ads

सलामी स्‍लाइसिंग का इस्‍तेमाल कर ड्रैगन निगल रहा जमीन, एक्‍सपर्ट्स ने बताया चीन की इस स्‍ट्रैटेजी का क्‍या है तोड़

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सीमा विवाद को लेकर गतिरोध जारी है। इसे समाप्त करने के लिए भारत और चीन के बीच 14वें दौर की कमांडर स्तर की वार्ता भी बेनतीजा रह चुकी है। इसके बाद भारत के प्रमुख रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि स्थिति अभी ‘नाजुक’ बनी हुई है। कारण है पड़ोसी मुल्क ने एलएसी को ‘तनावग्रस्त सीमा’ बनाए रखने सहित भारत से स्थायी दुश्मनी रखने का बीड़ा उठा रखा है। दूसरों के इलाकों में कब्‍जा करने के लिए वह अपने मंसूबों पर लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी के तहत वह एक खास तरह की रणनीति पर काम कर रहा है। इसका नाम है 'सलामी स्‍लाइसिंग'। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में वर्ष 2020 के अप्रैल में सीमा विवाद को लेकर शुरू हुआ गतिरोध अब भी बरकरार है। सैनिकों को पीछे हटाने और अन्य संबंधित मुद्दों पर भारत और चीन के बीच कमांडर स्तरीय वार्ता का दौर भी जारी है। दोनों देशों के सैनिक अब भी एलएसी पर डटे हुए हैं। इसी बीच चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की ओर से अरुणाचल प्रदेश के एक किशोर को अगवा कर लिए जाने की घटना ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। रक्षा विशेषज्ञ सी उदय भास्कर ने कहा, ‘पूर्वी लद्दाख में स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) भारत के दावे वाली सीमारेखा के भीतर अवसंरचना सुदृढ़ कर रहा है। इस लिहाज से गलवान घाटी की घटना के बाद भारत कम अनुकूल स्थिति में है।’ क्या होनी चाहिए भारत की रणनीति? पारस्परिक स्वीकार्य समाधान ना होने तक भारत की रणनीति क्या होनी चाहिए, यह पूछने पर भास्कर ने कहा कि पीएलए को भविष्य में इस प्रकार के उल्लंघन से रोकने के लिए भारत का अपनी सैन्य क्षमता में बढ़ोतरी करना ही बेहतर होगा। उन्होंने कहा, ‘भारत को अपने इस संकल्प के बारे में चीन को राजनयिक और सैन्य स्तर पर संदेश देना चाहिए। साथ ही वर्तमान तनाव को कम करने के लिए भारत को विवाद का निपटारा होने तक परस्पर स्वीकार्य व्यवस्था तक पहुंचने के लिए बीजिंग को प्रोत्साहित करने की कोशिश करनी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा सीमा विवाद की इस कटुता को समाप्त करने के लिए भारत को एक राजनीतिक वातावरण का भी निर्माण करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘दोनों देशों के बीच अक्टूबर 1962 में युद्ध हुआ था और इसकी पुनरावृत्ति अवांछनीय होगी...और दोनों देशों के लिए महंगी पड़ेगी।’ क्‍या दोनों देशों के बीच हो सकती है जंग? दोनों देशों के बीच युद्ध या किसी सैन्य संघर्ष की आशंका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘स्थिति अभी धुंधली है...गलवान की पुनरावृत्ति को खारिज नहीं किया जा सकता।’ उन्होंने कहा, ‘अभी स्थिति नाजुक बनी हुई है...और परस्पर विरोधी भी है। यह अजीब है कि जब एलएसी पर तनाव है, चीन और भारत का व्यापार गलवान और कोविड-19 के बावजूद दोनों तरफ से बढ़ रहा है। यहां अधिक पारदर्शिता की जरूरत है।’ राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के पूर्व सलाहकार प्रोफेसर ब्रह्म चेलानी ने कहा कि चीन की ओर से सीमा पर ‘विवादित इलाके’ में सैन्य गांवों का निर्माण करने के बाद अब अरुणाचल प्रदेश में एक किशोर को अगवा किया जाना, पड़ोसी देश की लंबे समय से जारी ‘सलामी स्लाइसिंग’ रणनीति का प्रसार है। किसी मुल्क की ओर से अपने पड़ोसी देशों के खिलाफ छोटे-छोटे सैन्य ऑपरेशन के जरिये धीरे-धीरे किसी बड़े इलाके पर कब्जा कर लेने की नीति को ‘सलामी स्लाइसिंग’ कहा जाता है। चेलानी का यह भी कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 18 मुलाकातों के बावजूद चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को ‘तनावग्रस्त सीमा' बनाए रखने सहित भारत से स्थायी दुश्मनी का बीड़ा उठा रखा है। चारागाह वाले इलाकों में अतिक्रमण कर रहा चीन चेलानी ने कहा कि लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय लोग और स्थानीय प्रतिनिधि पिछले 20 सालों से यह शिकायत करते आ रहे हैं कि चीन ‘मीटर दर मीटर और मील दर मील’ उनके पारंपरिक चारागाह वाले इलाकों में अतिक्रमण कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘चीन की ओर से सीमा पर विवादित इलाके में सैन्य गांवों का निर्माण और अब हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के भीतर से एक युवा को अगवा किया जाना पड़ोसी देश की लंबे समय से अनुसरण की जा रही ‘सलामी स्लाइसिंग’ रणनीति का प्रसार है।’ चेलानी ने कहा, ‘यह पहली बार नहीं है कि अतिक्रमण करने वाले चीनी सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश से किसी युवा को अगवा किया हो। चीनी सैनिकों की ओर से भारतीय क्षेत्र में घुस आना और युवाओं को अगवा कर लेना अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के स्थानीय लोगों के दावे का समर्थन करता है कि चीन बगैर गोली की आक्रामकता के जरिये उनकी जमीनों पर कब्जा करता जा रहा है।’ भारत-चीन संबंधों में लगातार बढ़ रही तल्खी पर चेलानी ने कहा कि चीन की हिमालयी क्षेत्र में आक्रामता, युद्ध के खतरे और पिछले लगभग 21 महीने से जारी तनावपूर्ण सैन्य गतिरोध के बावजूद भारत डटा हुआ है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन भारतीय रणनीति में एक चीज जो नदारद है, वह यह है कि भारत अतिक्रमण वाले क्षेत्रों से चीन को पीछे खदेड़ने में सफल नहीं रहा है। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि भारत ने खुद को बेहद रक्षात्मक स्थिति में ला दिया है।’ चेलानी ने दावा किया कि चीन ने ‘ना खत्म होने वाली वार्ताओं’ का उपयोग अपनी आक्रामकता के फायदों को सुदृढ़ करने के लिए किया है। उन्होंने कहा, ‘वह डेपसांग, हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेमचोक से पीछे हटने या गलवान में अप्रैल-2020 के पहले वाली स्थिति में लौटने से इनकार करता है।’ सीमा विवाद को लेकर जारी गतिरोध के मद्देनजर पिछले दिनों भारत और चीन की सेनाओं के बीच 14वें दौर की वार्ता हुई थी। इसमें कोई सफलता तो नहीं मिली लेकिन दोनों पक्ष सैन्य एवं राजनयिक माध्यमों से करीबी संपर्क बनाए रखने और शेष मुद्दों के यथाशीघ्र ‘‘परस्पर स्वीकार्य समाधान’’ के लिए वार्ता जारी रखने को सहमत हुए। भारत-चीन संबंध किस दिशा में जा रहे हैं, यह पूछे जाने पर चेलानी ने कहा, ‘मोदी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) और शी जिनपिंग (चीनी राष्ट्रपति) के बीच आमने-सामने की 18 बैठकों के बावजूद चीन ने एलएसी को हॉट बार्डर बनाए रखने सहित भारत से स्थायी दुश्मनी रखने का बीड़ा उठा रखा है।’


from India News: इंडिया न्यूज़, India News in Hindi, भारत समाचार, Bharat Samachar, Bharat News in Hindi, coronavirus vaccine latest news update https://ift.tt/3rLmMOT
सलामी स्‍लाइसिंग का इस्‍तेमाल कर ड्रैगन निगल रहा जमीन, एक्‍सपर्ट्स ने बताया चीन की इस स्‍ट्रैटेजी का क्‍या है तोड़ सलामी स्‍लाइसिंग का इस्‍तेमाल कर ड्रैगन निगल रहा जमीन, एक्‍सपर्ट्स ने बताया चीन की इस स्‍ट्रैटेजी का क्‍या है तोड़ Reviewed by Fast True News on January 23, 2022 Rating: 5

No comments:

ads
Powered by Blogger.