अब संभव नहीं कांवड़ यात्रा? जानें यूपी और केंद्र सरकार के हलफनामे पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली पर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार का फैसला रद्द होना तय है। सुप्रीम कोर्ट ने कोविड काल में कांवड़ यात्रा की अनुमति दिए जाने पर स्वतः संज्ञान लिए जाने के मामले में आज सुनवाई की। उसने साफ कह दिया है कि उत्तर प्रदेश राज्य को यात्रा के साथ आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि, कोर्ट ने आज कोई आदेश पारित नहीं किया और यूपी सरकार को ही अपने फैसले पर विचार के लिए रविवार तक का समय दिया है। यूपी सरकार को कोर्ट को बताना होगा कि उसने कावंड़ यात्रा पर पुनर्विचार के बाद क्या फैसला किया है। यूपी सरकार सरकार ने 25 जुलाई से लेकर 6 अगस्त तक कांवड़ यात्रा की अनुमति दी है। केंद्र सरकार का सुझाव शीर्ष अदालत में आज हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने भी अपना पक्ष रखा। उसने यूपी की योगी सरकार का सीधे-सीधे विरोध तो नहीं किया, लेकिन एक तरह से कांवड़ यात्रा की अनुमति पर अपनी सहमति नहीं दी। केंद्र सरकार के वकील और देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि कांवड़ियों को शिव मंदिरों में अभिषेक के लिए खुद गंगाजल भरकर लाने की अनुमति दिए जाने की जगह सरकार उन्हें गंगाजल मुहैया करवा दे। हरियाणा मॉडल पर सहमति ध्यान रहे कि हरियाणा सरकार ने यही फैसला किया है। प्रदेश की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी है और हरिद्वार से गंगाजल लाकर हर जिले में पहुंचाने की सुविधा दी है। उधर, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सीमित शर्तों के साथ कांवड़ यात्रा को मंजूरी दी है जबकि उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने कांवड़ यात्रा पर पूरी तरह रोक लगा दी है। ये तीनों बीजेपी शासित राज्य हैं। केंद्र सरकार ने क्या कहा बहरहाल, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सुझाव दिया कि राज्यों को पवित्र गंगाजल तय स्थानों पर टैंकरों के माध्यम से उपलब्ध कराने के लिए एक सिस्टम विकसित करना चाहिए ताकि भक्त ऐसे गंगाजल वहां से ले सकें और निकटतम शिव मंदिर में अभिषेक कर सकें। उसने अपने हलफनामे में कहा है कि कांवड़ लेकर मंदिर में जाने से बेहतर होगा कि टैंकर से जगह-जगह गंगाजल पहुचाया जाए। सॉलिसिटर जनरल ने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि कांवड़ यात्रा का धार्मिक महत्व है, इसीलिए गंगाजल को जगह-जगह पहुंचाने की बात की जा रही है। उन्होंने कहा कि धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने के लिए ही गंगाजल की आपूर्ति सुनिश्चित करवाई जाएगी। केंद्र के सुझाव से सुप्रीम कोर्ट सहमत सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा, "जहां तक कांवड़ यात्रा का संबंध है, राज्य सरकारों को गंगाजल को हरिद्वार से अपनी पसंद के शिव मंदिरों में लाने के लिए कांवड़ियों की आवाजाही की अनुमति नहीं देनी चाहिए। हालांकि, पुराने रीति-रिवाजों और धार्मिक भावनाओं से जुड़े होने के कारण राज्य सरकारों को टैंकरों के माध्यम से पवित्र गंगाजल उपलब्ध कराने के लिए एक प्रणाली विकसित करनी चाहिए जो कि एक तय स्थान पर उपलब्ध होनी चाहिए ताकि आस-पास के भक्त ऐसी गंगाजल एकत्र कर सकें और अभिषेक कर सकें।' उसने कहा कि कांवड़ यात्रा की सदियों पुरानी परंपरा और उससे जुड़ी धार्मिक भावनाओं को देखते हुए राज्य सरकारों को पवित्र गंगाजल को टैंकरों के माध्यम से चिह्नित/निर्दिष्ट स्थानों पर उपलब्ध कराने के लिए एक प्रणाली विकसित