वो टीस आज भी जिंदा है... जब जीतते हार गए थे BSP नेता, ये बनी थी मात की वजह
गाजीपुर: उत्तर प्रदेश चुनाव के पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को है। ऐसे में सभी दल जीत को लेकर पूरी ताकत झोंक रहे हैं। वहीं, नेता भी अपनी जीत के लिए हर जुगत अपना रहे हैं। सबसे ज्यादा उन नेताओं की बेचैनी बढ़ी हुई, जिन्हें पिछले विधानसभा चुनावों में बहुत करीबी हार का मुंह देखना पड़ा था। एक ऐसा ही मामला यूपी के गाजीपुर सीट का है। ये वह दौर था, जब बीएसपी कैंडिडेट राजकुमार गौतम को एसपी प्रत्याशी विजय मिश्र से मात्र 241 वोटों से हार मिली थी। 2012 का वह साल, जब अपनी जीत को लेकर बीएसपी प्रत्याशी राजकुमार गौतम अश्वस्त थे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि बाबू सिंह कुशवाहा और मुख्तार अंसारी के लोग उनका सियासी खेल बिगाड़ने में जुटे हैं। गाजीपुर सदर विधानसभा के बीएसपी प्रत्याशी राजकुमार गौतम दस सालों के बाद फिर चुनावी रण में उतरे हैं। वह 2012 में बीएसपी के प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। 2012 के चुनावों में उन्हें मात्र 241 वोटों के अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा था। हार के बाद उन्होंने चुनाव परिणामों को हाई कोर्ट में चुनौती भी दी, लेकिन वहां भी उन्हें नाकामयाबी ही हाथ लगी और फैसला उनके हक में नही आया। बीएसपी के फिर से प्रत्याशी बनने पर गौतम ने पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच 2012 के चुनावों में हार के कारणों को साझा किया। गौतम ने बताया कि 2012 के चुनाव में वोटिंग से 3 दिन पहले बाबू सिंह कुशवाहा ने ग़ाज़ीपुर की एक सभा में कहा था कि अगर बहुजन समाज पार्टी चुनाव जीत जाएगी तो वह ( बाबू सिंह कुशवाहा) फांसी पर चढ़ जाएंगे। हालांकि, कुशवाहा को राजनीतिक ताकत बहुजन समाज पार्टी ने ही दी थी। इसके साथ ही मुख्तार अंसारी के लोगों ने 2012 में वोटिंग वाले दिन 1 बजे के बाद अपने वोट को डायवर्ट कराया था। गौतम ने आगे बताया कि यह तब किया गया, जब उन्होंने मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी को 2009 के लोकसभा चुनाव में हर तरह का सहयोग किया था। मतदाता संख्या पर रहे ध्यान गौतम ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा है कि मतदाता सूची में छूटे हुए मतदाताओं का नाम डलवाने का प्रयत्न करें। ज्यादा से ज्यादा लोग मतदान करें। नौकरियों की तलाश में बाहर गए लोग अपने गांव वापस आएं और वोट दें। इस बार 241 वोटों का नहीं, बल्कि 20000 का अंतर रहेगा, तभी विरोधी चाह कर भी चुनाव नहीं हरा सकेंगे।
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वो टीस आज भी जिंदा है... जब जीतते हार गए थे BSP नेता, ये बनी थी मात की वजह
Reviewed by Fast True News
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January 27, 2022
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