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भारत के 'जेम्स बॉन्‍ड' से इतना घबराया क्‍यों है पाक? 7 साल पड़ोसी देश में बिताने वाले डोभाल की कहानी

भारत के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के ऑफिस की वीडियो रेकी किए जाने की बात सामने आई है। डोभाल के लिए यह कोई नई बात नहीं। जिस पोजिशन पर वो हैं और जैसा उनका बैकग्राउंड रहा है, उसे देखते हुए भारत के किसी भी दुश्‍मन देश के लिए डोभाल पर नजर रखना बेहद अहम हो जाता है। मगर पाकिस्‍तान के लिए डोभाल कुछ ज्‍यादा ही खास हैं। इसकी कुछ खास वजहें हैं। डोभाल के सहारे भारत ने पाकिस्‍तान को पिछले तीन-चार दशक में अच्‍छी-खासी चोट पहुंचाई है। उत्‍तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्‍मे डोभाल का करियर बतौर आईपीएस ऑफिसर शुरू हुआ था। देश के भीतर दुश्‍मनों से निपटने के साथ-साथ विदेश में, खासतौर पर पाकिस्‍तान में डोभाल ने अपने काम से अलग छाप छोड़ी है।

ग्‍लोबल आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्‍मद (Jaish-e-Mohammed) पाकिस्‍तान की सरजमीं से चलता है। जैश के सरगना मसूद अजहर (Masood Azhar) के साथ राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (NSA Ajit Doval) का काफी पुराना कनेक्‍शन है। इसी जैश के एक फ्रंट ग्रुप से जुड़े आतंकी ने हाल ही में NSA ऑफिस की रेकी करने का खुलासा किया है।


'भारत के जेम्‍स बॉन्‍ड' से इतना क्‍यों घबराता है पाकिस्‍तान? जानें अजीत डोभाल का मसूद अजहर से क्‍या है कनेक्‍शन

भारत के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA)

अजीत डोभाल के ऑफिस की वीडियो रेकी

किए जाने की बात सामने आई है। डोभाल के लिए यह कोई नई बात नहीं। जिस पोजिशन पर वो हैं और जैसा उनका बैकग्राउंड रहा है, उसे देखते हुए भारत के किसी भी दुश्‍मन देश के लिए डोभाल पर नजर रखना बेहद अहम हो जाता है। मगर पाकिस्‍तान के लिए डोभाल कुछ ज्‍यादा ही खास हैं। इसकी कुछ खास वजहें हैं। डोभाल के सहारे भारत ने पाकिस्‍तान को पिछले तीन-चार दशक में अच्‍छी-खासी चोट पहुंचाई है। उत्‍तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्‍मे डोभाल का करियर बतौर आईपीएस ऑफिसर शुरू हुआ था। देश के भीतर दुश्‍मनों से निपटने के साथ-साथ विदेश में, खासतौर पर पाकिस्‍तान में डोभाल ने अपने काम से अलग छाप छोड़ी है।



पाकिस्‍तान को डोभाल से इतनी चिढ़ क्‍यों है?
पाकिस्‍तान को डोभाल से इतनी चिढ़ क्‍यों है?

अजीत डोभाल को जासूसी का लंबा अनुभव रहा है। अंडरकवर रहते हुए पाकिस्‍तान में करीब सात साल बिताए। कहा जाता है कि इस दौरान वह एक मुसलमान के रूप में इस्‍लामाबाद में रहकर खुफिया जानकारी जुटाते रहे। 90 के दशक की शुरुआत में डोभाल को कश्‍मीर भेजा गया था। कश्‍मीर पाकिस्‍तान के लिए आतंक का प्‍लेग्राउंड रहा है। उसकी हर साजिश का कोई न कोई सिरा कश्‍मीर से होकर गुजरता है। डोभाल को जिम्‍मा दिया गया था आतंकवादियों को समझाने का। डोभाल अपने मिशन में कामयाब भी हुए और 1996 में जम्‍मू और कश्‍मीर में चुनाव का रास्‍ता साफ हुआ।



घर के भीतर और बाहर, हर जगह डोभाल की नजर
घर के भीतर और बाहर, हर जगह डोभाल की नजर

1991 में खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट ने रोमानियाई राजनयिक लिविउ राडू को किडनैप कर लिया था। उन्‍हें बचाने का प्‍लान अजीत डोभाल ने बनाया था। करीब एक दशक तक उन्होंने खुफिया ब्यूरो की ऑपरेशन शाखा का नेतृत्व किया। डोभाल 33 साल तक नॉर्थ-ईस्ट, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में खुफिया जासूस भी रहे। जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पर हुए आतंकी हमले के काउंटर ऑपरेशन ब्लू स्टार में जीत के नायक बने। अजीत डोभाल रिक्शा वाला बनकर मंदिर के अंदर गए और आतंकियों की जानकारी सेना को दी, जिसके आधार पर ऑपरेशन में भारतीय सेना को सफलता मिली।

