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NEET-JEE एग्जाम टलने से छात्रों को नुकसान को बात क्यों कह रहे हैं शिक्षाविद, जानिए

नई दिल्ली कोरोना वायरस के हवाले से संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) और राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) को स्थगित करने की याचिका सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से खारिज होने के बाद भी इनके आयोजन पर सवालिया निशान लगा हुआ है। इसका कारण कोविड-19 महामारी के मद्देनजर विभिन्न वर्गों का अलग-अलग नजरिया है। एक तरफ इसे छात्रों के भविष्य के लिए जरूरी बताया जा रहा है तो दूसरी तरफ इसके विरोधी आपदा में छात्रों की मुश्किलों की हवाला देकर इसे रुकवाने की जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं। इस मामले में राजनीति भी जोर पकड़ रही है। जेईई (मेन) की परीक्षा 1 से 6 सितंबर के बीच जबकि नीट की परीक्षा 13 सितंबर को होगी। वहीं जेईई अडवांस की परीक्षा 27 सितंबर को होगी। पहले जेईई की परीक्षा 18 जुलाई से 23 जुलाई के बीच और नीट की परीक्षा 26 जुलाई को होनी थी। आइए जानते हैं कि जेईई और नीट को लेकर छात्रों, शिक्षाविदों और राजनीतिक दलों की क्या राय है... JEE और NEET को लेकर छात्रों की राय इन दोनों परीक्षाओं को लेकर छात्रों की राय बंटी हुई है। बिहार, असम जैसे बाढ़ प्रभावित राज्यों के छात्र इन परीक्षाओं में शामिल होने की राह में मुश्किलें गिना रहे हैं। हालांकि, उन छात्रों की संख्या बहुत बड़ी है जो चाहते हैं अब जेईई और नीट की परीक्षाएं नहीं टलें क्योंकि वायरस के कारण इनमें पहले से ही विलंब हो चुका है। उनका कहना है कि अगर परीक्षाएं नहीं हुईं तो उनका एक वर्ष बेकार हो जाएगा। उनका कहना है कि परीक्षा को लेकर काफी तनाव होता है और परीक्षाएं स्थगित हुईं तो उनका तनाव लंबे समय तक बरकरार रहेगा जो उनके लिए उचित नहीं होगा। तमिलनाडु में तो नीट परीक्षा के डर से एक छात्रा ने अपने घर पर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। परीक्षाओं में और देरी हुई तो छात्रों का भविष्य प्रभावित होगा : शिक्षाविद उधर, देश के साथ-साथ विदेशों के भी विभिन्न विश्वविद्यालयों के 150 से अधिक शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई (मुख्य) और नीट में यदि और देरी हुई तो छात्रों का भविष्य प्रभावित होगा। पत्र में कहा गया है, 'युवा और छात्र राष्ट्र का भविष्य हैं लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण उनके करियर पर अनिश्चितताओं के बादल छा गए हैं... परीक्षा आयोजित करने में किसी भी तरह की देरी से छात्रों का कीमती वर्ष बर्बाद हो जाएगा। हमारे युवाओं और छात्रों के सपनों और भविष्य के साथ किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता है। हालांकि, कुछ लोग बस अपने राजनीतिक एजेंडे को चलाने और सरकार का विरोध करने के लिए हमारे छात्रों के भविष्य के साथ खेलने की कोशिश कर रहे हैं।' हस्ताक्षरकर्ताओं में दिल्ली विश्वविद्यालय, इग्नू, लखनऊ विश्वविद्यालय, जेएनयू, बीएचयू, आईआईटी दिल्ली और लंदन विश्वविद्यालय, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, हिब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ यरुशलम और इजराइल के बेन गुरियन विश्वविद्यालय के भारतीय शिक्षाविद शामिल हैं। उन्होंने कहा, 'हम मानते हैं कि केंद्र सरकार पूरी सावधानी बरतते हुए जेईई और नीट परीक्षाएं आयोजित कर लेगी, ताकि छात्रों के भविष्य का ध्यान रखा जा सके और 2020-21 के लिए अकादमिक कैलेंडर तैयार किया जा सके।' परीक्षाएं रुकवाने सुप्रीम कोर्ट जाएंगे सात राज्यों के मुख्यमंत्री विपक्ष शासित प्रदेशों के सात मुख्यमंत्रियों ने संयुक्त रूप से सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। द्रमुक और आम आदमी पार्टी ने भी कोरोना संकट के समय इन परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग का समर्थन किया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ वर्चुअल मीटिंग में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि इन परीक्षाओं को रोकने के लिए राज्यों को उच्चतम न्यायालय का रुख करना चाहिए। हालांकि झारखंड के मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि न्यायालय जाने से पहले मुख्यमंत्रियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर परीक्षाओं को टालने की मांग करनी चाहिए। इस बैठक में ममता बनर्जी ने कहा कि सभी राज्य सरकारों से आग्रह है कि हालात के सामान्य होने तक इन परीक्षाओं को स्थगित कराने के लिए उच्चतम न्यायालय में जाना चाहिए। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी इसका समर्थन किया और कहा कि सितंबर में कोरोना वायरस के मामले और बढ़ सकते हैं, ऐसी स्थिति में परीक्षाएं कैसे कराई जा सकती हैं? महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सवाल किया कि आज कोरोना वायरस का संक्रमण फैल रहा है और संकट बढ़ गया है तो परीक्षाएं कैसे ली जा सकती हैं? राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पुदुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने भी इन परीक्षाओं को स्थगित करने की पैरवी की और केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ न्यायालय का रुख करने के विचार से सहमति जताई। AAP और DMK की राय उधर, आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने नीट और जेईई की परीक्षाएं स्थगित करने की मांग करते हुए केन्द्र सरकार से छात्रों के चयन के लिये वैकल्पिक पद्धति पर काम करने का अनुरोध किया। सिसोदिया ने कहा, 'तमाम ऐहतियाती कदम उठाने के बावजूद बहुत सारे शीर्ष नेता संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। ऐसे में हम 28 लाख छात्रों को परीक्षा केन्द्र भेजने का जोखिम कैसे उठा सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वे इसकी चपेट में नहीं आएंगे।' द्रमुक के मुखिया एम के स्टालिन ने इन परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग करते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार को इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का रुख करना चाहिए। जेईई और नीट परीक्षा के विरोध में एनएसयूआई की भूख हड़ताल कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने जेईई और नीट परीक्षाओं के आयोजन के विरोध में बुधवार को अनिश्चितकाल सत्याग्रह शुरू कर दिया। एनएसयूआई की मांग है कि वर्तमान समय मे इन परीक्षाओं का होना सही नहीं है। एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में ये विरोध हो रहा है, वहीं एनएसयूआई के कई अन्य कार्यकर्ता भी उनके समर्थन में दिल्ली स्थित शास्त्री भवन पर भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं। परीक्षाएं नहीं रुकीं तो छात्र आत्महत्या करेंगे: सुब्रमण्यन स्वामी बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी भी जेईई और नीट परीक्षाओं का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दोनों परीक्षाओं को दिवाली तक स्थगित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की है। उन्होंने चेताया है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो विद्यार्थी आत्महत्या का रास्ता अपनाएंगे। मोदी को लिखे अपने महत्वपूर्ण पत्र में स्वामी ने कहा, 'मेरी राय में परीक्षा आयोजित करने से देश भर के युवाओं द्वारा बड़ी संख्या में आत्महत्याएं किए जा सकती हैं।' इससे पहले राज्यसभा सांसद स्वामी ने शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल से भी परीक्षाएं स्थगित करने का आग्रह किया था। उन्होंने इसका जिक्र करते हुए पत्र में कहा कि दिवाली तक परीक्षाएं स्थगित करने के सुझाव के प्रति पोखरियाल को भी सहानुभूति है। उन्होंने कहा कि हालांकि इसे प्रधानमंत्री की सहमति की जरूरत है। ध्यान रहे कि तमिलनाडु में आगामी नीट परीक्षा के डर से एक छात्रा ने अपने घर