महाराष्ट्र के 4 मुश्किल सवाल, जानें कानूनी जवाब
नई दिल्ली क्या एनसीपी पर भी कानूनी हक दिखा सकते हैं? विश्वासमत के दौरान विधानसभा के अंदर अजित की हैसियत क्या होगी? ऐसे तमाम मसले पर पूर्व लोकसभा सेक्रेटरी जनरल, संविधान विशेषज्ञ पीडीटी अचारी, सीनियर एडवोकेट केटीएस तुलसी, पूर्व राज्यसभा सेक्रेटरी जनरल और संविधान विशेषज्ञ योगेन्द्र नारायण और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी से हमारे विशेष संवाददाता नरेंद्र नाथ की बात.... एनसीपी में विप जारी करने का अधिकार अब किसमें निहित है? -विप जारी करने का अधिकार पार्टी की ओर से नियुक्ति पदाधिकारी के पास होगा। इसकी नियुक्ति विधानसभा में शपथ लेने के बाद होगी और इसके साथ ही इस बात की जानकारी विधानसभा के स्पीकर को दी जाएगी। - पीडीटी अचारी -एनसीपी विधायक दल का नेता जिसे अपना चीफ विप चुनेगा, उसे ही इसका अधिकार होगा। अभी अजित पवार के निर्देश का कोई कानूनी महत्व नहीं है। - केटीएस तुलसी -यह अधिकार विधानसभा में शपथ के बाद पार्टी विधायकों की ओर से चुने गए पदाधिकारी को है। उससे पहले किसी का कोई कोई संवैधानिक मतलब नहीं है। -योगेन्द्र नारायण• यह सारी बातें विधानसभा के अंदर ही तय हो सकता है। - एसवाई कुरैशी अजित पवार अगर विप जारी करते हैं तो क्या शरद कैंप के विधायकों की सदस्यता जा सकती है? -अगर अजित पवार को पार्टी विधायकों ने बहुमत से निकाल दिया है तो फिर उनकी विप का कोई मतलब नहीं होगा। जब तक विधानसभा का गठन नहीं है तब का विप कैसे जारी होगा। - पीडीटी अचारी -अजित पवार जब खुद एनसीपी विधायक दल के नेता नहीं है तो फिर बाकी उनका कोई आदेश पार्टी पर लागू होगा। सवाल ही नहीं पैदा होता है। - केटीएस तुलसी पढ़ें, -जैसा कि मैंने कहा कि जब तक विधानसभा का गठन नहीं हुआ तब तक पुराना कोई आदेश मतलब नहीं रखता है। शपथ लेने के बाद एनसीपी जो आदेश जारी करेगी वही कानूनी प्रभाव में आएगा। - योगेन्द्र नारायण -यह सारी बातें विधानसभा के अंदर ही तय हो सकती हैं। अजित पवार को एनसीपी का नेता खुद को बताने के लिए बहुमत का संख्या दिखाना होगा। तब पार्टी किसकी यह भी सवाल उठेगा। - एसवाई कुरैशी अगर पवार कैंप के दो तिहाई सदस्य एक साथ इसका उल्लंघन करते हैं तब क्या होगा? -अगर दो तिहाई से अधिक के साथ होंगे तो मूल पार्टी और उससे जुड़े तमाम फैसले लेने का अधिकार उनके पास ही होगा। जो नेता इनका आदेश नहीं मानेगा वही उल्लंधन करेगा। - पीडीटी अचारी पढ़ें, -यह उल्लंघन नहीं होगा। यह पार्टी की ओर से सामान्य कामकाज होगा। संसदीय प्रणाली में संख्या बल सबसे अहम होता है। इनका स्टैंड ही पार्टी का असल स्टैंड होगा। - केटीएस तुलसी -जब दो तिहाई सदस्य शरद पवार के साथ रहेंगे तो पार्टी उनके पास ही रहेगी और उनकी ओर से नियुक्ति पदाधिकारी का ही आदेश कानूनी रूप से बाध्य होगा। - योगेन्द्र नारायण -पार्टी के अंदर अगर इस तरह की स्थिति पैदा होती है और पार्टी मूल रूप से किसका, तब ऐसे मामले में चुनाव आयोग की भूमिका सामने आ सकती है। अगर अजित पवार दावा करते हैं कि असली पार्टी उनके पास है तो विधायक से लेकर संगठन तक, सभी जब साबित करना होगा कि बहुमत उनके साथ है। - एसवाई कुरैशी नए नेता को अगर विधानसभा अध्यक्ष मान्यता नहीं देते तो क्या असर होगा? -विधानसभा के अध्यक्ष ऐसा नहीं कर सकते हैं। पहली बात यह है कि पार्टी के अध्यक्ष ही सबकुछ तय करने में सक्षम होता है। बाकी अधिकार विधायकों की ओर से निर्वाचित नेता को होगा। जो लिखित रूप में अध्यक्ष को मिलेगा, वह उसे मानेंगे। - संविधान विशेषज्ञ पीडीटी अचारी -ऐसा कैसे हो सकता है? कानूनी रूप से किसी दल के चयनित नेता को मान्यता देना ही पड़ती है। - केटीएस तुलसी पढ़िए, -विधानसभा अध्यक्ष किसी दल के निर्वाचित विधायकों की ओर से चुने गए नेता को मान्यता देने के लिए बाध्य हैं। शपथ के बाद सभी दल अपना नेता चुनेंगे। - योगेन्द्र नारायण -सामान्यता ऐसा नहीं होता है। अगर उलझन रहती है तो वे स्पष्टीकरण मांग सकते हैं। लेकिन अपने स्तर पर किसी पार्टी के फैसले के खिलाफ नहीं जा सकते हैं। - एसवाई कुरैशी
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महाराष्ट्र के 4 मुश्किल सवाल, जानें कानूनी जवाब
Reviewed by Fast True News
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November 24, 2019
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