वो RAW अफसर फोटो कॉपी बहुत करता था... अमेरिका का जासूस बन चुके भारतीय एजेंट की कहानी
नई दिल्ली: जासूसी के पेशे में एक कायदा होता है कि कोई भी शख्स विभाग के दूसरे कर्मचारी या अधिकारी से अपने काम के बारे में बातचीत नहीं करेगा। यानी एक तरह से अपना कामकाज सीक्रेट रखना होता है। ऐसे में अगर कोई ज्यादा पूछताछ करने लगे तो शक होना लाजिमी है। इससे यह संदेह पैदा होता है कि अपना एजेंट कहीं 'डबल एजेंट' तो नहीं बन गया? ये सच्ची कहानी साल 2003-04 की है। भारत की खुफिया एजेंसी RAW के भीतर एक काउंटर इंटेलिजेंस ऑपरेशन शुरू किया गया था। यह जांच से थोड़ा अलग होता है क्योंकि इसमें अपने ही किसी खास के बारे में जानकारी निकालनी होती है। थोड़ा भी शक हुआ तो राज हमेशा के लिए दफन होने का खतरा रहता है। रबिंदर सिंह एजेंसी में संयुक्त सचिव पद पर थे। उन पर कई महीनों से नजर रखी जा रही थी। किसी ने सूचना दी थी कि वह ऐसी जानकारी पूछ रहे हैं जो उन्हें नहीं पूछनी चाहिए। कुछ दिन की निगरानी में ही साफ हो गया कि वह फोटो कॉपी बहुत करते हैं। क्यों? एजेंसी को पता करना था। उनके पीछे वॉचर लगा दिए गए, जो हर 2 घंटे में बदल जाते थे जिससे उनकी एक लोकेशन पर मौजूदगी से किसी को शक न हो। रबिंदर सिंह के केबिन यहां तक कि पंखे में भी बग लगा दिए गए। जल्द ही सबूत एजेंसी को मिलने लगे और उन्हें किसी भी समय नौकरी से बर्खास्त किया जा सकता था। वह कई लोगों से मिलते थे लेकिन एजेंसी को पता करना था कि हैंडलर कौन है? जांच में पता चला कि रबिंदर सिंह जब किसी दूसरे देश में पोस्टेड थे तो उनके परिवार में किसी की तबीयत खराब हुई थी और काफी खर्चा आया। उस समय अमेरिकन इंटेलिजेंस ने उनसे संपर्क किया था। दरअसल, अमेरिकी खुफिया एजेंसी 1998 में भारत के परमाणु परीक्षण के बाद से काफी आक्रामक थी क्योंकि तब उसे भनक नहीं लग पाई थी। वह चाहती थी कि भारत के मिशन की सूचना अंदर से ही निकालने के लिए कोई डबल एजेंट बन जाए।
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वो RAW अफसर फोटो कॉपी बहुत करता था... अमेरिका का जासूस बन चुके भारतीय एजेंट की कहानी
Reviewed by Fast True News
on
May 08, 2023
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