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'बच्चा पार्टी' से डेप्युटी CM, दुष्यंत की कहानी

चंडीगढ़ हरियाणा की सियासत में इस साल की दीपावली बेहद खास है। प्रदेश की राजनीति में जहां एक नई सरकार का गठन होने जा रहा है, वहीं रविवार को ही बतौर डेप्युटी सीएम बनने जा रहे हैं। महज 11 महीने के छोटे से वक्त में दुष्यंत ने अपने को हरियाणा के किंगमेकर की भूमिका में पेश किया। सत्ता में किंगमेकर बने दुष्यंत चौटाला को इस बार दीवाली गिफ्ट में उप-मुख्यमंत्री का पद मिला है। सत्ता के शीर्ष पद पर पहुंचने वाले दुष्यंत चौटाला ने पिछले साल दिसंबर में उन्होंने जेजेपी के नाम से अपनी नई पार्टी बनाई थी। हरियाणा के कद्दावर सियासी परिवार के वारिस दुष्यंत को सियासत विरासत में मिली है। उनके परदादा और पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल ताऊ के नाम से चर्चित थे। चुनाव से पहले दुष्यंत की पार्टी को विपक्षियों ने हल्के में लिया था, लेकिन चंद महीनों में ही दुष्यंत देवीलाल की विरासत के वारिस बनते नजर आ रहे हैं। खास बात यह कि कुछ वक्त पहले तक हरियाणा की जिस को लोग 'बच्चा पार्टी' कहते थे, उसे दुष्यंत ने एक साल के भीतर ही सत्ता के शीर्ष तक पहुंचा दिया। एक नजर दुष्यंत चौटाला और उनकी पार्टी के सफर पर: पढ़ें: सबसे युवा सांसद का रेकॉर्ड दुष्यंत चौटाला जेजेपी के अध्यक्ष और संस्थापक हैं। 16वीं लोकसभा में वह हिसार निर्वाचन क्षेत्र से सांसद चुने जा चुके हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में चौटाला ने हरियाणा जनहित कांग्रेस (भजनलाल) के कुलदीप बिश्नोई पर जीत हासिल की थी। इसके बाद उनका नाम 'लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड' में दर्ज किया गया। दुष्यंत का जन्म 3 अप्रैल 1988 को अजय चौटाला और नैना चौटाला के घर हुआ। दुष्यंत हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के पोते हैं। इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) से निष्कासित होने के बाद उन्होंने 9 दिसंबर, 2018 को जेजेपी का गठन किया था। पीएम मोदी ने भी रैली में किया जिक्र हरियाणा के घाघ राजनेता जिस जेजेपी को बच्चा पार्टी कहते थे, उसने चंद महीनों में खुद को खड़ा कर अपने तेवर दिखा दिए। दुष्यंत चौटाला की अगुआई वाली यह पार्टी आज चुनाव नतीजों के वक्त चर्चा के बड़े केंद्र में है। इस पार्टी का नाम तो खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरियाणा में हुई एक रैली के दौरान कर चुके हैं। बात साफ है कि सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों के बीच जंग में जेजेपी ने खुद का लोहा मनवा लिया है और इस चुनाव से यह भी साफ हो गया है कि प्रदेश की राजनीति में अब जेजेपी के ऊपर चस्पा बच्चा पार्टी का लेबल भी धुल गया है। पढ़ें: अकेले ही मैदान में लिया लोहा पिछले साल गोहाना रैली के दौरान चौटाला परिवार में विघटन का बीज पड़ गया था और उसके बाद इस सियासी परिवार की रार कुछ इस तरह सड़कों पर आई कि आईएनएलडी सुप्रीमो व दुष्यंत चौटाला के दादा ने पार्टी छोड़कर जाने वालों को गद्दार तक कह डाला था। बाद में दादी के निधन पर यह परिवार जरूर इकट्ठा हुआ लेकिन, सियासत की राहें तमाम चर्चाओं और कयासों के बीच जुदा ही रहीं। 11 महीने में जेजेपी का कमाल 11 महीने पहले दिग्गज चौटाला परिवार से टूटकर बनी जेजेपी की कमान युवा दुष्यंत चौटाला के हाथों में आई थी। उनकी पीठ पर पिता व पूर्व सांसद अजय चौटाला का हाथ था तो निवर्तमान विधायक मां नैना चौटाला और भाई दिग्विजय चौटाला भी थे। आईएनएलडी छोड़कर आए 4 विधायक भी साथ खड़े हुए तो देखते-देखते जेजेपी का संगठन खड़ा होता चला गया। कुछ समय के लिए आम आदमी पार्टी से लेकर बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) भी साथ आए लेकिन, साथ छूट गया। जींद उपचुनाव से जेजेपी का बढ़ा ग्राफ इस बीच जेजेपी जींद विधानसभा उपचुनाव में उतरी। उसे आम आदमी पार्टी का समर्थन मिला। विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले हुए इस चुनाव में पहली बार बीजेपी ने जींद की धरती पर कमल खिलाकर इतिहास रचा लेकिन, दूसरा इतिहास जेजेपी ने दूसरे नंबर पर आकर रचा। इसके बाद जेजेपी और आप की राहें अलग हो गईं। बाद में जेजेपी को बीएसपी का साथ मिला जो ज्यादा दिन नहीं चला और आखिर में जेजेपी अपने दम पर सभी 90 सीटों पर उतरी। जब बीजेपी और कांग्रेस के बीच आमने-सामने की लड़ाई की बात पक्की मान ली गई थी उस वक्त जेजेपी ने कुछ सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला बनाकर सियासी विश्लेषकों को हैरान कर दिया।


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'बच्चा पार्टी' से डेप्युटी CM, दुष्यंत की कहानी 'बच्चा पार्टी' से डेप्युटी CM, दुष्यंत की कहानी Reviewed by Fast True News on October 27, 2019 Rating: 5

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