खाड़ी मुल्कों में क्यों दम तोड़ रहे आंध्र के लोग?
हैदराबाद बेहतर जीवन की तलाश में आंध्र प्रदेश के लोग खाड़ी देशों की तरफ पलायन करते हैं। लेकिन ताजा आंकड़ों के अनुसार, यहां हर दूसरे दिन तीन भारतीयों की मौत का मामला सामने आ रहा है। इनकी मौत का कारण काम का दबाव और शर्तें होती हैं जिसे साथ लेकर वह खाड़ी देशों में नौकरी करते हैं और फिर इसी वजह से सूइसाइड, बीमारी या फिर सड़क हादसा में उनकी मौत हो जाती है। द्वारा जारी किए गए डेटा के अनुसार, पिछले तीन साल से अधिक समय से आंध्र प्रदेश के 1656 मजदूरों की खाड़ी देशों में मौत हो चुकी है। विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने बुधवार को लोकसभा में बताया कि आंध्र प्रदेश के कडपा, चित्तूर और गोदावरी के ज्यादातर प्रवासी सफाईकर्मी और मेड के रूप में काम करते हैं। उन्होंने मछलीपट्टनम के सांसद वल्लभनेनी बालाशौरी के सवाल का जवाब देते हुए कहा, 'कुल मिलाकर पिछले तीन साल में आंध्र प्रदेश से खाड़ी देशों में काम करने वाले 1656 लोगों की मौत हो चुकी है।' सबसे ज्यादा मौतें कुवैत में सबसे ज्यादा मौतें कुवैत में हुई है, इसके बाद सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात का नंबर आता है। मंत्री ने बताया, 'खाड़ी देशों में आत्महत्या और सड़क हादसे के चलते भारतीय कर्मचारियों की मौत रोकने के लिए जागरूकता अभियान लेबर कैंपों की मदद से चलाए जा रहे हैं।' उन्होंने बताया, 'भारतीय कर्मचारियों को काम के ज्यादा घंटे, मेडिकल सुविधा की कमी और गर्मी व धूप के कारण कार्यक्षेत्र में आ रही दिक्कतों के लिए मदद ऑफर की जा रही है।' गर्मी और काम के दबाव के चलेत स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर खाड़ी देशों के प्रवासी अधिकारों के कार्यकर्ता पी बसंत रेड्डी ने बताया कि गोदावरी जिले की एक महिला में मेड के रूप में काम करने गई थी लेकिन अथक उत्पीड़न होने की वजह से उसने आत्महत्या कर ली। भीषण गर्मी और काम के दबाव के चलते मजदूरों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। उनमें से अधिकतर की मौत 30 से 40 साल की उम्र में ही हो जाती है। परिवारिक मुद्दे आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह है।
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खाड़ी मुल्कों में क्यों दम तोड़ रहे आंध्र के लोग?
Reviewed by Fast True News
on
June 27, 2019
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