ब्लॉगः लंदन के मेडिकल जर्नल लांसेट का क्या केंद्र सरकार की आलोचना का क्या तुक
करीब 200 साल पहले अंग्रेज सर्जन थॉमस वैक्ले ने ‘द लांसेट’ का पब्लिकेशन शुरू किया। मेडिकल जगत में इस साप्ताहिक शोध पत्रिका की खूब प्रतिष्ठा है, लेकिन क्या इसमें छपे हर वाक्य को गीता, बाइबल या कुरान जैसी महिमा मिलनी चाहिए? इधर, द लांसेट ने अपने संपादकीय में कोविड-19 महामारी की हैंडलिंग को लेकर भारत सरकार की आलोचना की है। उसने लिखा है कि मोदी सरकार की दिलचस्पी महामारी को नियंत्रित करने में कम, ट्विटर से अपनी आलोचनाएं हटाने में अधिक थी। यह भी लिखा गया कि इसके लिए भारत सरकार को ‘माफ नहीं किया जा सकता’।
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ब्लॉगः लंदन के मेडिकल जर्नल लांसेट का क्या केंद्र सरकार की आलोचना का क्या तुक
Reviewed by Fast True News
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May 11, 2021
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