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सैलरी डिसाइड करना सरकार का काम है कोर्ट का नहीं , सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पद और वेतनमान का निर्धारण करना न्यायपालिका का नहीं बल्कि कार्यपालिका का प्राथमिक कार्य है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि पद के संबंध में और वेतनमान के निर्धारण के इस तरह के कार्य को विशेषज्ञ निकाय पर छोड़ना समझदारी होगी। पीठ ने कहा, ‘ऐसा इसलिए है क्योंकि इस तरह की नौकरी मूल्यांकन प्रक्रिया में कर्मचारियों के विभिन्न समूहों के प्रदर्शन के मूल्यांकन के लिए प्रासंगिक डेटा और पैमाने सहित विभिन्न कारक शामिल हो सकते हैं और इस तरह का मूल्यांकन वित्तीय प्रभाव डालने के अलावा कठिन और समय लेने वाला होगा।’ पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) के रूप में कार्यरत एक व्यक्ति की पेंशन में संशोधन के अनुरोध वाली याचिका को मंजूर कर लिया था। पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को निरस्त करते हुए कहा, ‘यह एक स्थापित कानूनी स्थिति है कि अनुच्छेद 227 के तहत शक्ति का उपयोग त्रुटियों को ठीक करने के लिए नहीं बल्कि कम से कम और केवल उपयुक्त मामलों में अधीनस्थ अदालतों और न्यायाधिकरणों को उनके अधिकार की सीमा के भीतर रखने के उद्देश्य से किया जाता है।’


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सैलरी डिसाइड करना सरकार का काम है कोर्ट का नहीं , सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी सैलरी डिसाइड करना सरकार का काम है कोर्ट का नहीं , सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी Reviewed by Fast True News on January 29, 2022 Rating: 5

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