पूरा बिहार चुनाव बीत गया लेकिन कहीं नजर नहीं आए प्रशांत किशोर, नीतीश कुमार की चूल हिलाने की करते थे बात
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नीलकमल, पटना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हुए मतभेद के बाद चुनाव रणनीतिकार कहे जाने वाले प्रशांत किशोर (PK) कहां हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की घोषणा होने के 6 महीने पहले PK ने ऐलान किया था कि वह बिहार को अगले 10 सालों में देश के अग्रणी राज्य में ले जाने वाले प्लान के साथ चुनावी दंगल में उतरेंगे। फरवरी 2020 में प्रशांत किशोर ने कहा था कि आने वाले 100 दिन तक बिहार में वास्तविक विकास देखने वाले लोगों खासकर युवाओं को अपने साथ जोड़ने का काम करेंगे। लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के उपाध्यक्ष रहे PK पार्टी से निकाले जाने के बाद से ही गायब है। आज बिहार चुनाव प्रचार के अंतिन दिन तक उनका नाम तक लेने वाला नही दिखता। कैसे शुरू हुआ प्रशांत किशोर का पतन 2015 में महागठबंधन की जीत में अहम रणनीतिकार बनकर उभरे प्रशांत किशोर का नाम पीके के तौर पर देश में सुर्खियों में था। 2015 के बिहार चुनाव के बाद जेडीयू के उपाध्यक्ष बनने तक चुनावी रणनीतिकार के तौर पर पहचान बनाने वाले PK आज बिहार के चुनावी अखाड़े से गायब हैं। आखिर जेडीयू से निकाले जाने के बाद विधानसभा चुनाव 2020 की तारीखों के ऐलान के ठीक पहले ‘बात बिहार की’ करने वाले कहां हैं? क्या ब्रांड गुरु के तौर पर पहचान बना चुके पीके का राजनीति के शिखर पर पहुंचने से पहले ही पतन हो चुका है ? CAA और NRC के मुद्दे पर सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ऊपर हमला बोलते-बोलते मामला ऐसा उलझा कि पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। जेडीयू से निकाले जाने के बाद यह कहा गया कि 'पीके' दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल के लिए रणनीति तैयार करने में लगे हैं। उसके बाद कोरोना काल के दौरान उनके कार्गो प्लेन से कोलकाता पहुंचने की बात भ सामने आयी। उस वक्त यह कयास लगाए जा रहे थे कि प्रशांत किशोर अब ममता बनर्जी के लिए रणनीति तैयार करेंगे। लेकिन पीके ना तो कोलकाता में दिख रहे है, ना दिल्ली और ना ही अपने राज्य बिहार में। क्या चिराग पासवान और पुष्पम प्रिया के चुनावी रणनीति के पीछे हैं PK का दिमाग? क्या एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने एनडीए से बाहर आने के फैसला प्रशांत किशोर के कहने पर लिया था ? क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लगातार चिराग पासवान का हमलावर होने के पीछे PK की रणनीति काम कर रही है? क्या प्रशांत किशोर के रणनीति के तहत ही चिराग पासवान ने बिहार में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया था? हालांकि, एलजेपी ने प्रशांत किशोर के रणनीति पर चलने वाली बात के कयासों को सिरे से नकार दिया है। एलजेपी का कहना है कि चिराग पासवान को बिहार में सीएम नीतीश कुमार का नेतृत्व मंजूर नहीं था इसलिए वो एनडीए से बाहर हुए है लेकिन बीजेपी के साथ हैं। चर्चा यह भी थी कि बिहार चुनाव में प्लूरल्स पार्टी की प्रमुख पुष्पम प्रिया चौधरी भी प्रशांत किशोर की मदद ले रहीं है। बता दें कि दरभंगा जिले की रहने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी जेडीयू नेता और पूर्व एमएलसी विनोद चौधरी की बेटी हैं। बिहार में चुनाव लड़ रहे प्लूरल्स पार्टी का चुनाव चिन्ह पंख लगा हुआ घोड़ा