'डरपोक चले जाएं, संघ वालों की कांग्रेस में जरूरत नहीं...' समझिए राहुल का किन पर है निशाना
नई दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को पार्टी के सोशल मीडिया सेल के वॉलंटियर्स के साथ मीटिंग में एक बेहद बेबाक बयान दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को निडर लोगों की जरूरत है, डरपोकों की नहीं। जो डरपोक हैं वे आरएसएस के आदमी हैं, वे कांग्रेस छोड़कर चले जाएं, ऐसे लोगों की जरूरत नहीं है। राहुल गांधी ने आखिर इस तरह का बयान क्यों दिया, इसके सियासी मायने क्या हैं? क्या इसमें पार्टी नेताओं के लिए कोई बड़ा संदेश छिपा है? आइए समझते हैं। सबसे पहले राहुल गांधी के बयान पर नजर डालते हैं। उन्होंने कहा, 'बहुत सारे लोग हैं जो डर नहीं रहे हैं...कांग्रेस के बाहर हैं..उनको अंदर लाओ और जो हमारे यहां डर रहे हैं, उनको बाहर निकालो...चलो भैया जाओ। आरएसएस के हो, जाओ भागो, मजे लो। नहीं चाहिए, जरूरत नहीं है तुम्हारी। हमें निडर लोग चाहिए। ये हमारी आइडियोलॉजी है।' बयान की टाइमिंग राहुल गांधी के इस बयान की अहमियत इसकी टाइमिंग से समझा जा सकता है। कांग्रेस में अभी बड़े संगठनात्मक बदलावों को लेकर तरह-तरह की अटकलें चल रही हैं। अगले कुछ महीनों में यूपी, पंजाब जैसे बड़े राज्यों में चुनाव भी होने वाले हैं। पंजाब में पार्टी अंदरूनी कलह से जूझ रही है। कभी नवजोत सिंह सिद्धू तो कभी कैप्टन अमरिंदर सिंह की दिल्ली दरबार में पेशी हो रही है। राजस्थान में भी कांग्रेस गुटबाजी से परेशान है। इसके अलावा असंतुष्ट नेताओं का समूह 'G-23' है ही, जिसके बारे में समय-समय पर कांग्रेस छोड़ने या अलग मोर्चा बनाने की अफवाहें उड़ती रहती हैं। अभी हाल ही में G-23 के सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने तो बीजेपी का दामन भी थाम लिया। वह एक और युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह पर चले जो कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए। कुछ दिन पहले मोदी मंत्रिपरिषद में हुए विस्तार में सिंधिया को जगह मिली और वह नागरिक उड्डयन मंत्रालय की कमान संभाल रहे हैं। सिंधिया, जितिन प्रसाद पर निशाना राहुल गांधी का यह बयान बिना नाम लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद जैसे नेताओं पर हमला है, जिन्होंने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा है। सिंधिया के साथ तो उनके कई समर्थक विधायकों ने पाला बदला था जिसकी वजह से कमलनाथ की अगुआई वाली मध्य प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार गिर गई थी और बीजेपी फिर सत्ता में आ गई। सिंधिया और जितिन प्रसाद दोनों ही कभी राहुल गांधी के बेहद करीबी नेताओं में शुमार थे। सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद भी राहुल ने खुद कभी उनके खिलाफ कोई बयान नहीं दिया। हां, एक बार इतना जरूर कहा था कि सिंधिया अगर कांग्रेस में ही रहते तो एक दिन सीएम जरूर बनते, बीजेपी में तो वह हमेशा बैकबेंचर ही रहेंगे। कांग्रेस में 'व्यक्ति नहीं विचारधारा बड़ी' का संदेश देने की कोशिश कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं को डरपोक और आरएसएस का आदमी बताकर राहुल गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को 'व्यक्ति नहीं विचारधारा अहम' का संदेश देने की कोशिश की है। साथ ही, यह जताया कि वह या कांग्रेस पार्टी ऐसे नेताओं को तवज्जो नहीं देती, ऐसे नेताओं का जाना ही पार्टी हित में है। इस तरह राहुल ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में एक तरह से जोश भरने की कोशिश की है जो चुनावों में पार्टी के लचर प्रदर्शन और नेताओं के पार्टी छोड़ने से निराश हैं। कुछ दिन पहले ही पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत बनर्जी ने भी कांग्रेस छोड़ टीएमसी का दामन थाम लिया है। बागी तेवर दिखा रहे नेताओं को खरी-खरी राहुल गांधी का यह बयान कांग्रेस के उन नेताओं के लिए भी साफ संदेश है जो जब-तब बागी तेवर दिखाते रहते हैं। इनमें G-23 में शामिल वे बड़े नेता भी हैं जिन्होंने पिछले साल संगठनात्मक चुनाव न होने और पार्टी की कार्यप्रणाली को लेकर सोनिया गांधी को तीखे लहजे में खत लिखा था। इसके अलावा पंजाब और राजस्थान में पार्टी अंदरूनी कलह से जूझ रही है। पंजाब में विधानसभा चुनाव से महज कुछ महीने पहले ही पार्टी सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू गुट में बंटी हुई दिख रही है। राजस्थान में तो सचिन पायलट एक बार सिंधिया की राह पर चलते-चलते रुक गए थे। तब कांग्रेस हाई कमान के त्वरित हस्तक्षेप के बाद गहलोत और पायलट में सुलह तो हो गई थी लेकिन अभी भी पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है। ऐसे में राहुल गांधी ने साफ संदेश दिया है कि बागी तेवरों को पार्टी अब बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।
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'डरपोक चले जाएं, संघ वालों की कांग्रेस में जरूरत नहीं...' समझिए राहुल का किन पर है निशाना
Reviewed by Fast True News
on
July 16, 2021
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