अवैध कब्जों पर सरकार की यह कैसी नीति
नई दिल्ली केंद्र सरकार के मुताबिक, देश की करीब 13 हजार वर्ग किमी वन भूमि पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। कुछ ऐसे ही दावे राज्य सरकारों के भी हैं। राज्य सरकारें जमीनों पर अतिक्रमण से इतनी चिंतित हैं कि उन्होंने वनाधिकार कानून, 2006 के तहत वनवासियों के परंपरागत दावे को भी खारिज दिए। लेकिन, कई ऐसे मामले हैं जब सरकार ने उन लोगों के सामने समर्पण कर दिया जिन्होंने साफ-साफ अतिक्रमण,अवैध कब्जा और अवैध निर्माण कर रखा है। धर्म के नाम पर समर्पण एक तरफ तो ने करीब 17 लाख आदिवासियों को जंगल की जमीन से बेदखल करने का आदेश दे दिया। हालांकि, वनवासियों के दावों पर पुनर्विचार के लिए आदेश को अभी स्थगित रखा गया है, लेकिन उन पर बेदखली की तलवार लटकी हुई है। दूसरी तरफ इसी महीने सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार, दोनों ने लोगों की धार्मिक भावना का हवाला देकर वन भूमि पर दोबारा मंदिर बनाने की अनुमति दे दी। दिल्ली में 6 वर्ग किमी से ज्यादा वन भूमि पर अतिक्रमण है। पढ़ें: वोट के लिए गलत का साथ अतिक्रमणकारी हर जगह हैं और इससे केंद्र सरकार चिंतित है। केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय खाली पड़ी सरकार जमीन, बंगले और फ्लैट्स की अतिक्रमणकारियों से रक्षा के लिए प्राइवेट सिक्यॉरिटी गार्डों की बहाली की योजना बना रहा है। सुरक्षा के अभाव में रक्षा विभाग की करीब 40 वर्ग किमी और रेलवे की 8 वर्ग किमी से ज्यादा जमीन पर पर अवैध कब्जा हो चुका है। केंद्र सरकार ने इसी हफ्ते दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वालों को मालिकाना हक देने का ऐलान कर दिया। 175 वर्ग किमी पर फैलीं इन अवैध कॉलोनियों में कई सार्वजनिक जमीन पर अतिक्रमण से बसी हैं। केंद्र ने खुद को गरीब हितैषी साबित करने के चक्कर में 69 'समृद्ध' कॉलोनियों को उनकी हालत पर छोड़ दिया। दिल्ली में अगले कुछ महीनों में चुनाव है और इस फैसले से बीजेपी लाभ की आस लगाए है। पढ़ें: गिद्ध की तरह झपट्टा मारते हैं अतिक्रमणकारी: सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने कोची में मराडू के तटीय इलाकों में बने फैल्ट्स को 138 दिनों के अंदर ध्वस्त करने का आदेश दिया। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि केरल के तटीय इलाकों में अवैध निर्माण से पर्यावरण को घातक नुकसान पहुंच रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में कहा था, 'चाहे जितनी निगरानी की जाए, अतिक्रमणकारियों को सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण और अवैध कब्जा करने से नहीं रोका जा सकता है। ये अतिक्रमणकारी जमीन पर कब्जे और अवैध निर्माण के लिए गिद्धों जैसे झपट्टा मारते हैं और कई बार सरकारी तंत्र की मिलीभगत से अपने अवैध कब्जे और निर्माण को नियमित भी करवा लेते हैं।' लेकिन, जब मौसम चुनाव का हो तो अतिक्रमणकारियों की ताकत देखते ही बनती है।
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अवैध कब्जों पर सरकार की यह कैसी नीति
Reviewed by Fast True News
on
October 26, 2019
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