है। बिहार विधानसभा में चुनाव में अपनी पार्टी बनाकर चुनाव लड़ रही पुष्पम प्रिया चौधरी के नाम इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि, वह लंदन स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स की डिग्री लेकर लौटी हैं। इसके बाद वो सीधे राजनीतिक पार्टी बनाकर बिहार विधान सभा चुनाव में ताल ठोकने के साथ खुद को सीएम का दावेदार बता रही हैं। ‘बात बिहार की’ करने वाले PK अब अपने घर बक्सर तक की नहीं करते बात कोरोना संक्रमण के दौरान जुलाई के महीने में पीके ने बिहार में चुनाव कराए जाने का विरोध किया था। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए नीतीश कुमार पर हमला किया था और लिखा था नीतीश जी यह चुनाव नहीं कोरोना है लोगों की जिंदगी को चुनाव कराने की जल्दी में खतरे में मत डालिए। इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर भी PK सक्रिय नही दिखे। यहां तक कि बक्सर के अहिरौली स्थित उनके घर पर भी पूरी तरह सन्नाटा पसरा है। हालांकि, वो बक्सर स्थित अपने घर कभी - कभी ही आते हैं, लेकिन जब वे जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गए थे तब उनके घर मे सरकारी गार्ड दिखने लगे थे। पटना में प्रशांत किशोर पर कंटेंट चोरी करने का हुआ था केस इसी साल फरवरी में मोतिहारी के रहने वाले शाश्वत गौतम ने पटना के पाटलिपुत्र थाने में प्रशांत किशोर पर कंटेंट चोरी का केस दर्ज कराया था। PK के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराने वाले शाश्वत गौतम ने अपने लिखित शिकायत में कहा था कि प्रशांत किशोर ने अपने अभियान के लिए उसके कंटेंट को अपने वेबसाइट पर प्रसारित कर दिया है। शाश्वत गौतम ने अपने लिखित शिकायत में यह भी कहा कि इस मामले में ओसामा नाम का एक और युवक शामिल है। क्योंकि उसी ने ये कंटेंट प्रशांत किशोर के हवाले कर दिया था। शाश्वत गौतम की शिकायत पर पटना पुलिस ने विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। क्या फ्लाप हो चुका है प्रशांत किशोर का 'बात बिहार की' कैंपेन अनुशासनहीनता के आरोप में जेडीयू से बाहर निकाले जाने के बाद प्रशांत किशोर ने ‘बात बिहार की’ मंच की शुरुआत की थी। PK अपने इस गैर-राजनीतिक मंच से युवाओं को जोड़कर बिहार में जमीनी स्तर के नेतृत्व को खड़ा करने की तैयारी कर रहे थे। प्रशांत किशोर का 'बात बिहार की' अभियान बिहार में लांच होते ही पहले ही दिन हिट हो गया था। पहले दिन ही इस कार्यक्रम से जुड़ने वाले लोगों की संख्या तीन लाख 32 हजार पहुंच गई थी। इस अभियान के तहत PK ने तीन महीने तक एक करोड़ लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा था। इसी वजह से बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की तारीखों के ऐलान के पहले प्रशांत किशोर कई तरह के बयान भी देते रहे। ‘बात बिहार की' के डिजिटल मंच पर आज भी 20 लाख फॉलोअर्स मौजूद हैं। लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि है कि जो व्यक्ति चुनाव लड़ाने की रणनीति बनाता रहा, उसका बिहार चुनाव को लेकर एक भी ट्वीट नही करना, यह बताने को काफी है कि प्रशांत किशोर ना सिर्फ फेल हो चुके है बल्कि वे राजनीति में अर्श से फर्श पर आ चुके हैं।
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पूरा बिहार चुनाव बीत गया लेकिन कहीं नजर नहीं आए प्रशांत किशोर, नीतीश कुमार की चूल हिलाने की करते थे बात
Reviewed by Fast True News
on
November 05, 2020
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