अच्छा सांसद कैसे बनें? गृह मंत्री शाह ने दिया 'मंत्र'
नई दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष और अमित शाह ने गुरुवार को नवनिर्वाचित सांसदों को नसीहत देते हुए कहा कि हम सभी को इस बात का बोध होना चाहिए कि हम जो बोलते हैं उससे संसद और हमारे लोकतंत्र की साख बनती-बिगड़ती है। लोकसभा सचिवालय की ओर से नवनिर्वाचित सांसदों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, 'हमें यह सदैव ध्यान में रखना चाहिए कि राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में जवाब देना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन इसके साथ ही कानून बनाने की प्रक्रिया में हमारा योगदान महत्वपूर्ण और सटीक होना चाहिए।' शाह ने कहा, 'आज मुझे 'अच्छा सांसद कैसे बने' पर बात करने के लिए बुलाया गया है लेकिन सच तो यह है कि मैं 20 साल विधायक रहा, दो साल राज्यसभा सासंद रहा, लेकिन लोकसभा में चुनकर आने का मौका मुझे भी पहली बार ही मिला है। कई लोगों को लगता होगा कि भी आज ही आए हैं और हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं लेकिन यह विषय आप में से भी कई लोग रख सकते हैं।' उन्होंने कहा, 'सभी दलों के सांसद यहा मौजूद हैं, आप पहली बार चुनकर आए हैं। इसके लिए बहुत-बहुत बधाई। हमें यह बात हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए कि 130 करोड़ लोगों के देश में से 543 सांसद चुने जाते हैं। हम उन 543 में से एक हैं। औसत तौर पर हममें से हर कोई 15 लाख से ज्यादा लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहा है। जिस संस्था में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, उसका गौरव पहचानना बेहद जरूरी है।' अमित शाह ने कहा कि संसद सिर्फ राजनीतिक बात करने का, जवाब देने का, आरोप लगाने का प्लैटफॉर्म नहीं है। अलग-अलग पार्टियों की विचारधारा को जनता के बीच रखने का सिर्फ माध्यम भी यह नहीं है। उन्होंने कहा, 'हम बहुपक्षीय संसदीय व्यवस्था के अंदर हैं। इस व्यवस्था में पार्टी की विचारधारा के आधार पर ही हम जनता के बीच जाते हैं। हम वहीं से चुनकर आते हैं तो हमें अपनी विचारधारा रखनी चाहिए। लेकिन यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि यह कानून बनाने वाली सर्वोच्च संस्था है, जो देश के हर नागरिक के लिए कानून बनाती है। सदन के पटल पर अपनी पार्टी की विचारधारा रखनी चाहिए, लेकिन इसके साथ कानून बनाने में भी अपने योगदान के महत्व को समझना चाहिए।' उन्होंने कहा, 'हमारे देश ने लोकतंत्र को पहले ही स्वीकार कर लिया था। फिर बहस चली कि लोकतंत्र का कौन सा रूप स्वीकार किया जाए। अलग भाषा, अलग धर्म, विभिन्न प्रांत इन सब बातों को ध्यान में रखकर संविधान सभा ने बहुपक्षीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को चुना।' गृह मंत्री ने कहा, 'दुनिया भर के कई विद्वान इस बात का श्रेय पश्चिम को देते हैं कि लोकतंत्र पश्चिम की देन है, लेकिन मैं इस बात को कतई स्वीकार नहीं कर सकता हूं। लोकतंत्र का सबसे पुराना प्रारूप कहीं है तो सिर्फ भारत में है। ऋग्वेद में भी गणतंत्र शब्द का प्रयोग किया गया है। दुनिया का सबसे पुराना गणतंत्र द्वारिका के अंदर श्रीकृष्ण ने बनाया था, वहां राजा की परंपरा नहीं थी, नायक की परंपरा थी। नायक वंश परंपरागत भी नहीं होते थे, इसलिए श्रीकृष्ण कभी भी राजा नहीं बन पाए थे। गणतंत्र दुनिया को देने का गौरव सिर्फ भारत के पास है। अमित शाह ने कहा कि एक नागरिक का देश के प्रति धर्म क्या होता है? एक सांसद का संसद के प्रति धर्म क्या होता है इसका बोध कराने के लिए ये 'धर्मचक्र प्रवर्तनाय' का सूत्र यहां लिखा है। नवनिर्वाचित सांसदों को संबोधित करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि 'धर्मचक्र प्रवर्तनाय' का मतलब है कि भारत के शासक धर्म के रास्ते आगे बढ़े। धर्म का मतलब ‘रिलीजन’ नहीं होता है बल्कि धर्म का मतलब ‘फर्ज’ होता है, हमारा ‘दायित्व’ होता है। उन्होंने कहा कि संसद के हर द्वार के ऊपर वेद, उपनिषद और सभी धर्म ग्रंथों से अच्छी बातें लिखी हैं और सभी सांसदों से अनुरोध है कि उन बातों को वे जरूर पढ़ें।
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अच्छा सांसद कैसे बनें? गृह मंत्री शाह ने दिया 'मंत्र'
Reviewed by Fast True News
on
July 04, 2019
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