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राम मंदिर ट्रस्ट ऐलान से खफा क्यों ये संत?

अयोध्‍या अयोध्‍या में बनाने के लिए 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' ट्रस्‍ट के ऐलान के बाद अयोध्‍या के संतों ने इस पर गहरी नाराजगी जताई है। श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास ने कहा है कि ट्रस्‍ट में अयोध्‍या के संतों के साथ अन्‍याय हुआ है। उन्‍होंने कहा कि राम मंदिर अब वे लोग बनाएंगे जिन्‍हें कुछ भी पता नहीं है। इस बीच संतों ने आज दोपहर बाद बुलाई बैठक स्थगित कर दी है। 'मंदिर वे लोग बनाएंगे जिन्हें कुछ नहीं पता' एक निजी चैनल से बातचीत में ने कहा, 'अयोध्या के संतों के साथ अन्याय हुआ है। राम मंदिर के लिए दशकों से हम लड़ाई लड़ते आए हैं। अयोध्या में राम मंदिर वे लोग बनाएंगे जिन्हें कुछ नहीं पता।' माना जा रहा है कि केंद्र सरकार के बनाए राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्र्स्ट में नुमाइंदगी को लेकर कुछ संत नाराज हैं। पढ़ें: 'ट्रस्ट के सदस्यों को अयोध्या में नहीं घुसने देंगे' राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी कमल नयन दास का कहना है, 'हम इस ट्रस्ट को मानने के तैयार नहीं हैं। इस ट्रस्ट में वैष्णव समाज के संतों का अपमान किया गया है। जो राम मंदिर आंदोलन के लिए लगे रहे और कुर्बानी दी उनको ट्रस्ट से दूर रखा गया है।' कमल नयन दास ने कथित रूप से राम मंदिर आंदोलन से नाता नहीं रखने वाले लोगों को ट्रस्ट में लेने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा, 'अयोध्यावासी आंदोलन करते हुए पुरजोर तरीके से विरोध करेंगे। अयोध्या राजपरिवार के बिमलेश मोहन प्रताप मिश्रा राजनीतिक शख्स हैं। वह बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। इनका राम जन्मभूमि आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है। इनको कोई जानता भी नहीं था। उन्हें राम जन्मभूमि ट्रस्ट में जगह दी गई है। पूरे देश में संत समाज विरोध करेगा। रामानंदी संतों का यह अपमान है।' कमल नयन दास ने कहा है कि ट्रस्ट के सदस्यों को अयोध्या में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। लोकसभा में बताया राम मंदिर का पूरा प्लान बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में राम मंदिर का पूरा प्लान बताया। उन्होंने घोषणा की कि राम मंदिर के लिए बनने वाले ट्रस्ट का नाम 'श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' होगा। इस ट्रस्ट में कुल 15 सदस्य होंगे। गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट करके बताया कि 15 में से एक सदस्य दलित समुदाय से भी होगा। ट्रस्ट में शामिल किए जाने वाले लोगों में ऐडवोकेट के. पराशरण, कामेश्वर चौपाल, महंत दिनेंद्र दास और अयोध्या राज परिवार से जुड़े बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा जैसे नाम प्रमुख हैं। लंबे समय तक चले अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया था। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि वह राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन करे। सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश के तहत ट्रस्ट का गठन करते हुए केंद्र सरकार ने इसका नाम 'श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' ट्रस्ट रखा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भारत सरकार ने राजपत्र जारी कर कहा है कि विवादित स्थल के आंतरिक और बाह्य प्रांगण का कब्जा न्यास को सौंप दिया गया है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार और ट्रस्ट स्कीम के तहत भूमि पर विकास कराएगा। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में 15 ट्रस्टी होंगे, जिनमें से एक ट्रस्टी हमेशा दलित समाज से रहेगा।


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राम मंदिर ट्रस्ट ऐलान से खफा क्यों ये संत? राम मंदिर ट्रस्ट ऐलान से खफा क्यों ये संत? Reviewed by Fast True News on February 06, 2020 Rating: 5

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