भोपाल गैस: 5 लाख पीड़ितों के हरे हुए जख्म
भोपाल मध्य प्रदेश के चर्चित के 35 साल के बाद 5 लाख से ज्यादा पीड़ित आज भी भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल ऐंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) की मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं पर निर्भर हैं। उनके बच्चों को भी यही सुविधाएं मिलेंगी। भारत सरकार के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के तहत काम कर रहा है। अस्पताल की वेबसाइट इस अस्पताल की मौजूदा हालत की सही तस्वीर बयान करती है। इस पर ताजा सालाना रिपोर्ट साल 2013-14 की है। लगभग 140 करोड़ रुपये के वार्षिक बजट के बावजूद - जिसमें से 60% यहां काम करने वालों के वेतन पर खर्च हो जाता है- यह अस्पताल खुद में 'बीमार' है। ऑन्कोलॉजी, न्यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, गैस्ट्रोमेडिसिन और गैस्ट्रोसर्जरी जैसे महत्वपूर्ण विभागों में सेवाएं विशेषज्ञों की कमी के कारण प्रभावित हुई हैं। बीएमएचआरसी के ऑन्कोलॉजी विभाग ने अगस्त 2017 में बंद कर दिया था, इसके एकमात्र सर्जन ने इस्तीफा दे दिया था। उपेक्षित हैं भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नवाब खान के अनुसार, जिस तरह से केंद्र सरकार बीएमएचआरसी का संचालन कर रही है उससे भोपाल पीड़ितों की उपेक्षा साफ पता चलती है। वह कहते हैं, 'पिछले कई सालों से नेफ्रोलॉजी और सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के विभाग बंद हैं और न्यूरोलॉजी, पल्मोनरी मेडिसिन, सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और गैस्ट्रो मेडिसिन में कोई विशेषज्ञ नहीं हैं।' अब 2016 में बीएमएचआरसी, एम्स भोपाल, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के अधिकारियों की एक उप-समिति का गठन किया गया था, जो जल्द ही सरकार को रिपोर्ट सौंपने वाली है। सरकारी उदासीनता की आलोचना भोपाल गैस त्रासदी की 35 वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर, इसमें बचे पीड़ितों के चार संगठनों के नेताओं ने पीड़ितों की चिकित्सा, आर्थिक और सामाजिक पुनर्वास के प्रति सरकारों की निरंतर उदासीनता की आलोचना की। लगभग 1.02 लाख लोग प्रभावित हुए थे मालूम हो कि 2 और 3 दिसंबर 1984 के बीच की रात को यूनियन कार्बाइड के भोपाल स्थित कारखाने से रिसी जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनाइड से 3,000 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 1.02 लाख लोग प्रभावित हुए थे। तीन दशक पहले हुई गैस त्रासदी की जहरीली गैस से प्रभावित लोग अब भी कैंसर, ट्यूमर, सांस और फेफड़ों की समस्या जैसी बीमारियों से ग्रसित हैं।
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भोपाल गैस: 5 लाख पीड़ितों के हरे हुए जख्म
Reviewed by Fast True News
on
December 02, 2019
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