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रातों-रात हृदय परिवर्तन कैसे हुआ? कांग्रेस की प्रत्याशी हो गईं सपाई, रोचक मोड़ पर लड़ाई

बृजेश शुक्ल : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और बरेली के पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन की पत्नी नेता प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Congress)के साथ कंधे से कंधा मिलाकर 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' नारा बुलंद कर रही थीं। पार्टी के लिए लड़कियों की मैराथन करवा रही थीं। यह दावा भी कर रही थीं कि इस बार यूपी में कांग्रेस की लहर है। कांग्रेस ने अपनी पहली सूची में ही सुप्रिया को बरेली कैंट (Bareilly Cantt Candidate)से प्रत्याशी बनाया, लेकिन राजनीति की विडंबना तो देखिए सुप्रिया का रातों-रात हृदय परिवर्तन हो गया। वह सपाई हो गईं और अब सपा के झंडे तले उसी सीट से चुनाव लड़ रही हैं, जहां से उन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया था। रातों-रात हृदय परिवर्तन कैसे हुआ? अब रातों-रात हृदय परिवर्तन कैसे हुआ इसकी एक अलग कहानी है। कहा जा रहा है कि सुप्रिया ने जब देखा कि बरेली कैंट में लगभग 30% मुस्लिम है और वे सपा के साथ हैं न कि कांग्रेस के, तो उन्हें अपने लिए सुरक्षित पार्टी सपा ही लगी। इसके बावजूद सुप्रिया के लिए यह डगर आसान नहीं है। इस सीट पर वर्तमान में राजेश अग्रवाल विधायक हैं। वह योगी सरकार में वित्त मंत्री भी थे, लेकिन भाजपा नेतृत्व ने उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा दिलवाया और अब वह भाजपा के केंद्रीय कोषाध्यक्ष हैं। भाजपा ने इस सीट पर संजीव अग्रवाल को टिकट दिया है, जबकि बसपा ने अनिल कुमार बाल्मीकि को। तीन दशक में पहला चुनाव जब संतोष गंगवार सक्रिय नहीं पिछले तीन दशक में यह पहला चुनाव है, जब भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री संतोष गंगवार ज्यादा सक्रिय नहीं हैं, लेकिन अब लगता है उनकी बेटी राजनीतिक विरासत संभालने की तैयारी कर रही है। वह जिले की सभी सीटों का दौरा कर भाजपा के पक्ष में वोट मांग रही हैं। आला हजरत बरेली शरीफ के मौलाना और इत्तेहादुल मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष तौकीर रजा ने इस बार कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की है, लेकिन इसका असर कहीं नहीं दिखता। पहले कांग्रेस का गढ़ था बरेली कैंट बरेली कैंट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, लेकिन बाद में इस सीट ने करवट बदली। सपा भी इस सीट पर दो बार जीत चुकी है। अब इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है। वास्तव में परिसीमन होने के बाद इसके समीकरण ही बदल गए। बरेली शहर के एक हिस्सा कैंट विधानसभा में शामिल हो गया और परिणाम यह हुआ कि अब यह बीजेपी की मजबूत सीट मानी जाती है। चौपला चौराहे पर एक चाय की दुकान में मिल गए मोहम्मद सुलेमान। वह बताते हैं कि मुस्लिम मतदाता सपा के साथ हैं। बस प्रश्न यह है कि सुप्रिया अन्य वर्गों के कितने वोट पाती हैं। क्या उन्हें अन्य वर्ग का वोट नहीं मिल रहा है? इस सवाल पर वह कहते हैं कि मिल रहा है, लेकिन कितने प्रतिशत मिल रहा है, यह कहना अभी कठिन है, क्योंकि भाजपा भी बहुत मजबूती से लड़ रही है। हर चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण हो जाता है सतीश अग्रवाल कहते हैं कि क्षेत्र में भाजपा मजबूत हो चुकी है, इसलिए संजीव अग्रवाल ही जीतेंगे। यह अलग बात है कि राजेश अग्रवाल इस चुनाव में सक्रिय नहीं हैं और इस बात की चर्चा आम है कि उनकी बिना मर्जी के यहां का टिकट दिया गया। जमीनी तौर पर देखा जाए तो यहां पर हर चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण हो जाता है। जहां तक बरेली सीट की बात है तो इस सीट पर पार्टी के विधायक डॉ. अरुण सक्सेना को ही टिकट दिया गया है। सपा ने राजेश कुमार अग्रवाल को मैदान में उतारा है। इस सीट पर 2012 और 2017 में अरुण सक्सेना चुनाव जीते थे। अब राजेश कुमार अग्रवाल उनका कितना नुकसान कर पाएंगे, कहना कठिन है। फिलहाल डॉ. अरुण सक्सेना लड़ाई में मजबूत बने हुए हैं।


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रातों-रात हृदय परिवर्तन कैसे हुआ? कांग्रेस की प्रत्याशी हो गईं सपाई, रोचक मोड़ पर लड़ाई रातों-रात हृदय परिवर्तन कैसे हुआ? कांग्रेस की प्रत्याशी हो गईं सपाई, रोचक मोड़ पर लड़ाई Reviewed by Fast True News on February 10, 2022 Rating: 5

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