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फिर उठा सैनिकों की विकलांगता पेंशन का मसला

नई दिल्ली सैनिकों की में इनकम टैक्स छूट खत्म करने का मामला गुरुवार को फिर में उठा। जहां सेना के रिटायर्ड ऑफिसर्स टैक्स छूट खत्म करने के कदम को गलत बता रहे हैं वहीं सेना का तर्क है कि इसका मिसयूज हो रहा है इसलिए यह कदम उठाया गया। सोशल मीडिया के जरिए रिटायर्ड ऑफिसर्स आर्मी चीफ के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। क्या है मामला पिछले हफ्ते वित्त मंत्रालय से एक आदेश जारी किया गया। जिसमें कहा गया कि विकलांग सैनिकों को मिलने वाली पेंशन पर अब इनकम टैक्स में छूट सिर्फ उन्हें ही मिलेगी जो अपनी विकलांगता की वजह से सेना में सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं और विकलांगता के चलते नौकरी छोड़नी पड़ रही है। जो विकलांग निश्चित सेवाएं देने के बाद सेना से रिटायर हुए हैं उन्हें इनकम टैक्स की छूट का लाभ नहीं मिल पाएगा। इस आदेश पर विवाद हो रहा है। लोकसभा में उठा मामला पिछले हफ्ते भी लोकसभा में यह मामला उठा जिसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वह इस मामले को देखेंगे। गुरुवार को कांग्रेस सांसद जसवीर सिंह ने यह मामला उठाया और कहा कि यह असंवेदनशील और सैनिकों का अपमान करने वाला फैसला है। इस आदेश को वापस लिया जाना चाहिए। पक्ष-विपक्ष के अपने अपने तर्क आर्मी हेडक्वॉर्टर की तरफ से इस आदेश को सही बताया जा रहा है और कहा गया है कि विकलांग सैनिकों को दिए जाने वाले आर्थिक लाभ और टैक्स में छूट का फायदा उठाने के लिए कुछ लोग लाइफ स्टाइल की वजह से होने वाली बीमारी को भी विकलांगता मानते हैं और ऐसे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है। सूत्रों के मुताबिक पिछले दो साल में आर्मी में करीब 2000 ऑफिसर्स ने विकलांगता पेंशन के लिए अप्लाई किया है। \ इस आदेश के समर्थन में यह तर्क दिया जा रहा है कि जिन सैनिकों को विकलांगता की वजह से नौकरी छोड़नी पड़ती है उनके लिए नियम नहीं बदला जा रहा है। जो लोग विकलांगता के बाद भी सेना में नौकरी जारी रखते हैं, उन्हें तय नियम और वक्त के हिसाब से प्रमोशन भी मिलते हैं, सैलरी और दूसरे अलाउंस भी मिलते हैं। जब वह रिटायर हो जाते हैं तब उन्हें उनकी पेंशन के साथ ही डिसएबिलिटी पेंशन भी मिलती है और फिर इस पूरी रकम पर टैक्स में छूट भी मिलती है। उनका तर्क है कि जब कोई अपनी नौकरी बिना बाधा के पूरी कर रहा है फिर रिटायरमेंट के बाद उन्हें उस सैनिक की तरह का फायदा क्यों दिया जाना चाहिए जिन्हें विकलांगता की वजह से नौकरी छोड़नी पड़ रही है। हालांकि मेजर जनरल हर्ष कक्कड़ (रिटायर्ड) का कहना है कि सिस्टम का मिसयूज करने वाले लोग हर जगह हैं और उस मिसयूज को बंद करने की बजाय सबको सजा देना गलत है। उन्होंने कहा कि जो विकलांग सैनिक अपनी सर्विस पूरी करते हैं वह सर्विस के दौरान विकलांगता पेंशन नहीं लेते हैं, साथ ही सैलरी में पूरा टैक्स भी दे रहे हैं। वह काम कर रहे हैं तो सरकार को ही फायदा है। जब वह रिटायर हो जाते है उसके बाद ही विकलांगता पेंशन और टैक्स में छूट मिलती है। मेजर जनरल कक्कड़ ने कहा कि आर्मी को डिटेल स्टडी कर ऐसे तरीके ढूंढने चाहिए जिससे इसका मिसयूज ना हो और फाइनेंस मिनिस्ट्री से यह आदेश वापस लेने को कहना चाहिए। क्यों होता है मिसयूज सेना के एक अधिकारी ने बताया कि अगर विकलांगता 20 पर्सेंट या ज्यादा है तो पेंशन का 50 पर्सेंट विकलांगता पेंशन के तौर पर मिलता है। विकलांगता 51 पर्सेंट या ज्यादा है तो पेंशन का 75 पर्सेंट और विकलांगता 76 पर्सेंट या ज्यादा है तो पेंशन का 100 पर्सेंट विकलांगता पेंशन के तौर पर मिलता है। जिन्हें विकलांगता पेंशन मिलती है उन्हें विकलांगता पेंशन के अलावा पेंशन की राशि में भी इनकम टैक्स में छूट मिलती है। जिससे छूट की राशि बड़ी हो जाती है। उन्होंने समझाते हुए कहा कि अगर कोई यह कहे कि सर्विस कंडीशन की वजह से उन्हें सुनाई देना कम हो गया है या इसी तरह की कोई और दिक्कत है तो वह 20 पर्सेंट विकलांगता के दायरे में आ जाता है और विकलांगता पेंशन मिलते ही पूरी पेंशन में भी इनकम टैक्स छूट मिल जाती है।


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फिर उठा सैनिकों की विकलांगता पेंशन का मसला फिर उठा सैनिकों की विकलांगता पेंशन का मसला Reviewed by Fast True News on July 04, 2019 Rating: 5

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