पर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी। पूर्वी वेंकटसामी रोड निवासी 19 वर्षीय छात्रा सितंबर में होने वाली नीट परीक्षा की तैयारी कर रही थी और इसे लेकर वह अवसाद में थी। उन्होंने कहा कि परीक्षा में पास ना होने से डर से लड़की ने यह कदम उठाया। किशोरी की मां ने उसे अपने कमरे में फंदे पर लटकते देखा। जेईई और नीट जैसी परीक्षाएं वर्ष बचाने के लिए अनिवार्य : NTA नैशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने जेईई और नीट जैसी प्रतियोगिता परीक्षाएं करवाए जाने को अनिवार्य बताया है। एनटीए के मुताबिक एक अकैडमिक कैलेंडर वर्ष को बचाने के लिए तथा कई उम्मीदवारों के एक वर्ष को बचाने के लिए प्रवेश परीक्षाओं का संचालन करना आवश्यक है। एनटीए ने कहा कि अगर इसे शून्य वर्ष मानते हैं तो हमारा सिस्टम एक सत्र में दो साल के उम्मीदवारों को कैसे समायोजित कर पाएगा। एनटीए का पूरा प्रयास है कि एक साल की बचत हो, भले ही सत्रों में थोड़ी देरी हो। ऑड-इवन सिस्टम से होगी परीक्षा : NTA एनटीए के महानिदेशक विनीत जोशी ने कहा, 'जेईई परीक्षा कंप्यूटर पर होती है। यहां दो कंप्यूटर के बीच 1 मीटर की दूरी है लेकिन इसके बाद भी हमने ऑड-इवन की व्यवस्था की है। दो शिफ्ट में परीक्षा होगी। सुबह की शिफ्ट में छात्र ऑड नंबर वाले कंप्यूटर और शाम की शिफ्ट में इवन नंबर वाले कंप्यूटर पर बैठकर परीक्षा देंगे।' जोशी ने कहा, 'जिन छात्रों को विश्वास नहीं हो पा रहा है, उन बच्चों को मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि परीक्षा के दौरान पूरी सावधानी बरती जाएगी। बचाव का पूरा ध्यान रखा जाएगा। निर्णय हुआ है कि एक कक्षा में 12 से अधिक छात्र नहीं होंगे। इसके लिए परीक्षा केंद्रों को बढ़ाया गया है। हालांकि किसी बड़े सेंटर को बहुत बड़ा भी नहीं कर सकते, क्योंकि भीड़ को इकट्ठा होने से भी रोकना है।' 99% छात्रों को मिले पसंद के सेंटर : NTA नैशनल टेस्टिंग एजेंसी ने ये सुनिश्चित किया कि 99 प्रतिशत से अधिक उम्मीदवारों को उनकी पसंद के परीक्षा केंद्र मिले। इन परीक्षाओं के लिए छात्रों को उनकी पसंद एवं घरों के नजदीक परीक्षा केंद्र चुनने का विकल्प दिया गया था। छात्रों को वरीयता क्रम के हिसाब से परीक्षा केंद्रों के विकल्प को चुनना था। एनटीए के मुताबिक 99 फीसदी छात्रों को उनकी पहली पसंद के आधार पर परीक्षा केंद्र आवंटित किए गए हैं। विनीत जोशी ने परीक्षाओं के विषय में जानकारी देते हुए कहा, 'जेईई परीक्षा के लिए परीक्षा केंद्रों की संख्या भी 570 से बढ़ाकर 660 कर दी गई है। वहीं नीट के लिए परीक्षा केंद्रों की संख्या 2546 से बढ़ाकर 3843 की गई है।' नीट और जेईई जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में 27 लाख से अधिक छात्रों को अपनी पसंद का परीक्षा केंद्र चुनने का अवसर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा देश की सर्वोच्च अदालत ने दोनों परीक्षाओं को रोकने की मांग वाली याचिका पर फैसला देते हुए कहा कहा कि वायरस के प्रकोप के बावजूद जीवन गुजर रहा है और सितंबर में नैशनल टेस्टिंग एजेंसी के फैसले में दखल देकर वह छात्रों के करियर को खतरे में नहीं डाल सकता है। कोरोना वायरस के चलते नीट और जेईई मेन परीक्षाओं को दो बार स्थगित किया जा चुका है। पहले ये परीक्षाएं मई में होनी थीं, जिन्हें बाद में जुलाई में करवाने का फैसला किया गया। हालांकि संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर नीट और जेईई मेन की परीक्षाएं सितंबर में कराने का फैसला किया गया। अब जेईई मेन की परीक्षाएं 1 से 6 सितंबर और नीट की परीक्षा 13 सितंबर को आयोजित की जानी है।


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NEET-JEE एग्जाम टलने से छात्रों को नुकसान को बात क्यों कह रहे हैं शिक्षाविद, जानिए NEET-JEE एग्जाम टलने से छात्रों को नुकसान को बात क्यों कह रहे हैं शिक्षाविद, जानिए Reviewed by Fast True News on August 26, 2020 Rating: 5

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