलग रूप में भी होते हैं। हम कोर्ट को न्याय का मंदिर कहते हैं। हमारे पास कई जज हैं लेकिन पूरे संस्थान को हम कोर्ट कहते हैं। पढ़ें, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़: चाहे कई देवता होते हैं। लेकिन जो प्रमुख देवता हैं, उन्हें भी न्यायिक व्यक्तित्व का दर्जा होता है। जस्टिस बोबडे यह कहना चाहते हैं। राजीव धवन: यह बिल्कुल नई दलील है। ये मंदिर के नामावली में नहीं है। हम इस पर अपना नोट्स देंगे। परासरण: हर दलील नई होती है। कुछ कल हमने पूरी की और कुछ आज पूरी करेंगे। मैं सामने वाले की आपत्ति समझ नहीं पाया। योर लॉर्डशिप मुझे रोक सकते हैं अगर आपको कोई ऐतराज हो। आपका जूरिडक्शन बनता है। परासरण: हम केस के हिसाब से चल सकते हैं। संविधान के पास अधिकार है कि वह स्थान को मंदिर कहे, मस्जिद कहे या स्थान। बाबर के समय राजा सबसे उपर था। लेकिन यह केस नहीं है। जस्टिस बोबडे: क्या कोई खगोलीय या ज्योतिषिय आलेख है जो भगवान राम के जन्मस्थान की बात को सपॉर्ट करता हो। राजीव धवन: हमारे जितने भी ग्रह हैं सभी राहु और केतू के बीच में है इसीलिए वह हमारे लिए कठिन समय पैदा करते हैं। ज्योतिषि सूर्य, चांद पर निर्भर ,साथ ही जन्म के समय पर निर्भर है। लोग ज्योतिष और खगोलिय शास्त्र पर विश्वास करते हैं। क्या हमारे पास भगवान राम के जन्म के काल का पता है? बिल्कुल नहीं। (जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक ही तरह के मामले में दो बार वाद के संदर्भ में परासरण से सवाल किया और उनके जवाब के दौरान राजीव धवन ने दखल दी) परासरण: यह बहुत ज्यादा अनफेयर है कि राजीव धवन इस तरह से बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। मुझे पूरी दलील पेश करने दी जाए। मुझे हर कदम पर अवरोध पैदा किया जा रहा है और हर सवाल का मैं जवाब दे रहा हूं। जस्टिस एसए बोबडे: जन्मभूमि और जन्मस्थान में क्या फर्क है? परासरण: जन्मभूमि एक बड़ा इलाका है। या फिर पूरा देश जहां राम पैदा हुए थे। जन्मस्थान का मतलब वह विशेष स्थान जहां भगवान राम पैदा हुए थे। (हिंदू पक्षकार के वकील सीएस वैद्यनाथन और मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन के बीच वैद्यनाथक के नोट्स पढ़ने के दौरान जोरदार बहस हुई ) वैद्यनाथन: मुस्लिम पक्षकार की दलील है कि वहां ईदगाह का स्ट्रक्चर था। एएसआई ने जो स्ट्रक्चर पाया है वह ईदगाह है, ऐसा मुस्लिम पक्षकार का दावा है। मेरी दलील है कि इसका मतलब यह हुआ कि मुगलों ने ईदगाह को ध्वस्त करके वहां मस्जिद बनवाई। वैद्यनाथन: एक बार यह बात साबित होती है कि भगवान राम उस जगह पर पैदा हुए थे तो फिर किसी भी मूर्ति की जरूरत नहीं रह जाएगी। अगर लोगों की आस्था यह है कि भगवान वहां पैदा हुए थे तो फिर जमीन खुद ब खुद पवित्र हो सकती है और यह अपने आप में काफी होगा। मुस्लिम पक्षकार ने अपनी दलील में कहा था कि वैदिक काल में मूर्ति नहीं होती थी और प्रकृति की पूजा होती थी और कोई न्यायिक व्यक्ति जैसी चीज नहीं थी। लेकिन इस दलील में भूतकाल और वर्तमान काल को मिला दिया गया है। न्यायिक व्यक्ति का सिद्धांत तो बाद में कोर्ट ने तैयार किया है। हिंदुओं में पूजा की पद्धति और सिद्धांत में वैदिक काल से लेकर अब तक ज्यादा बदलाव नहीं हुआ।


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अयोध्या: 'व्यक्ति की तरह है राम का जन्मस्थान' अयोध्या: 'व्यक्ति की तरह है राम का जन्मस्थान' Reviewed by Fast True News on October 01, 2019 Rating: 5

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