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बिहार का वोट गणितः तेजस्वी के हाथ से बस 12,768 वोटों से फिसल गई CM की कुर्सी!

स्ट्राइक रेट के लिहाज से देखें तो बीजेपी का स्ट्राइक रेट 66.4% रहा जो 2015 में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान सिर्फ 33.8% रहा। वहीं, वामदलों ने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में मात्र 1.3% के स्ट्राइक रेट से सफलता पाई थी जबकि इस बार उसका स्ट्राइक रेट बढ़कर 55.2% पर पहुंच गया। किसी पार्टी स्ट्राइक रेट इस हिसाब से निकाला जाता है कि उसने कितने प्रत्याशी खड़े किए और उसे कितनी सीटों पर जीत हासिल हुए।

बिहार विधानसभा चुनाव में कई दिलचस्प बातें हुईं। क्या यह कम मजेदार तथ्य है कि विचारधारा के दो विरोधी ध्रुवों पर खड़ी बीजेपी और वामपंथी पार्टियों के ही स्ट्राइक रेट बढ़े, बाकी पार्टियों को इस मोर्चे पर निराशा हाथ लगी।


सिर्फ 12,768 मतदाताओं ने तेजस्वी को बिहार का सीएम बनने से रोका, स्ट्राइक रेट पर आए काफी दिलचस्प आंकड़े

स्ट्राइक रेट के लिहाज से देखें तो बीजेपी का स्ट्राइक रेट 66.4% रहा जो 2015 में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान सिर्फ 33.8% रहा। वहीं, वामदलों ने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में मात्र 1.3% के स्ट्राइक रेट से सफलता पाई थी जबकि इस बार उसका स्ट्राइक रेट बढ़कर 55.2% पर पहुंच गया। किसी पार्टी स्ट्राइक रेट इस हिसाब से निकाला जाता है कि उसने कितने प्रत्याशी खड़े किए और उसे कितनी सीटों पर जीत हासिल हुए।



​सिर्फ 12,768 वोटों के अंतर से सत्ता से दूर रह गए तेजस्वी
​सिर्फ 12,768 वोटों के अंतर से सत्ता से दूर रह गए तेजस्वी

यह भी कितनी दिलचस्प बात है कि इतनी लंबी चुनाव प्रक्रिया और मतदान के दिन बेइंतहा माथापच्ची का नतीजा यह निकला कि एनडीए और महागठबंधन के बीच सिर्फ 12,768 वोटों का अंतर रहा। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में 1,57,01,226 मतदाताओं ने एनडीए को पसंद किया जबकि महागठबंधन के खाते में 1,56,88,458 वोट आए। हालांकि, दोनों गठबंधनों के बीच 15 सीटों का अंतर आ गया। एनडीए 125 सीटें लेकर सत्ता के लिए जरूरी 122 सीटों का जादुई आंकड़ा पार कर लिया जबकि 110 सीटें हासिल कर महागठबंधन सिर्फ 12 सीटों से पिछड़ गया। इस तरह बिहार के सिर्फ 12,768 मतदाताओं ने तेजस्वी यादव को अगला मुख्यमंत्री बनने से रोक दिया।



​सभी दलों के स्ट्राइक रेट में आया बड़ा अंतर
​सभी दलों के स्ट्राइक रेट में आया बड़ा अंतर

अब बात जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस पार्टी की। इस बार के विधानसभा चुनाव में इन तीनों दलों के स्ट्राइक रेट में अच्छी-खासी कमी आई। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) का 2015 चुनाव में स्ट्राइक रेट 70.2% रहा था जो इस बार घटकर 37.4% पर आ गया। वहीं, आरजेडी ने पिछली बार 79.2% के स्ट्राइक रेट से 80 सीटों पर सफलता पाई थी जबकि इस बार 52.8% के स्ट्राइक रेट से सीटों की संख्या सिमटकर 75 रह गई। कांग्रेस का भी कुछ यही हाल रहा। उसने 2015 के चुनाव में 65.9% का स्ट्राइक रेट हासिल किया था जो इस बार घटकर 27.1% रह गया।



​वामदल स्ट्राइक बढ़ने और कांग्रेस घटने में टॉपर
​वामदल स्ट्राइक बढ़ने और कांग्रेस घटने में टॉपर

अगर 2015 के मुकाबले 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी-दर-पार्टी स्ट्राइक रेट में आए अंतर की बात करें तो इस मोर्चे पर वामदल टॉप पर है। वामदलों ने इस बार के विधानसभा चुनाव में अपना स्ट्राइक रेट 50.9% बढ़ाया। वहीं, कांग्रेस स्ट्राइक रेट में गिरावट के मामलें अव्वल रही। उसका स्ट्राइक रेट पिछले चुनाव के मुकाबले 38.8% कम रहा। उसके बाद जेडीयू का स्ट्राइक रेट 32.8% और आरजेडी का 26.4% गिरा। बीजेपी ने पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार अपना स्ट्राइक रेट 32.6% बढ़ा लिया।



​बीजेपी और वामदलों ने किया एक और कमाल
​बीजेपी और वामदलों ने किया एक और कमाल

बीजेपी ने भले ही अपना स्ट्राइक रेट बेहतर किया हो, लेकिन 2015 के मुकाबले 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में उसका वोट शेयर घट गया। बीजेपी को पिछली बार 24.4% वोट मिले थे जबकि इस बार 19.4% वोट ही मिले। वामपंथी दलों ने भी यह कमाल किया है कि उसका वोट प्रतिशत सिर्फ 1.1% बढ़ा (2015 में 3.5% जबकि 2020 में 4.6%) लेकिन उसका स्ट्राइक रेट 50.9% बढ़ गया। कितनी दिलचस्प बात है कि महागठबंधन में वामदलों का वोट प्रतिशत सबसे कम बढ़ा लेकिन स्ट्राइक रेट सबसे ज्यादा। बहरहाल, जेडीयू के वोट शेयर में इस बार 1.4% की गिरावट (2015 में 16.4% और 2020 में 15.4%) आई। वहीं, आरजेडी ने अपना 18.4% वोट शेयर को 4.7% बढ़ाकर 23.1% कर लिया। कांग्रेस के वोट शेयर में भी 2.9% की वृद्धि हुई। उसे 2015 में 6.7% वोट मिले थे जो इस बार बढ़कर 9.6% हो गए।



​सीट कन्वर्जन रेट में वामदल अव्वल
​सीट कन्वर्जन रेट में वामदल अव्वल

लेफ्ट पार्टियों ने अपने सीट कन्वर्जन रेट में बड़ा नाटकीय सुधार किया। 2015 में उसे एक सीट जीतने के लिए 4.5 लाख वोट हासिल करने पड़े थे जो इस बार घटकर 1.2 लाख हो गए। लेकिन, बीजेपी को एक सीट जीतने के लिए 1,10,155 वोट की जरूरत थी जो इस बार उसे 1,75,62 वोट लाने की दरकार पड़ गई। जेडीयू के सीट कन्वर्जन रेट में भी सुधार हुआ। उसने 90,381 वोट की दर से सीटें जीतीं जबकि 2015 में उसके एक सीट जीतने के लिए 1,49,157 वोट हासिल करने पड़े थे। आरजेडी भी जेडीयू की राह पर चला। उसे 2015 में एक सीट के लिए 1,26,046 वोट की दरकार थी जो इस बार घटकर 87,444 रह गई। कांग्रेस भी इसी गुट में शामिल रहा। उसे 2015 में एक सीट जीतने के लिए 2,09,354 वोट हासिल करने पड़े थे, लेकिन इस बार 94,061 वोटों से ही काम चल गया। यानी सीट कन्वर्जन रेट में सुधार के मामले में वामदल के बाद कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही।



वोट शेयर और जीत के मजेदार आंकड़े
वोट शेयर और जीत के मजेदार आंकड़े

तिरहुत-सारण क्षेत्र

की 73 सीटों में बीजपी और जेडीयू को 2015 के मुकाबले इस चुनाव में कम समर्थन मिला। वहीं, आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ। यह अलग बात है कि करीब 5.6% कम वोट मिलने के बावजूद यहां बीजेपी को पिछले चुनाव की 23 सीटों के मुकाबले 9 सीटें ज्यादा (32 सीटें) मिलीं। यहां जेडीयू के चपत जरूर लगी। उसका वोट तो 1% से भी कम घटा, लेकिन सीटें 13 से मुकाबले घटकर 8 रह गईं।

इसी तरह,

दरभंगा-कोशी क्षेत्र

की 67 सीटों पर भी यही हाल रहा। यहां एनडीए के खाते में 44 सीटें गईं जबकि आरजेडी को सभी पार्टियों से ज्यादा वोट मिले। यहां बीजेपी की सीटें 10 से 21 हो गईं तो कांग्रेस की सीटें 10 से घटकर 5 पर सिमट गईं।

69 सीटों वाले प

टना-मगध क्षेत्र

में भी बीजेपी-जेडीयू के वोट शेयर घटे और सीटें भी कम हुईं। यहां आरजेडी ने 24% वोट लेकर बढ़त ले ली। पटना-मगध क्षेत्र में बीजेपी को 17 के मुकाबले 11 सीटें मिलीं जबकि जेडीयू की सीट 17 के मुकाबले घटकर मात्र 5 रह गई। आरजेडी ने जबर्दस्त गेन किया और उसकी सीटें 25 से बढ़कर 33 हो गईं। कांग्रेस ने भी 6 की जगह 8 सीटें पाईं। यहां वामदलों ने कमाल कर दिया। उसे 2015 में एक सीट मिली थी और इस बार 8 सीटों पर विजय मिली।

अब 34 सीटों वाले

भागलुपर-मुंगेर क्षेत्र

को ले लें। यहां बीजेपी का वोट शेयर गिरा, लेकिन जेडीयू समेत सभी पार्टियों के वोट बढ़े। दिलचस्प बात यह है कि 2015 में 20.1% वोट पाकर सिर्फ 3 सीट पर विजयी रहने वाली बीजेपी इस बार 15.9% वोट के साथ ही 10 सीटें फतह कर ली। वहीं, जेडीयू ने 0.5% वोट बढ़ाया लेकिन उसकी सीटें 14 के मुकाबले घटकर 9 हो गईं। इसी तरह आरजेडी ने 15.6% के मुकाबले 20.7% वोट शेयर पाया, लेकिन सीटें 11 से घटकर 7 रह गईं। यही हाल कांग्रेस का भी रहा। उसने 7.6% वोट के साथ 6 सीटें पाई थीं, लेकिन इस बार 10.7% वोट पाकर भी 3 सीटों पर सिमट गई।





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बिहार का वोट गणितः तेजस्वी के हाथ से बस 12,768 वोटों से फिसल गई CM की कुर्सी! बिहार का वोट गणितः तेजस्वी के हाथ से बस 12,768 वोटों से फिसल गई CM की कुर्सी! Reviewed by Fast True News on November 12, 2020 Rating: 5

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