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पटना में 4 तो रांची में 7 कोरोना पीड़ितों में मिले ब्लैक फंगस के केस, डॉक्टरों की बढ़ी चिंता

पटना/रांची: कोरोना के केसों के साथ ब्लैक फंगस डॉक्टरों के लिए एक बड़ी चिंता बनकर उभरा है। ये केस अब बिहार और झारखंड में भी मिले हैं। दोनों राज्यों में कुल 11 कोरोना मरीज ऐसे पाए गए हैं जिनमें डॉक्टरों को ये बीमारी मिली है। पटना में ब्लैक फंगस के 4 केसबिहार की राजधानी पटना में ब्लैक फंगस के शिकार 4 कोरोना पीड़ित मिले हैं। इन चार कोरोना मरीजों में से 4 पटना के आईजीआईएमएस में 3 जबकि एम्स में एक केस है। आईजीआईएमएस में ईएनटी विभाग के प्रमुख डॉक्टर राकेश सिंह ने सोमवार को बताया है कि कोरोना के इलाज के दौरान तीन मरीजों में ब्लैक फंगस का पता चला है। ये सभी मरीज ऑक्सिजन सपोर्ट पर भी रखे गए थे जिसके बाद ये बीमारी पाई गई। डॉक्टर राकेश के मुताबिक 'कोविड संक्रमण से उबरने वाले मरीजों को खुद पर खास ध्यान देने की जरूरत है। यही नहीं घर के लोग भी उनपर नजर रखें। अगर इस दौरान उन्हें कोई भी दिक्कत या अलग लक्षण दिखे तो फौरन डॉक्टर से मिलें।' रांची में ब्लैक फंगस के 4 केस झारखंड की राजधानी रांची में भी ब्लैक फंगस के ऐसे 7 मामलों का पता चला है। ये सभी वैसे मरीज हैं जिन्हें कोरोना हुआ था और वो रिकवरी कर रहे थे। रांची के मशहूर सर्जन डॉक्टर अभिषेक कुमार रामधीन ने मल्टीनेशनल डॉक्टरों की एक टीम के साथ भगवान महावीर मेडिका सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ऐसे तीन मरीजों की सर्जरी की है और चौथी सर्जरी करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। जाहिर है कि बिहार और झारखंड में मिले ब्लैक फंगस के मामलों ने डॉक्टरों की चिंता बढ़ा दी है। सबसे बड़ी फिक्र इसी बात को लेकर है कि कोरोना का ये साइड इफेक्ट खुद में एक बड़ा खतरा है। इन दो राज्यों में ये उनलोगों में ही मिला है जो कोविड संक्रमण का शिकार होने के बाद ऑक्सिजन सपोर्ट पर रखे गए थे। जानिए ब्लैक फंगस के बारे में म्‍यूकरमाइकोसिस (एमएम) को ब्‍लैक फंगस के नाम से जाना जाता है। म्यूकरमायकोसिस एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है। ये म्यूकर फफूंद के कारण होता है जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों, खाद, सड़े हुए फल और सब्ज़ियों में पनपता है। ये फंगस साइनस, दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करती है और डायबिटीज के मरीजों या बेहद कमजोर इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) वाले लोगों जैसे कैंसर या एचआईवी/एड्स के मरीजों में ये जानलेवा भी हो सकती है। यह कोरोना से उबर चुके मरीजों को फिर से आईसीयू और सर्जिकल वॉर्ड में धकेल रही है। जिन लोगों को कंट्रोल के बाहर डायबीटीज है या फिर कोरोना के इलाज में जिन्‍हें हैवी स्‍टेरॉयड दी गई हैं उन पर इसका खतरा ज्‍यादा मंडरा रहा है। ये हैं लक्षणएमएम से ग्रस्‍त और कोरोना से सही होने वाले मरीजों में चेहरे में तेज दर्द होता है, तेज सिर दर्द होता है, नाक और साइनस ब्‍लॉक रहते हैं, मुंह के अंदर तालू के पास काले रंग के घाव हो जाते हैं, आंखों में दर्द रहता है और दृष्टि जाने का डर बना रहता है। जितनी जल्‍दी इन लक्षणों से रोग की पहचान हो इलाज में उतनी कामयाबी मिलने की संभावना रहती है। ऐसे नुकसान पहुंचाता है ब्लैक फंगस कोरोना के बाद अब म्यूकोरमाइकोसिस फंगस कमजोर इम्यूनिटी वालों के लिए खतरा बना हुआ है। कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस का इन्फेक्शन देखा जा रहा है। पिछले कुछ दिनों में गंगाराम अस्पताल में ऐसे 6 मरीज एडमिट हुए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यह बहुत रेयर इन्फेक्शन है, लेकिन अभी इसके मामले पहले की तुलना में बढ़ गए हैं। नाक से शुरू होने वाला यह फंगस इन्फेक्शन आंख और ब्रेन तक पहुंच जाता है और जानलेवा भी हो सकता है। डॉक्टर इसके बढ़ने की वजह अभी स्टेरॉइड्स के बहुत ज्यादा इस्तेमाल को भी मान रहे हैं।


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पटना में 4 तो रांची में 7 कोरोना पीड़ितों में मिले ब्लैक फंगस के केस, डॉक्टरों की बढ़ी चिंता पटना में 4 तो रांची में 7 कोरोना पीड़ितों में मिले ब्लैक फंगस के केस, डॉक्टरों की बढ़ी चिंता Reviewed by Fast True News on May 10, 2021 Rating: 5

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