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नेपाल में भारत की शह से मात खा गया चीन? ओली की कम्युनिस्ट पार्टी 'दो फाड़', जानें किस पर क्या असर

नई दिल्लीनेपाल में संसद भंग होने के बाद राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल है। कम्युनिस्ट पार्टी टूट गई है और खींचतान जारी है। नेपाल में इस राजनीतिक संकट का असर उसके पड़ोसी देश भारत और चीन पर भी पड़ा है। नेपाल के राजनीतिक और विदेश मामलों के जानकारों का मानना है कि कम्युनिस्ट पार्टी में दिक्कत चीन के लिए बुरी खबर है। नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी के सत्ता में आने के बाद से ही भारत विरोधी सेंटिमेंट्स को हवा मिलनी शुरू हो गई थी लेकिन अगर नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी कमजोर होती है तो भारत के साथ रिश्ते फिर से बेहतर होने की उम्मीद नेपाल के एक्सपर्ट्स कर रहे हैं। नेपाली एक्सपर्ट की भारत को सलाह नेपाल के पूर्व विदेश मंत्री और विदेशी मामलों को विशेषज्ञ रमेशनाथ पांडे ने एनबीटी से बात करते हुए कहा कि नेपाल में यह चौथी बार हुआ है जब संसद भंग हुई है क्योंकि नेपाली नेताओं ने कभी कमियों पर चर्चा नहीं की और न ही उसे ठीक करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि जब पड़ोसी देश से डील करने की बात आती है तो भारत की संस्थागत याददाश्त कमजोर है। भारत अपनी वैश्विक भूमिका की उम्मीद कर रहा है लेकिन छोटे पड़ोसियों से अच्छे संबंध और भरोसे के बिना भारत यह हासिल नहीं कर सकता। 'भारत-नेपाल ने खो दिया सुनहरा मौका' पांडे के मुताबिक, भारत और नेपाल ने इतिहास से मिली दिक्कतों को हल करने का एक सुनहरा मौका खो दिया है। इस वक्त भारत में भी मजबूत सरकार है और नेपाल में भी कम्युनिस्ट पार्टी बहुमत में थी। तब संवेदनशील दिक्कतों का हल निकल सकता था लेकिन यह मौका अब चला गया। उन्होंने कहा कि इसका भारत-नेपाल संबंधों पर लंबा असर दिखेगा। पांडे ने कहा कि भारत ने 1990 से नेपाल में राजनीतिक परिवर्तन के लिए काफी निवेश किया लेकिन उसका फायदा चीन को मिला और भारत के हिस्से आरोप आए। नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी की चीन से नजदीकी नेपाल के राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय मामलों के एक्सपर्ट गेजा शर्मा वागले कहते हैं कि पारंपरिक तौर पर ही नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी और चीन का नजदीकी संबंध रहा है। जब कम्युनिस्ट पार्टी का एकीकरण हुआ तब भी चीन की उसमें अहम भूमिका थी। चीन हमेशा से पार्टी यूनिटी के पक्ष में था क्योंकि यही चीन के हित में भी था। जब कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता में आई तो भारत विरोधी भावनाओं को बढ़ावा भी मिला और यह चीन के पक्ष वाली सरकार थी। संसद भंग होने से चीन ओली से भी नाखुश संसद भंग होने से चीन नाखुश है और अब केपी शर्मा ओली से भी नाखुश है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच चल रहे जियो पॉलिटिकल गेम में भारत का फायदा दिख रहा है। नेपाल में पॉलिटिकल जोक चल रहा है कि एनसीपी (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल) युनाइडेट बाई चीन ऐंड डिवाइडेड बाई इंडिया। उन्होंने कहा कि अब यह लग रहा है कि कम्युनिस्ट पार्टी के दोनों गुट कमजोर होंगे, एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप होगा और इसका फायदा नेपाली कांग्रेस को मिलेगा। उसका भारत से अच्छा रिलेशन है, चीन से भी है लेकिन भारत के मुकाबले कम। भारत की शह से मात खा गया चीन? नेपाल के वरिष्ठ पत्रकार परशुराम काफले कहते हैं कि यह ओपन सीक्रेट है कि चीन ने पहले ओली और प्रचंड गुट को मिलाने की काफी कोशिश की। चीन चाहता था कि कम्युनिस्ट पार्टी मिलकर रहे, वह ओली या प्रचंड किसी एक को सपोर्ट नहीं कर रहा था। काफले कहते हैं कि नेपाल के राजनीतिक घटनाक्रम से भारत को न फायदा होगा और ना ही नुकसान क्योंकि ओली सरकार ने जो मैप जारी किया उसके बाद जो भी सरकार आएगी उसके लिए यह वापस करना आसान नहीं होगा। हालांकि चीन का प्रभाव कुछ कम होगा। कम्युनिस्ट पार्टी कमजोर होने से चीन को दूसरी पार्टी से भी संबंध ठीक रखने होंगे और चीन का ज्यादा राजनीतिक प्रभाव नहीं रहेगा।


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नेपाल में भारत की शह से मात खा गया चीन? ओली की कम्युनिस्ट पार्टी 'दो फाड़', जानें किस पर क्या असर नेपाल में भारत की शह से मात खा गया चीन? ओली की कम्युनिस्ट पार्टी 'दो फाड़', जानें किस पर क्या असर Reviewed by Fast True News on December 24, 2020 Rating: 5

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