क्या मुस्लिमों की पहली पंसद बन गए केजरी?
नई दिल्ली दिल्ली चुनाव के लिए आज शाम को प्रचार थम जाएगा। कई सर्वे में दावा किया गया है कि आखिरी दिनों में शाहीन बाग हिंसा और कपिल गुर्जर के कारण ध्रुवीकरण में मदद मिली और इसका फायदा बीजेपी को मिलता दिख रहा है। ऐसे में दिल्ली के 25 लाख मुस्लिम मतदाताओं में ज्यादातर नहीं चाहतें है कि इस बार वोट का बंटवारा हो। इनमें से ज्यादातर मतदाताओं की पहली पसंद आम आदमी पार्टी (आप) है। मोहम्मद तहसीन कहते हैं कि सबका अपना रुझान होता है, लेकिन चुनावी मूड आप के समर्थन में है। मैं शुरू से कांग्रेसी वोटर रहा हूं। लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को वोट किया है। मेरे ज्यादातर पड़ोसी आप को वोट कर रहे हैं। मेरे लिए यह मुश्किल जरूर है, लेकिन मुझे सही फैसला लेना होगा। कुछ ऐसे भी वोटर हैं जो कांग्रेस सरकार के किए काम को याद रखे हैं और चाहते हैं कि हमेशा की तरह वे इस साल भी अपना वोट कांग्रेस को दें, लेकिन वोटों का बंटवारा नहीं हो, इसलिए वे आम आदमी पार्टी को वोट देने की बात कर रहे हैं। उन्हें डर है कि वोट बंटवारे से उनकी हार होगी। पिछले चुनाव में वोट बंटवारे के कारण बीजेपी को 58388 वोट मिला और वह जीत गई। उस चुनाव में कांग्रेस को 52357 और आप को 49791 वोट मिले थे। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जामिया के पास चल रहे प्रदर्शन में भी हवा आम आदमी पार्टी के समर्थन में है। इस एरिया में कई वर्ग ऐसे हैं जो स्टील फ्रैब्रिकेशन और अन्य छोटे बिजनस से जुड़े थे। जीएसटी के कारण इनका कारोबार ठप हो गया, जिसकी वजह से ये बीजेपी के खिलाफ हैं। इसके अलावा ऐसे मतदाताओं की भी कमी नहीं है जो मीडिया और राजनेताओं द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम से प्रभावित हैं। इन मतदाताओं का कहना है कि केजरीवाल सरकार ने पिछले पांच साल में वाकई काम किया है। पानी और बिजली बिल माफ करने से गरीबों का बहुत भला हुआ है। ज्यादातर इलाकों में पानी की सप्लाई बेहतर हुई है। स्कूल में अब पढ़ाई होने लगी है। ऐसे मतदाता विकास की वजह से केजरीवाल को वोट करना चाहते हैं।
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क्या मुस्लिमों की पहली पंसद बन गए केजरी?
Reviewed by Fast True News
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February 06, 2020
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