अमेठी: मोदी-स्मृति के ड्रीम 'AK' को झटका!
मनु पब्बी, लखनऊ देश में राजनीतिक रूप से बेहद अहम अमेठी में असॉल्ट राइफल बनाने की भारत-रूस की योजना को झटका लगा है। टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर और प्रॉडक्शन प्लांट लगाने की जटिलताओं के चलते राइफल बनाने वाली ज्वाइंट वेंचर (JV) अभी तक इसके लिए कोई ऑफर प्राइस नहीं तय कर पाई है। मामले से वाकिफ लोगों ने बताया कि ज्वाइंट वेंचर अभी तक सेना के लिए एक कॉम्पिटिटिव ऑफर पर सहमति नहीं बना पाई है। यह राइफल सेना की स्वदेशीकरण की जरूरतों को भी पूरा करने के लिहाज से भी अहम है। औपचारिक रूप से कॉन्ट्रैक्ट देने से पहले कमर्शियल ऑफर्स आवश्यक हैं। ऐसे में समझौता नहीं होने से प्रॉजेक्ट में देरी हो सकती है। हालांकि सूत्रों ने बताया अगर मसला सुलझा लिया जाता है तो यह प्रॉजेक्ट अभी भी इस साल के मार्च तक शुरू हो सकता है। मूल योजना के मुताबिक, फैक्ट्री में इस साल मई तक काम शुरू हो जाना था। हालांकि ज्वाइंट वेंचर जब तक लागत से जुड़े मुद्दों को नहीं सुलझा लेती, तब तक ऐसा होने की उम्मीद नहीं है। मेक इन इंडिया मुहिम पर भी असर इस मामले में कुछ बड़े मुद्दे शामिल हैं, जो मेक इन इंडिया मुहिम पर भी असर डाल रहे हैं। ऐसी धारणा रही है कि भारत में बने प्रॉडक्ट्स सस्ते होंगे, लेकिन नया प्लांट लगाने की शुरुआती लागत काफी अधिक है, जिससे देश में बनने वाले हथियारों की लागत भी काफी अधिक हो जाएगी। अधिकतर मामलों में भारत में बने हथियार की लागत शुरुआती चरणों में इंपोर्टेड हथियारों के मुकाबले 25-50 पर्सेंट अधिक है। हालांकि बड़े पैमाने पर प्रॉडक्शन और एक्सपोर्ट के कुछ मौकों के साथ लंबे समय में इस लागत को कम किया जा सकता है। एक सूत्र ने बताया कि दोनों पक्ष 100 पर्सेंट स्वदेशीकरण के लक्ष्य के साथ चल रहे हैं, जिसने लागत को बढ़ा दिया है। इसे कम करना होगा। ऐसा करने के लिए दोनों ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर, कलाश्निकोव और उसकी भारतीय सहयोगी द ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड से रियायत मिलने की जरूरत होगी। एक राइफल की कीमत 1,000 डॉलर से अधिक भारतीय सेना के लिए रिकॉर्ड 670,00 कलाश्निकोव एके 203 राइफल्स बनाने के ऑर्डर पर करीब एक साल पहले चर्चा हुई थी। हालांकि टेक्निकल और कमर्शियल बिड्स सौंपने में देरी के चलते अभी तक औपचारिक रूप से इस ऑर्डर को नहीं दिया जा सका है। प्रत्येक राइफल की कीमत 1,000 डॉलर से अधिक आने का अनुमान है। आने वाले वक्त में ये बंदूकें फिलहाल इस्तेमाल हो रही एके-47 और इंसास राइफल की जगह ले लेंगी। टेक्निकल बिड से जुड़ी बाधा को पिछले साल अक्टूबर में दूर कर लिया गया था। अब अगला चरण कमर्शियल ऑफर जमा करने का है, जिससे सरकार मंजूरी देगी। बुधवार को डिफेंस एक्सपो के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रॉजेक्ट का जिक्र किया और यहां से प्रॉडक्शन जल्द शुरू होने की बात कही। इस प्रॉजेक्ट को प्राथमिकता के तौर पर लिया जा रहा है, लेकिन बजट की तंग स्थिति को देखते हुए कमर्शियल पहलू काफी अहम रहने वाला है। एक मिनट में 600 गोलियां दागी जा सकेंगी बता दें कि सुरक्षाबलों को दी जाने वाली इस राइफल को पूरी तरह से लोड किए जाने के बाद कुल वजन 4 किलोग्राम के आसपास होगा। इसमें एके-47 की तरह ऑटोमैटिक और सेमी-ऑटोमैटिक दोनों तरह के वैरियंट मौजूद होंगे। हाइटेक एके-203 राइफल से एक मिनट में 600 गोलियां दागी जा सकेंगी और इससे 400 मीटर की दूरी पर मौजूद किसी दुश्मन पर अचूक निशाना लगाया जा सकेगा। राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम है अमेठी यह प्रॉजेक्ट राजनीतिक रूप से भी बेहद अहम है क्योंकि अमेठी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र रहा है और अभी बीजेपी नेता स्मृति इरानी यहां से सांसद हैं। स्मृति इरानी ने अमेठी के चहुमुखी विकास का वादा किया है लेकिन अगर यह योजना परवान नहीं चढ़ती है तो उन्हें बड़ा राजनीतिक झटका लगेगा। राहुल गांधी इस मुद्दे को उठा सकते हैं।
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अमेठी: मोदी-स्मृति के ड्रीम 'AK' को झटका!
Reviewed by Fast True News
on
February 05, 2020
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