पालघर केस के बहाने माहौल बिगाड़ने की साजिश? पूछताछ के लिए फिर नहीं आए अर्नब गोस्वामी
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मुंबई चैनल के एडिटर-इन-चीफ को चैप्टर केस में शनिवार को वरली डिविजन के एसीपी के सामने पेश होना था। वह शनिवार को एन. एम. जोशी मार्ग पुलिस स्टेशन के बाहर अपने उन पत्रकार साथियों के समर्थन में दिखे, जिनके खिलाफ शुक्रवार को की स्पेशल ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की थी और शनिवार को आने के लिए समन भेजा था, लेकिन अर्नब खुद के खिलाफ चैप्टर केस में वरली डिविजन के एसीपी के सामने पेश नहीं हुए। अर्नब को पिछली बार 16 अक्टूबर को बुलाया गया था। उस बार भी वह नहीं आए थे। अपने वकील को भेजा था। तब पुलिस ने उन्हें शनिवार 24 अक्टूबर की तारीख दी थी, लेकिन वह इस दूसरी तारीख पर भी पेश नहीं हुए। अब एसीपी ने उन्हें 7 नवंबर की नई तारीख दी है। दो मामलों को मिलाकर बनाया गया है चैप्टर केस दो मामलों को मिलाकर दरअसल अर्नब के खिलाफ चैप्टर केस बनाया गया है। इनमें से एक मामला में दो साधुओं की हत्या और दूसरा बांद्रा में कुछ महीने पहले स्टेशन के बाहर जमा भीड़ से जुड़ा है। पुलिस ने आरोप लगाया है कि दोनों ही मामलों में अर्नब ने अपने चैनल के जरिए सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने का काम किया। इसलिए एन. एम. जोशी मार्ग पुलिस ने वरली के एसीपी को प्रस्ताव किया कि अर्नब के खिलाफ चैप्टर प्रक्रिया शुरू की जाए और सीआरपीसी के सेक्शन 108 (1) (अ) के तहत उनसे दस लाख रुपये का बॉन्ड भरवाया जाए। 10 लाख का बॉन्ड भरवाया जाएगा, उल्लंघन पर हो सकती है जेल अर्नब को जिस सेक्शन में यह नोटिस भेजा गया, उसमें किसी के बोलने या कोई किताब या लेख लिखने से सांप्रदायिक माहौल बिगड़ता है, तो उससे एक बॉन्ड भरवाया जाता है। अर्नब के लिए बॉन्ड की समय सीमा एक साल रखी गई है। मतलब अगर एक साल के अंदर अर्नब के खिलाफ पालघर या बांद्रा भीड़ जैसा सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने जैसा कोई और मामला हुआ, तो एसीपी उनसे दस लाख रुपये जमा करने को कह सकते हैं। चैप्टर केस में एसीपी को विशेष कार्यकारी दंडाधिकारी यानी मैजिस्ट्रेट के अधिकार मिले होते हैं। एसीपी मैजिस्ट्रेट की हैसियत से उसके आदेश न मानने वाले को सीधे जेल भी भेज सकता है। हालांकि ऐसा असाधारण स्थितियों में होता है। एनएम जोशी मार्ग पुलिस की सिफारिश पर शुरू हुआ केस चूंकि वरली के एसीपी ने एन. एम. जोशी मार्ग पुलिस स्टेशन के सीनियर इंस्पेक्टर की सिफारिश पर चैप्टर केस की यह कानूनी प्रक्रिया शुरू की है, इसलिए 16 अक्टूबर की पिछली तारीख पर जब अर्नब ने अपने वकील के जरिए इस नोटिस को चुनौती दी, तो वरली के एसीपी ने एन. एम. जोशी मार्ग पुलिस स्टेशन के सीनियर इंस्पेक्टर से उनका फिर पक्ष मांगा। सूत्रों के अनुसार, सीनियर इंस्पेक्टर की तरफ से एसीपी को जवाब भेज दिया गया है।
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पालघर केस के बहाने माहौल बिगाड़ने की साजिश? पूछताछ के लिए फिर नहीं आए अर्नब गोस्वामी
Reviewed by Fast True News
on
October 24, 2020
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