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मातहत अधिकारी के कृत्यों का जिम्मेदार सीनियर अफसर नहीं : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली दीवानी अवमानना का मतलब है कि अदालत के निर्णय का जानबूझकर पालन नहीं करना और अगर कोई मातहत अधिकारी अदालत की तरफ से पारित आदेश की अवज्ञा करता है तो उसकी जिम्मेदारी उच्च अधिकारियों पर नहीं डाली जा सकती है। यह टिप्पणी मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने की। न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की पीठ ने कहा कि किसी और की जिम्मेदारी को सिद्धांत के तौर पर अवमानना के मामले में लागू नहीं किया जा सकता। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अदालतों की अवमानना कानून, 1971 के मुताबिक सिविल अवमानना का मतलब होता है कि अदालत के किसी निर्णय का जानबूझकर अवज्ञा करना और इसलिए जानबूझकर अवज्ञा ही प्रासंगिक है। पीठ ने कहा चूंकि किसी मातहत अधिकारी ने अदालत द्वारा पारित आदेश की अवज्ञा की है, इसलिए इसकी जिम्मेदारी किसी वरीय अधिकारी पर उनकी जानकारी के बगैर नहीं डाली जा सकती। उच्चतम न्यायालय का फैसला गुवाहाटी उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ दायर अपील पर आया है, जिसने आवेदकों को असम कृषि उत्पाद बाजार कानून, 1972 की धारा 21 के मुताबिक लगाए गए जुर्माने के सिलसिले में पारित आदेश का जानबूझकर अवज्ञा करने का दोषी पाया था। उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार करते हुए कहा कि आवेदकों का यह विशिष्ट मामला है कि उन्होंने अदालत के निर्देशों का उल्लंघन नहीं किया। पीठ ने कहा कोई ऐसा साक्ष्य नहीं है जिससे साबित किया जा सके कि अपने मातहतों के काम के बारे में उन्हें जानकारी थी या उन्होंने मिलीभगत में काम किया।


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मातहत अधिकारी के कृत्यों का जिम्मेदार सीनियर अफसर नहीं : सुप्रीम कोर्ट मातहत अधिकारी के कृत्यों का जिम्मेदार सीनियर अफसर नहीं : सुप्रीम कोर्ट Reviewed by Fast True News on October 26, 2021 Rating: 5

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