सीमा पर शांति का प्लान फाइनल? भारत या फिर चीन, जानिए पहले कौन हटाएगा सेना
रंजित पंडित, नई दिल्लीभारत और चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के अग्रिम मोर्चों से अपने-अपने सैनिकों, टैंकों, हॉवित्जर तोपों और शस्त्रास्त्रों से युक्त वाहनों को वापस लेने पर सहमत हो गए हैं। दोनों देशों ने पैंगोंग झील और चुसुल इलाकों में एक-दूसरे के खिलाफ सैन्य संघर्ष की सारी तैयारियां कर रखी हैं। सात महीनों से जारी इस सैन्य गतिरोध को खत्म करने की दिशा में दोनों देशों के बीच बनी सहमति को एलएसी पर शांति बहाली की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। 8वें दौर की सैन्य वार्ता में बनी सहमति दोनों देशों के बीच 6 नवंबर को हुई आठवें दौर की सैन्य वार्ता में एलएसी पर तनाव खत्म करने की व्यापक सहमति बन पाई। अब भारत और चीन की सेनाएं इसे अंजाम देने की रूपरेखा पर बातचीत कर रही हैं। योजना के मुताबिक, सेना और हथियारों को वापस लेने का काम पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे से शुरू होगी जहां चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने मई महीने की शुरुआत से ही फिंगर 4 से फिंगर 8 तक के 8 किमी की जमीन पर कब्जा कर उसे किले में तब्दील कर रखा है। फिंगर 8 से हटेंगे चीनी सैनिक आपसी सहमति के अनुसार अब पीएलए अपने सैनिकों को फिंगर 8 से पूरब की तरफ धकेलेगा जबकि भारतीय सैनिक पश्चिम की तरफ फिंगर 2 और फिंगर 3 के बीच धन सिंह थापा पोस्ट की तरफ पीछे आएंगे। यह काम चरण-दर-चरण पूरा होगा। एक देश की सेना अपने एक तिहाई सैनिक पीछे लेगी और फिर दूसरा देश भी यही करेगा तो डिसइंगेजमेंट का एक चरण पूरा होगा। नॉन-पेट्रोल जोन घोषित होंगे फिंगर और फिंग 8 सैन्य वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद संभवतः फिंगर 4 और फिंगर 8 को 'नॉन-पेट्रोल जोन' घोषित कर दिया जाएगा। हालांकि, भारत का मानना है कि एलएसी फिंगर 8 से होकर उत्तर से दक्षिण की ओर जाता है। गतिरोध खत्म करने के प्रयासों का आखिरी चरण चुसुल की पहाड़ियों को खाली करने के साथ पूरा हो जाएगा। देसपांग एरिया पर अलग से होगी बातचीत देसपांग के मैदानी इलाके पर अलग से बातचीत होगी। यहां चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों को उनके परंपरागत पेट्रोलिंग पॉइंट्स तक पहुंचने में पिछले छह महीने से अड़ंगा डाल रहे हैं। एक सूत्र ने बताया, देसपांग की समस्या पुरानी है। पहली प्राथमिकता पेंगोंग झील-चुसुल एरिया में गतिरोध खत्म करने की है। इसे खत्म करने की समयबद्ध प्रक्रिया इसी महीने शुरू हो सकती है, बशर्ते इसकी रूपरेखा तय हो जाए। इसके लिए हर दिन हॉटलाइन के जरिए बातचीत हो रही है। वहीं, कॉर्प्स कमांडर लेवल की बातचीत का अगला दौर भी होना है। चीन की नरमी के पीछे यह बड़ा कारण! आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे ने मंगलवार को स्पष्ट किया था कि मॉस्को में भारत-चीन के विदेश और रक्षा मंत्रियों की मुलाकात में बनी सहमतियों के आधार पर गतिरोध खत्म करने की पारस्परिक स्वीकार्य योजना तैयार हो रही है। सर्दियों में 15,000 फीट की ऊंचाई पर तैनात दोनों देशों के सैनिकों का टिकना दुभर हो रहा है। गतिरोध खत्म करने की चीन की रजामंदी के पीछे यह भी एक बड़ा कारण हो सकता है। धोखेबाज चीन से सतर्क रहने की सलाह हालांकि, भारतीय सैन्य कमांडर इस योजना पर फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहे हैं क्योंकि गलवान घाटी में डिसइंगेजमेंट प्रोसेस के दौरान चीन ने 15 जून को बड़ा धोखा दिया और हिंसक संघर्ष में भारत के 20 जबकि चीन के 40 से ज्यादा सैनिकों की जान चली गई थी। चेतावनी यह भी दी जा रही है कि भारतीय सैनिकों को वो इलाके नहीं छोड़ने चाहिए जहां उसकी रणनीतिक पकड़ कमजोर है।
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सीमा पर शांति का प्लान फाइनल? भारत या फिर चीन, जानिए पहले कौन हटाएगा सेना
Reviewed by Fast True News
on
November 11, 2020
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