आर्मी चीफ से पहले रॉ चीफ का काठमांडू दौरा, क्या नेपाल से चीन की छुट्टी करवाने में जुटा भारत?
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नई दिल्ली नेपाल हाल के दिनों में भारत के लिए चिंता का सबब बन गया है। वहां की वामपंथी सरकार न केवल चीन की गोद में जा बैठी है बल्कि उसके इशारे पर कई वैसे काम कर चुकी है जिनसे भारत के सामने विकट परिस्थितियां उत्पन्न हो गईं। स्वाभाविक है कि भारत भी नेपाल की बदली नीतियों के पीछे ड्रैगन की चाल को भली-भांति समझ रहा है। यही वजह है कि देश की प्रीमियर एजेंसी रिसर्च ऐंड ऐनालिसिस विंग (RAW) के प्रमुख सामंत गोयल बुधवार को नेपाल दौरे पर गए। नेपाली मीडिया की मानें तो रॉ चीफ बुधवार को नौ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ काठमांडू पहुंचे थे और उन्होंने पूरा दिन वहीं बिताया। आखिर क्यों महत्वपूर्ण है रॉ चीफ का काठमांडू दौरा? नेपाली मीडिया की खबरों में कहा गया है कि अगले महीने इंडियन आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे का नेपाल दौरा भी प्रस्तावित है। ऐसे में रॉ चीफ का यह दौरा काफी मायने रखता है। नेपाल, चीनी कैंप में इतना गहरे न धंस जाए कि फिर उसका भारत की तरफ रुख मोड़ना असंभव सा होने लगे, इसके लिए जनरल नरवणे के दौरे से काफी उम्मीदें लगाई जा रही हैं। भारत और नेपाल के बीच पुराना सैन्य संबंध है। नेपाल ने कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को अपने नक्शे में शामिल कर लिया। तब से दोनों देशों के संबंधों में थोड़ी दूरी जरूर महसूस की जा रही है। नेपाली पीएम ने दिया सकारात्मक संदेश? नेपाल की शिकायत है कि भारत ने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए विदेश सचिव स्तर की बातचीत का तंत्र बहाल करने की उसकी सालों पुरानी मांग को तवज्जो नहीं दे रहा है। संभव है कि आर्मी चीफ के दौरे में नेपाल की इस मांग पर भी गहन विचार हो। नेपाली मीडिया की कुछ खबरों के अनुसार, प्रधानमंत्री केपी ओली ने ईश्वर पोखरेल (Ishwor Pokharel) से रक्षा मामलों की जिम्मेदारी वापस लेकर भारत को सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की है क्योंकि पोखरेल को भारत विरोधी माना जाता है। हालांकि, भारत का मानना है कि सीमा विवाद पर बातचीत के लिए नेपाल को अपने यहां का वातावरण और सुधारणा होगा। भारत लगातार कह रहा है कि नेपाल ने भारतीय इलाकों को नए नक्शे में शामिल कर उस समझौते का उल्लंघन किया है जो सीमा विवाद को आपसी बातचीत के जरिए समाधान का मार्ग प्रशस्त करता है। ओली और प्रचंड से हुई रॉ चीफ की बात? बहरहाल, रॉ चीफ सामंत गोयल के काठमांडू दौरे की पुष्टि न तो भारतीय और न ही नेपाली अथॉरिटीज ने ही की। हालांकि, किसी ने इस खबर को खारिज भी नहीं किया। खबर है कि रॉ चीफ ने काठमांडू में नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड, दोनों से बात की। दोनों ही नेता नेपाली कम्यूनिस्ट पार्टी के सदस्य हैं। प्रचंड ने ओली के खिलाफ मोर्चा संभाल रखा है, लेकिन चीन अपने प्रयासों से दोनों के बीच का युद्ध टालने में अब तक सफल रहा है।
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आर्मी चीफ से पहले रॉ चीफ का काठमांडू दौरा, क्या नेपाल से चीन की छुट्टी करवाने में जुटा भारत?
Reviewed by Fast True News
on
October 22, 2020
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