वह 2015 में मणिपुर में आर्मी के काफिले पर हमले के बाद म्यांमार की सीमा में घुसकर उग्रवादियों के खात्मे के लिए सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन के हेड प्लानर रहे। 2019 में सीएए-एनआरसी के विरोध में दिल्ली में अचानक हिंसा भड़क गई थी। अजित डोभाल लगातार अधिकारियों को डायरेक्‍शन देते रहे। कुछ दिन बाद खुद डोभाल दिल्ली की सड़कों पर उतरे और हालात का जायजा लिया।



370 हटने के बाद नाकाम किए इमरान के मंसूबे
370 हटने के बाद नाकाम किए इमरान के मंसूबे

भारत ने 5 अगस्‍त, 2019 को जम्‍मू और कश्‍मीर का विशेष दर्जा (आर्टिकल 370) खत्‍म किया था। कश्‍मीर में पूरी तरह से कर्फ्यू था, अलगाववादी नेता नजरबंद थे। कश्‍मीर की जनता को भड़काने में पाकिस्‍तान की इमरान खान सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी। तब भी अजीत डोभाल लगातार मॉनिटरिंग कर रहे थे। वे खुद कश्‍मीर गए और वहां लोगों से बातचीत करते नजर आए।



पीएम मोदी के भरोसेमंद हैं, अपने काम में माहिर
पीएम मोदी के भरोसेमंद हैं, अपने काम में माहिर

अजीत डोभाल को रिटायरमेंट के बाद नरेंद्र मोदी सरकार में राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया गया। डोभाल की सरपरस्‍ती में भारत ने पाकिस्‍तान तो मुंहतोड़ जवाब दिया है। 2016 में जब उरी में सेना के कैंप पर घात लगाकर हमला हुआ तो पूरा देश रोया। पाकिस्‍तान की धरती से आए आतंकियों ने यह हमला किया था। जवाब देना जरूरी था। प्‍लान बना और डोभाल के सुपरविजन में सितंबर के महीने में भारत की सेना ने पीओके में घुसकर आतंकी कैंपों पर सर्जिकल स्‍ट्राइक की। 2019 में जब पाकिस्‍तानी आतंकियों ने पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले को निशाना बनाया तो जवाब में एयर स्‍ट्राइक्‍स का प्‍लान बना। जगह चुनी गई पीओके का बालाकोट। वहां पर कई आतंकी कैंपों के होने का इनपुट था। इस मिशन में भी डोभाल की अहम भूमिका थी।



मसूद अजहर और अजीत डोभाल... कहानी जारी है
मसूद अजहर और अजीत डोभाल... कहानी जारी है

अजीत डोभाल और मसूद अजहर के बीच चूहे और बिल्‍ली का खेल चलता रहा है। 1994 में जब मसूद अजहर को गिरफ्तार किया किया, तब डोभाल इंटेलिजेंस ब्‍यूरो में जाइंट डायरेक्‍टर थे। डोभाल ने मसूद अजहर से लंबी पूछताछ की थी। इसके बाद, जब कंधार कांड हुआ तो एक बार फिर अजहर और डोभाल की किस्‍मत टकराई। डोभाल उस टीम में शामिल थे जो बंधकों को छुडा़ने के लिए तालिबान से बात कर रही थी। भारत ने कंधार में बंधकों के बदले जिन आतंकियों को रिहा किया, उनमें मसूद अजहर भी एक था। छूटने के बाद ही उसने जैश-ए-मोहम्‍मद नाम से आतंकी संगठन खड़ा किया। तबसे अबतक, जैश ने भारत को कई जख्‍म दिए हैं। अजहर को कई बार 'भारत का ओसामा बिन लादेन' भी कहा गया है।





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भारत के 'जेम्स बॉन्‍ड' से इतना घबराया क्‍यों है पाक? 7 साल पड़ोसी देश में बिताने वाले डोभाल की कहानी भारत के 'जेम्स बॉन्‍ड' से इतना घबराया क्‍यों है पाक? 7 साल पड़ोसी देश में बिताने वाले डोभाल की कहानी Reviewed by Fast True News on February 12, 2021 Rating: 5

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