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बिहार उपचुनाव: समझिए कैसा है तारापुर और कुशेश्वरस्थान का जातीय समीकरण, किसका पलड़ा भारी

मुंगेर बिहार में तारापुर और कुशेश्वरस्थान विधानसभा क्षेत्र में हो रहे उपचुनाव को लेकर राज्य की राजनीति परवान पर है। इन दो सीटों के हार-जीत से सरकार बनने और बिगड़ने की संभावना नहीं के बराबर है। इसके बावजूद सभी दल इन दोनों सीटों पर अपना कब्जा जमाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। बुधवार को करीब छह साल बाद तारापुर में राजद सुप्रीमो लालू यादव ने रैली कर पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की। वहीं नीतीश कुमार भी रैली कर जेडीयू प्रत्याशी के लिए वोट मांग रहे हैं। दोनों सीटों पर 30 अक्टूबर को मतदान होना है। जबकि नतीजे 2 नवबंर को आएंगे। आइए जानते हैं दोनों सीटों का जातीय समीकरण... पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में दोनों सीटों से जनता दल (युनाइटेड) के प्रत्याशी विजयी हुए थे, लेकिन दोनों क्षेत्रों के विधायकों के निधन के बाद दोनों सीटें रिक्त हो गई थी। जमुई संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाली तारापुर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो पिछले कई चुनावों से यहां से कुशवाहा जाति से आने वाले प्रत्याशी विजयी होते रहे हैं। वैसे, यादव और कुशवाहा बहुल इस क्षेत्र में वैश्य मतदाताओं का भी खास प्रभाव माना जाता है, जो चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की ताकत रखते हैं। इसके अलावे सवर्ण और अल्पसंख्यक मतदाताओं की भी इस क्षेत्र में अच्छी संख्या है। तारापुर में राजद ने वैश्य जाति के उम्मीदवार पर लगाया है दांव इस उपचुनाव में एनडीए ने तारापुर से जहां जदयू के नेता और कुशवाहा जाति से आने वाले राजीव कुमार सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं राजद ने यादव या कुशवाहा समाज से हटकर वैश्य जाति से आने वाले अरुण साव को मैदान में उतार कर नया दांव खेला है। इसके अलावा कांग्रेस ने पिछली बार बतौर निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतरे ब्राह्मण जाति से आने वाले राजेश मिश्रा को अपना उम्मीदवार बनाया है तो लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की ओर से चंदन कुमार चुनावी मैदान में हैं। तारापुर में राजद-जदयू में कांटे की टक्कर वैसे, तारापुर में मतदाता अभी तक खुलकर बात करने से बच रहे हैं। कहा जा रहा है कि सवर्ण वर्ग के मतदाता तो कुछ बोल भी रहे हैं लेकिन वैश्य जाति के मतदाताओं ने अब तक चुप्पी साध रखी है। कहा भी जा रहा है कि वैश्य जाति से आने वाले लोग राजनीति को लेकर ज्यादा मुखर नहीं होते हैं, इस कारण वे शांत बैठे हैं। तारापुर के लोगों से मिलने के बाद इतना स्पष्ट है कि यहां राजद और जदयू में कांटे की टक्कर है। कांग्रेस की वजह से जदयू-राजद को हो सकता है नुकसान जातीय समीकरण को जो भी दल साधने में सफल होंगे, वह यहां से विजयी हो सकता है। वैसे, कांग्रेस ने भी इस चुनाव में कड़ी मेहनत की है। माना ताजा रहा है कि कांग्रेस के प्रत्याशी भले ही जीत दर्ज करने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन वह राजद और जदयू के मतदाताओं में जिसका भी वोट काटेगी, उससे उस दल को घाटा उठाना तय माना जा रहा है। जदयू- चिराग के प्रत्याशी एक ही जाति से कुशेश्वरस्थान की बात करें तो जदयू ने दिवंगत नेता और पूर्व विधायक शशिभूषण हजारी के पुत्र अमन भूषण को प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने अतिरेक कुमार को मुकाबले में उतार दिया है। अतिरेक कुमार वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अशोक कुमार के पुत्र है। पिछले चुनाव में अशोक कुमार चुनाव हार गए थे। इधर, राजद ने मुसहर जाति से आने वाले गणेश भारती को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा है। इधर, चिराग की पार्टी लोजपा (रामविलास) ने भी अंजू देवी को उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। कहा जा रहा है कि इस क्षेत्र में भी जातीय समीकरण चुनाव परिणाम को तय करेंगे। माना जा रहा है कि लोजपा (रामविलास) और जदयू के प्रत्याशी एक ही जाति से आते हैं। इस कारण यहां का मुकाबला दिलचस्प बना हुआ है।


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बिहार उपचुनाव: समझिए कैसा है तारापुर और कुशेश्वरस्थान का जातीय समीकरण, किसका पलड़ा भारी बिहार उपचुनाव: समझिए कैसा है तारापुर और कुशेश्वरस्थान का जातीय समीकरण, किसका पलड़ा भारी Reviewed by Fast True News on October 28, 2021 Rating: 5

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