'फिंगर 5' पर पनाह मांग रहा था कुटिल चीन, पर भारत ने ऊंगली मरोड़ धकेला पीछे
प्रणब ढाल सामंत, नई दिल्लीपूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव खत्म करने के समझौते तहत भारत ने चीन के हाथों क्या खोया-क्या पाया पर गंभीर बहस चल रही है। इस बीच एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है कि समझौते पर पहुंचने के दौरान फिंगर 5 की स्थिति को लेकर सबसे ज्यादा खींचतान हुई जहां चीन ने अपने सैनिकों का जबर्दस्त जमावड़ा कर रखा था। लेकिन, भारत ने समझौते के टेबल पर चीन के खिलाफ बड़ी उपलब्धि अपने नाम कर ली। फिंगर 5 से हटने को राजी नहीं हो रहा था चीन चीन से सैनिकों की वापसी की रूपरेखा तय करते वक्त फिंगर 5 पर जमे अपने सैनिकों को हटाने को राजी नहीं हो रहा था। उसने पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की तैनाती कायम रखने की मांग पर अड़ा रहा, लेकिन भारत ने उसकी एक न सुनी और साफ कह दिया कि अगर फिंगर 5 खाली नहीं हुआ तो समझौता नहीं हो सकता। फिंगर 5 पर किलेबंदी कर चुका था चीन हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स (ET) ने काफी विश्वस्त जानकारी हासिल की है कि बीजिंग जब भारत का मिजाज समझ गया तब उसने कम-से-कम 30 सैनिकों को फिंगर 5 पर मौजूद रहने देने की इजाजत मांगी, लेकिन भारत फिर भी नहीं माना। वहां चीन के करीब 200 सैनिक जमे थे, लेकिन भारत ने साफ कहा कि हमारा अधिकार क्षेत्र फिंगर 8 तक है और चीन ने सीमा का उल्लंघन किया है। भारत ने सारा इन्फ्रास्ट्रक्चर ध्वस्त करने पर किया मजबूर आखिरकार, चीन जब फिंगर 8 से पूरी तरह वापस जाने को राजी हुआ तब भारत ने भी अपनी सेना फिंगर 3 तक वापस लाने की हामी। लेकिन यह शर्त रख दी कि फिंगर 3 से 8 के बीच कोई भी देश पेट्रोलिंग नहीं करेगा। भारत ने समझौते को दौरान एक और शर्त पर चीन का हाथ मरोड़ा। उसने चीन से यह बात मनवा ली कि अप्रैल 2020 के बाद पीएलए ने जो भी इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा किए, उन्हें नष्ट किया जाएगा। भारत ने चीन से मनवाई LAC की अपनी परिभाषा चीन ने फिंगर पांच पर न केवल करीब 200 सैनिकों की टुकड़ी तैनात कर दी थी बल्कि वहां निर्माण कार्य भी कर दिया था। यहां से उसने फिंगर 4 पर दबदबा कायम करने की कोशिश कर रहा था। यह उस पेट्रोल प्रॉटोकॉल्स का खुला उल्लंघन था जिसके तहत भारत को फिंगर 8 तक पेट्रोलिंग का अधिकार मिला हुआ है। समझौते का यह पहलू वाकई बहुत महत्वपूर्ण है जिसके तहत चीन को एलएसी की भारतीय परिभाषा वाली सीमा से पीछे जाने को मजबूर कर दिया गया। मुश्किल हो रही थी पेट्रोलिंग, लेकिन भारत ने फेंका पासा और... दरअसल, भारत-चीन के सैनिकों के बीच ज्यादातर झड़पें पैंगोंग झील के पास फिंगर 4 और फिंगर 8 के बीच के 6 से 8 किमी के दायरे में ही हुई थीं। हालात इतने खराब हो गए थे कि लड़ाई की आशंका के कारण इस इलाके में पेट्रोलिंग करना भी दुश्वार होता जा रहा था। इसलिए, भारत को फिंगर 8 तक पेट्रोलिंग के लिए पेट्रोल बोट का सहारा लेना पड़ रहा था या फिर सैन्य टुकड़ी सामानंतर पहाड़ियों से होकर वहां पहुंचती थी। करगिल युद्ध में व्यस्त था भारत, तब चीन ने की थी चालाकी फिंगर 5 में चीन ने दिखा दिया था कि उसके पास इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने की कितनी उच्च स्तर की क्षमता है। उसने फिंगर 8 और 4 के बीच निर्माण कार्य का सिलसिला तब शुरू किया जब भारत 1999 में पाकिस्तान के साथ करगिल युद्ध में उलझा हुआ था। पिछले एक दशक में उसने अपने इलाके में शानदार सड़कों का निर्माण कर लिया। इस कारण उसके सैनिक एलएसी के इस इलाके में गाड़ियों से आने में सक्षम थे जबकि भारतीय सैनिकों को पैदल जाना पड़ता था। भारत सरकार ने 2016-17 में नए पेट्रोल बोट खरीदे ताकि फिंगर 8 से पैंगोंग लेक पहुंचने में आसानी हो। भारत ने अपने नाम की यह बड़ी उपलब्धि फिंगर 5 पर तेज गति से की गई किलेबंदी चीन की ताकत का सबसे ताजा प्रदर्शन था। ऐसी परिस्थिति में इलाके में पेट्रोलिंग की नई व्यवस्था के लिए चीन को मजबूर करना भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है। हालांकि, अब यह देखना काफी महत्वपूर्ण होगा कि चीन समझौते को किस तरह जमीन पर लागू करता है। अब तक तो उसके इरादे नेक लग रहे हैं, लेकिन ध्यान रहे कि सैन्य वापसी तीन-चार चरणों में पूरी होनी है।
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'फिंगर 5' पर पनाह मांग रहा था कुटिल चीन, पर भारत ने ऊंगली मरोड़ धकेला पीछे
Reviewed by Fast True News
on
February 15, 2021
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