जानें, बिहार में डॉक्टरों ने क्यों बनाई निजी सेना
मुजफ्फरपुर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में डॉक्टरों पर हमले के काफी पहले से ही बिहार के मुजफ्फरपुर में प्राइवेट अस्पतालों ने अपनी सुरक्षा का रास्ता निकाल लिया था। मुजफ्फरपुर के बड़े अस्पतालों और निजी कॉलेजों में जहां अपने सुरक्षा गार्ड हैं वहीं छोटे अस्पतालों ने मोबाइल 'क्विक रिऐक्शन टीम' या क्यूआरटी हायर करने के लिए काफी पैसा खर्च किया है। इस क्यूआरटी में गनमैन, बॉडी बिल्डर और लाठी से लैस युवा शामिल हैं जो 24 घंटे एक फोन पर उपलब्ध हो जाते हैं। यह आश्चर्य की बात नहीं है कि मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से 100 बच्चों की मौत के बाद भी डॉक्टरों के खिलाफ कोई हिंसा नहीं हुई है। मोतिहारी के डॉक्टर सीबी सिंह कहते हैं, 'पुलिस थानों में 6 से 8 पुलिसकर्मी होते हैं जो ट्रैफिक और अपराध जैसी अपनी प्राथमिक ड्यूटी में काफी फंसे रहते हैं। वे लोग कैसे एक डॉक्टर की जान बचा सकते हैं जिस पर हमला हुआ है? वे अक्सर तब आते हैं जब क्लिनिक को तोड़ दिया जाता है और डॉक्टरों की पिटाई कर दी जाती है।' मोतिहार में भी मुजफ्फरपुर के मॉडल को अपनाया गया है। हर महीने 10 हजार रुपये क्यूआरटी के लिए मुजफ्फरपुर में 50 से 60 हॉस्पिटल, नर्सिंग होम और क्लिनिक हर महीने 10 हजार रुपये क्यूआरटी के लिए देते हैं। इस क्यूआरटी में ज्यादातर लोग सेना और अर्द्धसैनिक बलों के रिटायर जवान हैं। मुजफ्फरपुर के डॉक्टर संजय कुमार कहते हैं, 'इसमें कई ऐसे भी जवान हैं जो सूबेदार रैंक से रिटायर हुए हैं और उम्रदराज हैं। ये लोग बहुत शांत होते हैं और बिना विवाद के भीड़ को नियंत्रित कर लेते हैं। गनमैन और लाठी से लैस जवान केवल ताकत दिखाने के लिए होते हैं।' एक क्यूआरटी में दिन में 25 लोग और रात में करीब 15 लोग होते हैं। उन्हें मोटरसाइकिल दिया गया है ताकि फोन आने के 5 से 10 मिनट के अंदर वे मौके पर पहुंच सकें। नेवी से रिटायर होने के बाद वर्ष 2017 में क्यूआरटी की स्थापना करने वाले सदन मोहन ने बताया कि उन्हें अब तक एक बार भी मुजफ्फरपुर में बल का प्रयोग नहीं करना पड़ा है। सीतामढ़ी और मोतिहारी में भी है क्यूआरटी मोहन ने कहा, 'ज्यादातर मामले तब होते हैं जब मरीज की मौत हो जाती है और परिवार वाले चाहते हैं कि अस्पताल के बिल को माफ किया जाए। हमारी क्यूआरटी को इस बात की ट्रेनिंग दी गई है कि वे स्थिति को बिगड़ने न दें और भीड़ को इकट्ठा न होने दें। जब मरीज के परिजनों को लगता है कि डॉक्टर के समर्थन में इतने लोग हैं तो वे शांत हो जाते हैं।' उन्होंने बताया कि उनकी सुरक्षा एजेंसी सीतामढ़ी और मोतिहारी में भी डॉक्टरों की सुरक्षा करती है। बता दें कि मुजफ्फरपुर उत्तरी बिहार का एक बड़ा मेडिकल हब है और यहां बड़ी संख्या में मरीज आते हैं। क्यूआरटी की वजह से कई डॉक्टरों ने अपनी क्लिनिक खोली है। डॉक्टर कुमार ने कहा, 'यह हमें सुरक्षा का अहसास देता है और क्यूआरटी जल्दी से मौके पर पहुंच जाती है।' मुजफ्फरपुर के डेढ़ किलोमीटर के इलाके में 500 डॉक्टर हॉस्पिटल चलाते हैं।
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जानें, बिहार में डॉक्टरों ने क्यों बनाई निजी सेना
Reviewed by Fast True News
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June 23, 2019
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