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अयोध्या: SC ने मांगे 1949 से अबतक के सबूत

नई दिल्ली अयोध्या मामले पर रोजाना के आधार पर सुनवाई हो रही है। में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को हिंदू और मुस्लिम पक्षों से अपने दावे के पक्ष में सबूत पेश करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 70 साल पुराने से इस मामले में अब तक मिले सबूतों की नए सिरे से जांच करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में हाई कोर्ट के फैसले से प्रभावित नहीं होगा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर ने बुधवार को मामले की सुनवाई की। इस दौरान निर्मोही अखाड़े ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ पूरी 2.77 एकड़ जमीन पर अपना दावा पेश किया है। इस पर कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े से इस दलील के पक्ष में सबूत देने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने मांगे सबूत सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि विवादित ढांचे की देखभाल का दावा करने वाले निर्मोही अखाड़े ने 22-23 दिसंबर 1949 के बाद मूर्तियों की पूजा के लिए 'सेवायत' होने का दावा किया है। ऐसे में उन्हें जमीन के राजस्व भुगतान या अकाउंट की जानकारी जैसे दस्तावेज पेश करने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि ऐसे सबूत आपके पक्ष को मजबूत कर सकते हैं। अखाड़े ने दी डकैती की दलील इसके जवाब में निर्मोही अखाड़े ने कहा कि 1982 में एक डकैती हुई थी, जिसमें उनके कागजात खो गए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप हमें राम जन्मभूमि से जुड़े असली दस्तावेज दिखाएं। जिसके बाद निर्मोही अखाड़े के वकील ने जवाब दिया कि सभी दस्तावेज इलाहाबाद हाई कोर्ट के जजमेंट में दर्ज हैं। HC के फैसले से नहीं होंगे प्रभावित: SC जस्टिस चंद्रचूड़ ने निर्मोही अखाड़े के वकील सुशील जैन से कहा कि यहां सबको इस बात का पता होनी चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई पहली अपील के तौर पर कर रहा है, ऐसे में कोर्ट के सामने सभी साक्ष्य पेश करने होंगे। सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट के फैसले से प्रभावित नहीं होंगा। यह कोई स्पेशल लीव अपील नहीं है, जो आम तौर पर हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए दायर की जाती है। लंबे समय से हो रही राम की पूजा वहीं इस इस दौरान पूर्व एजी और सीनियर वकील के परासरन ने 'राम लला' के पक्ष में दलीलें दी। परासरन ने कहा कि हिंदू समुदाय के लोग अयोध्या को भगवान राम का जन्मस्थल मानते हैं। हिंदुओं द्वारा विवादित भूमि पर लंबे समय से पूजा की जा रही है, जबकि मुस्लिमों का विवादित भूमि पर दिसंबर 1949 से आना प्रतिबंधित है। दुनिया में कहीं और ऐसा विवाद है? इस दौरान जस्टिस बोबड़े ने परासरन से जानना चाहा कि ऐसे ही किसी धार्मिक स्थान को लेकर दो समुदायों का कोई सवाल या विवाद दुनिया में कहीं किसी भी अदालत में कभी आया है क्या? इस पर परासरन ने कहा कि वह इस बारे में जानकारी इकट्ठा करने का प्रयास करेंगे। परासरन ने कहा कि मस्जिद के अंदर मूर्ति स्थापित करना गलत है, ऐसे में यह देखना जरूरी है कि वह स्थल मस्जिद है भी या नहीं?


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अयोध्या: SC ने मांगे 1949 से अबतक के सबूत अयोध्या: SC ने मांगे 1949 से अबतक के सबूत Reviewed by Fast True News on August 07, 2019 Rating: 5

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