करनी चाहिए ताकि आसपास के भक्त गंगाजल लेकर निकटतम शिव मंदिरों में अभिषेक कर सकें। जीवन का मौलिक अधिकार सर्वोच्च: सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने आज की सुनवाई में कहा कि जीवन का अधिकार भारत के हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और नागरिकों को प्राप्त सभी अधिकारों से सर्वोच्च है। कोर्ट ने कहा कि देश के नागरिकों के जीवन और स्वास्थ्य का अधिकार सर्वोपरि है और धार्मिक भावनाओं सहित अन्य सभी भावनाएं इसके अधीन हैं। जस्टिस रोहिंटन नरीमन और बीआर गवई की बेंच ने कहा, "हमारा विचार है कि यह हम सभी से संबंधित है और जीवन के मौलिक अधिकार सबसे ऊपर है। भारत के नागरिकों का स्वास्थ्य और जीवन का अधिकार सर्वोपरि है, अन्य सभी भावनाएं चाहे धार्मिक हों, इस मूल मौलिक अधिकार के अधीन हैं। कोर्ट ने कहा कि 100 फीसदी उत्तर प्रदेश राज्य इसके साथ आगे नहीं बढ़ सकता। यूपी सरकार को एक मौका सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो कांवड़ियों के जत्थों को सड़क पर पैदल जाने की अनुमति देने के पक्ष में नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को जीवन का मौलिक अधिकार प्राप्त है। कोरोना काल में कावंड़ यात्रा से कई जिंदगियां खतरे में आ सकती हैं, इसलिए यूपी सरकार को अपने फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए। उसने कहा, 'हम यूपी सरकार को एक मौका देना चाहते हैं। वो अपने फैसले पर विचार करे और सोमवार तक हमें एक विस्तृत हलफनामा दे।' उसने कहा कि सोमवार तक बताए कि यूपी सरकार का क्या रुख है? संभव नहीं कांवड़ यात्रा सर्वोच्च न्यायलय ने अभी कोई आदेश पारित नहीं किया लेकिन मामले को आगे के विचार के लिए लिस्ट कर दिया है। उसने यूपी सरकार को पुनर्विचार करने के साथ यह भी कह दिया है कि जरूरत पड़ने पर वो (सुप्रीम कोर्ट) अहम फैसला दे सकता है। दरअसल, कानून-व्यवस्था लागू करना कार्यपालिका की जिम्मेदारी है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को एक मौका दिया है कि वो अपने फैसले पर विचार करे। कोर्ट ने यह मौका देते हुए भी निर्देश दे दिया है कि उसे कांवड़ यात्रा को रोकना ही होगा। अगर सरकार ऐसा नहीं करेगी तो इसके लिए भी सुप्रीम कोर्ट ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया। उसने साफ कहा कि सोमवार को यूपी सरकार के हलफनामे के बाद जरूरत पड़ी तो वो अपना आदेश सुनाएगा। मतलब, सुप्रीम कोर्ट ने संकेतों में यही कहा है कि यूपी सरकार खुद ही कांवड़ यात्रा को रद्द कर दे, नहीं तो उसे कोई आदेश जारी करना होगा। यूपी सरकार की दलील यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मिले नोटिस के जवाब में कांवड़ यात्रा को मंजूरी दिए जाने की वकालत की है। उसने कहा है कि धार्मिक महत्व के कारण कांवड़ यात्रा को शर्तों के साथ मंजूरी दी गई है। वैक्सीनेसन और नेगेटिव रिपोर्ट के आधार पर कांवड़ यात्रा को मंजूरी दी गई है। उसने कहा कि कोविड प्रॉटोकॉल का पालन करते हुए ही कांवड़ यात्रा होगी। ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 महामारी के बीच वार्षिक कांवड़ यात्रा आयोजित करने से संबंधित एक स्वत: संज्ञान लिया है।
from India News: इंडिया न्यूज़, India News in Hindi, भारत समाचार, Bharat Samachar, Bharat News in Hindi, coronavirus vaccine latest news update https://ift.tt/3B8ZV3I
अब संभव नहीं कांवड़ यात्रा? जानें यूपी और केंद्र सरकार के हलफनामे पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट
Reviewed by Fast True News
on
July 16, 2021
Rating:

No comments: