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महामारी, इकॉनमी बदहाल, सीमा पर टेंशन, फिर भी मोदी की लोकप्रियता क्यों है बरकरार

नई दिल्ली भारत इस समय कोरोना महामारी, बदहाल अर्थव्यवस्था और चीन के साथ सीमा पर जबरदस्त तनाव की चुनौतियों से जूझ रहा है। फिर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अभी भी बरकरार है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत कोरोना से सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों में है, अर्थव्यवस्था में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट आई है, किसान विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं और चीन के साथ सीमा पर ऐसा तनाव है जैसा कई दशकों से नहीं देखा गया। इसके बावजूद पीएम मोदी अभी भी उतने ही लोकप्रिय दिख रहे हैं जितना पहले थे। रिपोर्ट में यह दावा बिहार में अगस्त महीने में किए गए एक ऑपिनियन पोल के हवाले से किया गया है। पिछले साल के मुकाबले और बढ़ी लोकप्रियता: पोल हिंदी पट्टी के अहम राज्य बिहार में 28 अक्टूबर से 7 नवंबर तक 3 चरणों में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। कोरोना महामारी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह पहला चुनावी इम्तिहान होने जा रहा है। अगस्त महीने में किए गए एक ऑपिनियन पोल में 78 प्रतिशत लोगों ने पीएम मोदी के कामकाज को 'अच्छा से लेकर शानदार' बताया। पिछले साल 71 प्रतिशत उत्तरदाता उनके कामकाज से संतुष्ट दिखे। इसका मतलब है कि महामारी, इकॉनमी जैसी तमाम चुनौतियों के बावजूद पीएम मोदी की लोकप्रियता बढ़ी ही है, घटी नहीं। 'लोग मास्क नहीं लगाएंगे तो मोदी क्या कर लेंगे' प्रधानमंत्री के समर्थकों में से एक 22 साल के संजय कुमार एक कार्पेंटर हैं और अप्रैल महीने में लॉकडाउन के दौरान उन्हें पुलिस की मार खानी पड़ी थी। उनकी नौकरी छूट गई थी और वह दिल्ली से बिहार के अपने गांव के लिए साइकल से निकले थे और दूरी 1000 किलोमीटर से भी ज्यादा थी। उस दौरान उन्हें पुलिसवालों ने पीटा भी। संजय को आज भी नियमित नौकरी नहीं मिल पाई है। संजय कहते हैं, 'कुछ लोग बीच में भ्रष्टाचार की वजह से सभी तरह के लाभ पा रहे हैं और इसमें उनकी (पीएम मोदी) की कोई गलती नहीं है।' वह कहते हैं कि अगर लोग मास्क नहीं पहनेंगे तो मोदी कोरोना फैलने से थोड़े रोक सकते हैं। संजय ने कहा, 'कोई उनकी (पीएम मोदी) अच्छी नीयत पर सवाल नहीं उठा सकता। वह गरीब लोगों को खाना और काम देने के लिए पूरी ईमानदारी से अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ कोशिश कर रहे हैं।' समस्याओं के लिए मोदी नहीं, दूसरे जिम्मेदार: समर्थक मोदी के तमाम दूसरे समर्थक भारत की परेशानियों के लिए दूसरों को भी दोष देते हैं। कोई फेडरल ब्यूरोक्रैट्स को कठघरे में खड़ा करता दिखा तो कोई राज्य सरकारों को। कोई गांव के नेताओं को तो कोई विपक्षी पार्टियों। यहां तक कि देश के नागरिकों के भी दोष गिनाने वाले कम नहीं थे। असल में पीएम मोदी की लोकप्रियता में उनकी जनकल्याणकारी योजनाओं की अहम भूमिका है। गरीबों के लिए मुफ्त कूकिंग गैस, टॉइलट और आवास जैसी योजनाएं उन्हें लोकप्रिय बनाती है। दूसरी तरफ हिंदुत्ववादी की उनकी छवि बहुसंख्यकों में उनकी स्थिति मजबूत करती है। कमजोर विपक्ष नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता की एक बड़ी वजह विपक्ष का कमजोर होना भी है। कार्नेगी एंडाउमेंट फॉर इंटरनैशनल पीस के साउथ एशिया प्रोग्राम में सीनियर फेलो और डायरेक्टर मिलन वैष्णव के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत विपक्ष की कमी की वजह से वोटर मोदी की तरफ झुक रहे हैं। वैष्णव कहते हैं, 'हालांकि, इस तरह की राजनीति की भी अपनी कमियां होती हैं। 2019 में मोदी ने प्रभावशाली ढंग से इस बात को भुनाया कि कोई विकल्प नहीं है लेकिन अगर इकॉनमी, रोजगार और गवर्नेंस के मुद्दे पर तेजी से प्रगति नहीं हुई तो 2024 में उनकी राह मुश्किल होगी।' 2019 में और बड़े बहुमत के साथ दोबारा सत्ता में आने के बाद मोदी ने आर्टिकल 370 को हटाया जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता था। नागरिकता कानून को मंजूरी दी जिसमें प्रताड़ना के शिकार पड़ोसी देशों के गैरमुस्लिमों को भारत की नागरिकता का प्रावधान है। एनआरसी की तैयारी चल रही है। इसके अलावा उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखी। ये सारे कदम उनकी हिंदुत्ववादी छवि को किसी न किसी तरह से मजबूत करने वाले हैं। दिल्ली बेस्ड थिंक टैंक विचार विनिमय केंद्र के रिसर्च डायरेक्टर और आरएसएस पर दो किताबें लिख चुके अरुण आनंद बताते हैं, 'वह लोकप्रिय हैं इसकी वजह यह है कि वह विचारधारा को लेकर स्पष्ट हैं। वह बीजेपी मैनिफेस्टों में दर्ज वादों को ही पूरा कर रहे हैं जैसे आर्टिकल 370 को हटाने का वादा।' नैरेटिव पर कंट्रोल नरेंद्र मोदी बार-बार यह नैरेटिव सेट करने में कामयाब हो जाते हैं कि उनकी नीयत में कोई खोट नहीं है। 2016 में उन्होंने अचानक नोटबंदी का ऐलान कर दिया। लंबे समय तक कैश की किल्लत रही। कैश के लिए बैंकों और एटीएम पर लंबी-लंबी कतारें दिखीं। लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए अपने ही पैसों को निकालने के लिए मारे-मारे फिर रहे थे। फिर भी कुछ ही महीनों बाद उनकी पार्टी ने यूपी जैसे अहम राज्य में हुए चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल की। पीएम मोदी ने अब तक के अपने 6 साल के कार्यकाल में एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं किया। इसके बावजूद वह सोशल मीडिया और मासिक रेडियो प्रोग्राम मन की बात के जरिए सीधे लोगों से जुड़ते हैं। वह अपने हिसाब से नैरेटिव सेट करने में कामयाब हो जाते हैं। लॉकडाउन के बाद ज्यादातर लोगों की तरह महाराष्ट्र के रहने वाले 60 साल के ड्राइवर साहबराव पाटिल की भी आमदनी घट गई। लेकिन वह पीएम के उन समर्थकों में से हैं जो कहते हैं मोदी कभी गलत कर ही नहीं सकता। पाटिल कहते हैं, 'मुझे पूरा यकीन है कि मोदी झूठ नहीं बोल सकते। हम ये तक नहीं देखते कि उम्मीदवार कौन है। हम सिर्फ मोदी के लिए वोट देते हैं।'


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महामारी, इकॉनमी बदहाल, सीमा पर टेंशन, फिर भी मोदी की लोकप्रियता क्यों है बरकरार महामारी, इकॉनमी बदहाल, सीमा पर टेंशन, फिर भी मोदी की लोकप्रियता क्यों है बरकरार Reviewed by Fast True News on October 21, 2020 Rating: 5

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