कोरोना की नई चाल ने उड़ाए होश, वैक्सीन हो जाएगी फेल? पढ़िए यह रिसर्च

भारत में कोरोना वायरस के दोबारा संक्रमण के तीन मामले आने के बाद कोरोना वायरस (Coronavirus Latest Update) को लेकर एक बड़ी बहस छिड़ी हुई है। बहस की वजह है इसका दोबारा संक्रमण (Coronavirus reinfection) । भारत में तेलंगाना और गुजरात से कोरोना वायरस के दोबारा होने से सभी परेशान हैं। ऐसा नहीं है कि ये केवल हिंदुस्तान में ही हो बल्कि कोरोना वायरस संक्रमण के दोबारा संक्रमण होने का पहला मामला हॉन्ग कॉन्ग से आया था। इसके अलावा दुनियाभर में कई देशों में ऐसे मामले सामने आए हैं। इसको लेकर विशेषज्ञों ने अपनी-अपनी राय दी है।

भारत में जैसे-जैसे कोरोना का प्रसार तेज हो रहा है, तो हर्ड इम्यूनिटी (Herd Immunity) को लेकर चर्चा जोर पकड़ रही है। हर्ड इम्युनिटी यानि अगर लगभग 70-90 फीसद लोगों में बीमारी के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाए तो बाकी भी बच जाएंगे। लेकिन इसके लिए वैक्सीन जरूरी है। क्या कोरोना वैक्सीन की अनुपलब्धता में हर्ड इम्युनिटी अपना काम कर पाएगी? जिस व्यक्ति को इसका संक्रमण होता है उसके भीतर एंटीबॉडी (Anti Body) बनकर तैयार हो जाती है और ये एंटीबॉडी को उसको दोबारा संक्रमित होने से बचाता है लेकिन आखिरकार ये सवाल आता है कि ये एंटीबॉडी कब तक काम करता है। क्या जब हमारे पास वैक्सीन उपलब्ध होगी तब हम इस वायरस से जीत हासिल कर पाएंगे या नहीं।
भारत में कोरोना वायरस से दोबारा संक्रमण के 3 केस

भारत समेत पूरे देश में कोरोना वायरस से दोबारा संक्रमित होने के मामले सामने आ रहे हैं। भारत में अब तक तीन ऐसे मामले सामने आए, जिनको कोरोना वायरस हुआ और ठीक हो गए। उनके शरीर में एंटीबॉडी भी डेवलप हो गया लेकिन कुछ महीनों बाद उसको फिर से कोरोना वायरस ने जकड़ लिया।
आश्चर्य में नहीं दुनियाभर के वैज्ञानिक, दोबारा संक्रमण के बहुत कम मामले

दुनियाभर के वैज्ञानिक बहुत ज्यादा इसको लेकर आश्चर्य में नहीं हैं क्योंकि ये 24 मिलियन केस में ऐसा मामला बहुत कम है। कोरोना वायरस के दोबारा संक्रमण के कुछ केस चीन से मिले हैं। कहा जा रहा है कि जो इस वायरस से पूरी तरह रिकवर नहीं हो पाता ऐसी स्थिति में उसके दोबारा संक्रमण होने की संभावना रहती है। नीदरलैंड और बेल्जियम में भी दोबारा संक्रमण के मामले सामने आए हैं। भारत में तेलंगाना और गुजरात में भी ऐसे ही मामले सामने आए हैं। हॉन्ग कॉन्ग के मरीज जोकि अहमदाबाद में भर्ती थे उनको कोरोना से दोबारा अपनी जद में लिया है।
कोरोना वैक्सीन के बारे में क्या कहा विशेषज्ञों ने

हांगकांग में शोधकर्ताओं में से एक केल्विन काई-वांग टू ने एक अध्ययन कर फॉर्च्यून पत्रिका को बताया कि टीके से काफी हद तक इस बीमार से बचने की ताकत मिलेगी। ये टीका इंसान के कोरोना से लड़ने की ताकत देगा।
आखिरकार क्यों और कैसे दोबारा संक्रमण हो रहा है?

वायरस का आनुवंशिक विश्लेषण करते हुए शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि ये व्यक्ति दो SARS-CoV-2 के अलग-अलग स्ट्रेन से संक्रमित हुआ है। इसका मतलब ये है कि या तो इस व्यक्ति की रिपोर्ट या तो गलती से पॉजिटिव आई है या फिर ये व्यक्ति उन लोगों में से एक है जिनमें वायरल का RNA कई महीनों तक रहता है। अमेरिका के एमोरी वैक्सीन सेंटर की प्रोफेसर सिंथिया डेरडेन का कहना है कि जो लोग कोरोना महामारी में जल्दी संक्रमित हो जाते हैं उन लोगों में ये चार से पांच महीने तक बना रह सकता है। जिसकी वजह से व्यक्ति फिर से संक्रमित हो सकता है। हो सकता है कि ऐसे मामले और आएं।'
क्या दोबारा संक्रमण होने से रोक पाएगी वैक्सीन?

अब बात करते हैं वैक्सीन की। अब सवाल ये उठता है कि क्या एक बार टीका लगने के बाद आपको दोबारा कोरोना संक्रमित नहीं कर सकता। अगर ऐसे मामले सामने आने लगे तो ये सवाल लाजिमी है। मगर विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वैक्सीन इंसान के अंदर की ताकत को बहुत ज्यादा बढ़ाएगा और ये जो ताकत जिसको हम लोग इम्यूनिटी सिस्टम कहते हैं वो कोरोना वायरस से ज्यादा ताकतवर हो जाएगी और ये लंबे समय तक मरीज को इस वायरस से रक्षा करेगी।
स्वीडन काम कर रहा हर्ड इम्यूनिटी पर

एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोरोना वायरस से लोगों के बीच हर्ड इम्यूनिटी तभी ड़ेवलप होगी जब तकरीबन 60 प्रतिशत जनसंख्या संक्रमित हो चुकी हो। हालांकि इस साठ प्रतिशत के आंकड़े को लेकर भी अभी तक सभी एक्सपर्ट्स में एक राय नहीं है। इस वक्त पूरी दुनिया में सिर्फ एक देश स्वीडन ही है जो हर्ड इम्यूनिटी के एक्सपेरिमेंट पर काम कर रहा है। मार्च में जब कोरोना वायरस फैला था तब ब्रिटेन में भी हर्ड इम्यूनिटी की बात कही गई थी लेकिन आलोचनाओं के बाद सरकार को अपनी बातों से पीछे हटना पड़ा था।
सब तक वैक्सीन नहीं है तब तक दूरी बनाएं- विशेषज्ञ

विशेषज्ञों ने कहा कि ये खतरनाक होता है क्योंकि जिस इंसान के भीतर कोरोना वायरस के कोई लक्षण नहीं है वो दूसरों को आसानी से संक्रमित कर सकता है। रिसर्चरों का कहना है जब तक इसका टीका उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तब तक आप सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और दूर रहें।
दोबारा संक्रमण में लक्षण नहीं, वायरस का स्वरूप भी बदला

हॉन्ग कॉन्ग के कुछ रिसर्चरों ने पाया कि अगर एक बार किसी को कोरोना वायरस को जकड़ा है तो दोबारा होने में कम से कम चार महीनों का वक्त लगेगा। मतलब की यदि आपको कोरोना मार्च में हुआ और आप ठीक हो गए तो अगली बार आपको चार महीने बाद संक्रमण हो सकता है। स्टडी में ये भी पाया गया कि दोबारा जो कोरोना वायरस है बिना लक्षणों वाला है। उनके लक्षण दिखाई नहीं देते और वायरस के स्वरूप में भी अंतर पाया गया है।
हॉन्ग कॉन्ग में मिला पहला केस

हॉन्गकॉन्ग के एक रिसर्चर ने स्टडी में पाया कि 33 साल के एक व्यक्ति में सबसे पहले कोरोना से दोबारा संक्रमित होना पाया गया। 26 मार्च को ये व्यक्ति को पहली बार कोरोना से संक्रमित हुआ और फिर अप्रैल को दो बार निगेटिव आया। इसके बाद इस व्यक्ति से यूरोप का टूर किया और 15 अगस्त को वो दोबारा से संक्रमित हो गया। हालांकि इस व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं दिखे। स्टडी में पाया गया कि दोबारा संक्रमित हुए व्यक्ति के शरीर में एंटबॉडी नहीं मिली और इस बार वायरस का रूप भी बदला हुआ था।
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