ads

कांग्रेस-लेफ्ट के अलायंस में ओवैसी भी होंगे शामिल? CPM ने बताया असल सच

कोलकाता पश्चिम बंगाल में टीएमसी और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला बनता दिख रहा है। राज्य की सियासी लड़ाई में खुद को हाशिए पर जाने से बचाने के लिए कांग्रेस और लेफ्ट ने गठबंधन किया है। उनकी कोशिश वहां की लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने की है। सवाल है कि क्या यह गठबंधन वोटर्स के बीच खुद को विकल्प के रूप में पेश करने में कामयाब हो पाएगा? गठबंधन का नेता कौन होगा, इस बारे में कोई फैसला नहीं हो सका है। यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या बीजेपी के नैरेटिव के सामने विपक्ष कमजोर हो चुका है? वेस्ट बंगाल के सियासी माहौल पर सीपीएम के सीनियर नेता मोहम्मद सलीम से बात की एनबीटी नैशनल ब्यूरो के विशेष संवाददाता नरेन्द्र नाथ ने। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश : पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के साथ लेफ्ट का गठबंधन हो चुका है, लेकिन सीट शेयरिंग पर कोई बात नहीं हुई है। कब तक उम्मीद की जाए? सीट शेयरिंग कोई बहुत बड़ा मसला नहीं है। राज्य में सभी लेफ्ट पार्टियां और कांग्रेस पिछले एक साल से मिलकर राज्य को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस लड़ाई का विस्तार है साथ मिलकर चुनाव लड़ना। हमारा मकसद है कि बेहतर पश्चिम बंगाल का निर्माण करें, जहां लोकतंत्र की मजबूत बुनियाद हो। क्या दोनों दलों का साझा चुनाव घोषणापत्र होगा और क्या गठबंधन कोई सीएम फेस भी देगा? हम दोनों मिलकर साझा कार्यक्रम पेश करेंगे। जब गठबंधन हो गया है तो बाकी चीजें भी उसी अनुरूप आगे बढ़ेंगी। हम अपना सीएम पेश करने के लिए बहुत उतावले नहीं हैं। अभी गठबंधन के सभी दलों का एकमात्र ध्येय है कि किस तरह पश्चिम बंगाल को टीमएसी और बीजेपी के खतरनाक मंसूबों से निजात दिलाकर लोगों के सामने मजबूत विकल्प पेश करें। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि ओवैसी भी आपके गठबंधन का हिस्सा हो सकते हैं। कितनी सचाई है इसमें? यह आरएसएस का प्रॉपेगैंडा है, जिसे प्रचारित किया जा रहा है। वे अपने हिसाब से खुद को लाभ पहुंचाने के लिए बार-बार कई तरह के झूठ बोलते हैं। यह भी वैसी ही झूठी साजिश वाली खबर है। राज्य में मुख्य मुकाबला टीएमसी और बीजेपी के बीच माना जा रहा है। उनके बीच आपको अपने गठबंधन की कितनी संभावना दिख रही है? मैं दावे के साथ कह रहा हूं कि की सरकार की वापसी नहीं हो रही। जनता उन्हें वोट नहीं देगी। यह बात भी मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि बीजेपी को भी जनता उसी पुख्ता तरीके से खारिज करेगी। हमें राज्य की जनता पर पूरा विश्वास है, जिन्होंने सदियों से बंगाल की संस्कृति और समाज को एकजुट रखने में अपनी भूमिका निभाई है। लेकिन लोकसभा चुनाव में तो बीजेपी मुख्य विपक्षी दल के रूप में स्थापित हो चुकी है... यह अतीत बन चुका है। लोकसभा चुनाव के समय धर्म आधारित राजनीति के सहारे बीजेपी लोगों को भटकाने में कुछ हद तक सफल रही, लेकिन तब से अब तक हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। जीडीपी डाउन है। खेती तबाह हो चुकी है। युवा रोजगार के लिए सड़क पर हैं। गरीब भुखमरी का शिकार हो रहे हैं। बंगाल में बीजेपी ने हर स्तर पर लोगों को बांटा- धर्म के नाम पर ,जाति के नाम पर, गांवों के नाम। अब उनकी नीति एक्सपोज हो चुकी है जिस कारण इस चुनाव में वे कोई ताकत नहीं रहेंगे। ममता बनर्जी का तो आरोप है कि लेफ्ट दलों ने ही बीजेपी को राज्य में स्थापित किया। उनका यह भी कहना है कि लेफ्ट का वोट बीजेपी में चला गया है। क्या कहेंगे? यह भी एक फैलाया गया प्रॉपेगैंडा है। सचाई यह है कि बीजेपी में 90 फीसदी टीएमसी है। दोनों दल पिछले कई सालों से मैच फिक्स करके खेल रहे हैं। लेफ्ट-कांग्रेस को रोकने के लिए 2016 में भी दोनों दलों में आपसी सांठगांठ थी। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेता बिमल गुरुंग लोकसभा चुनाव के समय नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने की अपील करते हैं तो विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को सीएम बनाने की बात करते हैं। अगर यह मैच फिक्सिंग नहीं है तो क्या है? राष्ट्रीय राजनीति की बात करें तो किसान आंदोलन को किस तरह से देखते हैं? आरोप लगा कि इसे लेफ्ट प्रायोजित कर रहा है? स्वतंत्र भारत के इतिहास का यह सबसे मुखर आंदोलन है। इसे राजनीतिक बताना किसानों के संघर्ष का अपमान करना है। किसानों ने इस आंदोलन के माध्यम से हर पीड़ित तबके को न सिर्फ एक आवाज दी, बल्कि लड़ने का जज्बा दिखाया। जीएसटी ने छोटे व्यापारी की कमर तोड़ दी। गरीब से लेकर मिडिल क्लास तक, हर कोई भारी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। केरल से लेकर बिहार तक हाल में लेफ्ट को चुनावी सफलता मिली है। क्या पार्टी के लिए खराब दौर बीत गया? यह ग्लोबल ट्रेंड है। दक्षिणपंथ जब भी मजबूत होता है और पूंजीवादी व्यवस्था समाज को जकड़ने लगती है। समाज बंटने लगता है, तब वामपंथ ही इससे लड़ता है। यह एक साइकिल है। हम कई दौर से गुजरे हैं लेकिन संघर्ष का जज्बा कहीं नहीं गया। राष्ट्रीय राजनीति में विपक्ष का बिखराव कितनी चिंता की बात है? लोकसभा चुनाव में परिणाम विपरीत रहा, लेकिन विपक्ष कमजोर कहां है? धनबल से जनादेश को पलटा जा रहा है। कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गोवा जैसे राज्यों में क्या हुआ? राजनीतिक फंडिंग में भी पारदर्शिता की जरूरत है।


from India News: इंडिया न्यूज़, India News in Hindi, भारत समाचार, Bharat Samachar, Bharat News in Hindi https://ift.tt/38DGHam
कांग्रेस-लेफ्ट के अलायंस में ओवैसी भी होंगे शामिल? CPM ने बताया असल सच कांग्रेस-लेफ्ट के अलायंस में ओवैसी भी होंगे शामिल? CPM ने बताया असल सच Reviewed by Fast True News on January 14, 2021 Rating: 5

No comments:

ads
Powered by Blogger.