अयोध्या के महंत आखिर पटना के महावीर मंदिर पर क्यों ठोक रहे हैं दावा?
पटना हनुमानगढ़ी अयोध्या ने पटना के महावीर मंदिर पर मालिकाना हक जताया है। हनुमानगढ़ी का कहना है पटना के महावीर मंदिर पर उसका हक है। इसके एक महीने तक हस्ताक्षर कैंपेन चलाया गया। इसी को अधार बनाकर बिहार धार्मिक न्यास पर्षद को पत्र भेजकर हनुमानगढ़ी ने स्वामित्व का अधिकार मांगा है। महावीर मंदिर और हनुमानगढ़ी का क्या है पूरा विवाद? दरअसल महावीर मंदिर पटना में हनुमानगढ़ी अयोध्या के साधु पूजा-अर्चना करते रहे हैं। अयोध्या के हनुमानगढ़ी से आए पुजारी उमा शंकर दास पटना के महावीर मंदिर में पूजा-अर्जना करते थे। उनके खिलाफ शिकायतें मिलने की वजह से महावीर मंदिर से हटा दिया गया। हनुमानगढ़ी से आए आठ साधुओं में सात एक ही परिवार से हैं। जिसमें कुछ पुजारी अब भी सेवा-भाव में लगे हैं। महावीर मंदिर पटना प्रबंधन समय-समय पर नया पुजारी नियुक्त करता है। हनुमानगढ़ी अयोध्या सहित कई धर्मस्थलों से पुजारी आते हैं। जब भी कोई शिकायत आती है तो नियम के मुताबिक हटाए भी जाते हैं। महावीर मंदिर एक न्यास समिति के जरिए संचालित होता है। कभी भी किसी पुजारी को मालिकाना हक नहीं दिया जाता। हनुमानगढ़ी अयोध्या के महंत श्री प्रेमदास ने हनुमानगढ़ी के पुजारी रहे उमा शंकर दास के जरिए महावीर मंदिर पटना पर अपना दावा जताने की कोशिश की है। ने अपनी सफाई में क्या कहा? हनुमानगढ़ी अयोध्या के दावे पर महावीर मंदिर न्यास समिति का बयान भी आया है। उनका कहना है कि 15 अप्रैल 1948 को पटना हाईकोर्ट ने महावीर मंदिर को सार्वजनिक मंदिर घोषित किया था। कोर्ट के आदेश में हनुमानगढ़ी की चर्चा नहीं है। मंदिर का संचालन 1935 से न्यास समिति की ओर से किया जा रहा है। 1956 में धार्मिक न्यास पर्षद और महावीर मंदिर न्यास समिति के बीच समझौता हुआ था। जिसके तहत न्यास समिति जब तक मंदिर का आर्थिक विकास करते रहेगी, तब तक न्यास पर्षद इसके संचालन में दखल नहीं देगी। बाद में पटना उच्च न्यायालय ने 1958 में इस समझौते को स्वीकृति दी थी। आचार्य कुणाल के मुताबिक 1990 में धार्मिक न्यास समिति ने इसके संचालन के लिए विस्तृत योजना बनाई। उसी के तहत मंदिर का संचालन हो रहा है। हालांकि इसके खिलाफ राम गोपाल दास ने पटना हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया था। दोनों जगहों पर उनकी हार हुई। किशोर कुणाल ने कहा कि साल 1900 में अलखिया बाबा ने पटना नगरपालिका से मंदिर की चारदीवारी के लिए अनुमति मांगी थी। इसका साक्ष्य मौजूद है। अलखिया बाबा गोसाई थे और उनका असली नाम भेख नारायण था। उनके पिता का नाम गणेश गोसाई और भाई शिव चरण थे। इनमें से किसी का भी संबंध हनुमानगढ़ी अयोध्या से नहीं रहा है। महावीर मंदिर के ख्याति से कहीं जलन तो नहीं? पटना महावीर मंदिर के कर्ता-धर्ता आचार्य किशोर कुणाल ने इस मामले पर कहा कि अयोध्या में महावीर मंदिर की ओर से संचालित हो रही राम रसोई की ख्याति हाल के दिनों में देश भर में फैली है। इसके अलावा राम मंदिर के निर्माण में न्यास समिति की ओर से हर साल दो करोड़ रुपए की सहयोग राशि का संकल्प लिया गया है। यह राशि दी जा चुकी है। बिहार के केसरिया में विराट रामायण मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है। साथ ही पटना में पांच विशाल अस्पतालों के निर्माण के कारण लोकप्रियता को लेकर महावीर मंदिर अयोध्या के हनुमानगढ़ी के कुछ लोगों की आंखों की किरकिरी बन गया है। महावीर मंदिर न्यास समिति की लोकप्रियता के खुन्नस में ही इस तरह का विवाद खड़ा करने की कोशिश हनुमानगढ़ी की ओर से की गई है।
from India News: इंडिया न्यूज़, India News in Hindi, भारत समाचार, Bharat Samachar, Bharat News in Hindi, coronavirus vaccine latest news update https://ift.tt/2UQKmgG
अयोध्या के महंत आखिर पटना के महावीर मंदिर पर क्यों ठोक रहे हैं दावा?
Reviewed by Fast True News
on
July 17, 2021
Rating:

No comments: