बिहार नाइजीरिया तो केरल ब्राजील जैसा क्यों?
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जिस देश या राज्य में जन्म दर ज्यादा है, पिरामिड में उसका निचला हिस्सा ज्यादा चौड़ा दिखता है क्योंकि वहां बच्चों की संख्या ज्यादा है। ऐसे में बिहार का पिरामिड नाइजीरिया से मिलता-जुलता है। झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान के पिरामिड भी बिहार और नाइजीरिया जैसे ही हैं। वहीं, केरल, तमिल नाडु और हिमाचल प्रदेश में जन्म दर कम है, इसलिए उनके पिरामिड का निचला हिस्सा चौड़ा नहीं है।
विभिन्न आयुवर्ग के आधार पर हरियाणा की आबादी की तुलना केरल और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों करें तो वहां (हरियाणा में) कम आयु वर्ग की आबादी में लैंगिक विषमता ज्यादा दिखती है। ऐसी ही स्थिति रूस की है जिसने द्वितीय विश्व युद्ध में अपनी करीब 15% (करीब 1.70 करोड़) आबादी को दी थी जिनमें ज्यादातर पुरुष थे। इटली और जर्मनी की भी यही कहानी है जहां बुजुर्ग महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले ज्यादा है।
दिल्ली की आबादी से बने पिरामिड की बात करें तो वहां काम करने योग्य आयु वर्ग की आबादी बढ़ती दिखती है। ध्यान रहे कि दिल्ली में उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों के प्रवासियों का भी बसेरा है। उत्तराखंड में बच्चों की आबादी बढ़ रही है और 20-24 वर्ष के आयु वर्ग के बाद की जनसंख्या घट रही है। अगर आप भारत और चीन के पिरामिड की तुलना करेंगे तो आपको पता चल जाएगा कि भारत अभी की जनसंख्या बहुत भिन्न है जबकि चीन में उतना अंतर नहीं रह गया है। दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत और चीन की जनसंख्या में 15 से 59 वर्ष की आयुवर्ग के लोग ज्यादा हैं। दूसरी तरफ जापान में जनसंख्या भिन्नता का वक्त गुजर चुका है। वहां बुजुर्गों की तादाद ही काफी है।
केरल, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और पंजाब जैसे राज्यों में बिहार, असम, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के मुकाबले 60 से ज्यादा आयुवर्ग के लोगों की दोगुनी तादाद है। हालांकि, इटली और जर्मनी जैसे देशों से इनकी तुलना की जाए तो केरल, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और पंजाब युवा ही दिखते हैं।
2010 से भारत के पिरामिड का निचला हिस्सा सिकुड़ता जा रहा है। 2030 आते-आते देश में 20 से 29 और 30 से 39 वर्ष के आयुवर्ग के लोगों की तादाद बढ़ जाएगी। 2050 तक 40 से 49 वर्ष के लोगों की तादाद सबसे ज्यादा होगी जैसा कि अभी चीन में है।
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