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100% खारिज होगी पर रिव्यू हमारा हक: मदनी

लखनऊ अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लखनऊ में आज ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) की अहम बैठक हुई। इस बीच बैठक के बाद मौलाना अरशद मदनी ने साफ संकेत दिए हैं कि लॉ बोर्ड कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटिशन डालने की तैयारी कर चुका है। शनिवार को सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए चार मुस्लिम पक्षकारों ने सहमति दे दी थी। इससे पहले बोर्ड बैठक के लिए पहले से तय जगह को बदल दिया गया। इस बैठक में बोर्ड के सचिव और सांसद असदुद्दीन ओवैसी समेत ज्यादातर सदस्य शामिल हुए। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया। ' दाखिल करना चाहिए रिव्यू पिटिशन' बैठक खत्म होने के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'अयोध्या पर फैसला हमारे खिलाफ है। यह तथ्य पहले से जानते हुए कि हमारी रिव्यू याचिका खारिज होने के 100 फीसदी आसार हैं, हमें सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल करना चाहिए। यह हमारा हक है।' नदवा की जगह मुमताज कॉलेज में हुई बैठक लखनऊ के मुमताज पीजी कॉलेज में पर्सनल लॉ बोर्ड वर्किंग कमिटी की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में मौलाना महमूद मदनी, अरशद मदनी, खालिद रशीद फरंगी महली, जफरयाब जिलानी और राबे हसन नदवी समेत तमाम बोर्ड मेंबर्स ने शिरकत की। इसके साथ ही हैदराबाद सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मीटिंग में हिस्सा लिया। इससे पहले बोर्ड की मीटिंग के आयोजन स्थल पर विवाद देखने को मिला। रविवार सुबह 10 बजे लखनऊ के नदवा कॉलेज में बैठक आयोजित होनी थी। यहां पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य इकट्ठा हुए लेकिन बाद में बैठक की जगह को परिवर्तित कर दिया गया। पढ़ें: मंत्री मोहसिन रजा का बोर्ड बैठक पर सवाल नदवा कॉलेज में मीटिंग को लेकर सवाल उठाए गए थे। योगी सरकार में मंत्री मोहसिन रजा ने बोर्ड की बैठक को लखनऊ का माहौल खराब करने की कोशिश करार दिया। रजा ने बोर्ड की फंडिंग पर भी सवाल खड़े किए। मुस्लिम पक्षकारों ने अयोध्‍या मामले पर हाल में आए निर्णय के खिलाफ अपील दाखिल किये जाने की इच्‍छा जताते हुए शनिवार को कहा कि मुसलमानों को बाबरी मस्जिद के बदले कोई जमीन भी नहीं लेनी चाहिए। शुक्रवार को इस विवाद में पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने बोर्ड की बैठक के बहिष्कार का ऐलान किया था। पक्षकारों ने बोर्ड महासचिव से राय जाहिर की पक्षकारों ने एआईएमपीएलबी के महासचिव मौलाना वली रहमानी से नदवा में मुलाकात के दौरान यह ख्‍वाहिश जाहिर की। जफरयाब जिलानी ने बताया कि मौलाना रहमानी ने रविवार को नदवा में ही होने वाली बोर्ड की वर्किंग कमिटी की महत्‍वपूर्ण बैठक से पहले रामजन्‍मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले से जुड़े विभिन्‍न मुस्लिम पक्षकारों को राय जानने के लिए बुलाया था। उन्‍होंने बताया कि मामले के मुद्दई मुहम्‍मद उमर और मौलाना महफूजुर्रहमान के साथ-साथ अन्‍य पक्षकारों हाजी महबूब, हाजी असद और हसबुल्‍ला उर्फ बादशाह ने मौलाना रहमानी से मुलाकात के दौरान कहा कि उच्‍चतम न्‍यायालय का निर्णय समझ से परे है, लिहाजा इसके खिलाफ अपील की जानी चाहिए। पढ़ें: 'मुसलमानों को मस्जिद के बदले जमीन नहीं चाहिए' इसके अलावा एक अन्‍य पक्षकार मिसबाहुद्दीन ने भी फोन पर बात करके यही राय जाहिर की। जिलानी ने बताया कि इन पक्षकारों ने यह भी कहा कि मुसलमानों को बाबरी मस्जिद के बदले कोई जमीन नहीं लेनी चाहिए। मालूम हो कि उच्‍चतम न्‍यायालय ने रामजन्‍मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में नौ नवम्‍बर को फैसला सुनाते हुए विवादित स्‍थल पर राम मंदिर का निर्माण कराने और मुसलमानों को मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्‍या में किसी प्रमुख स्‍थान पर पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जिलानी ने इस निर्णय में अनेक विरोधाभास बताते हुए कहा था कि वह इससे संतुष्‍ट नहीं हैं। इकबाल अंसारी ने किया बैठक का बॉयकॉट इकबाल अंसारी ने एनबीटी से खास बातचीत में कहा, 'हम पहले भी कह चुके हैं कि कोर्ट के फैसले को मानेंगे। उसका सम्मान करेंगे और उसके खिलाफ कोई अपील नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट देश की सबसे बड़ी अदालत है, उसने जो फैसला दिया वह देश हित में है। इससे देश का विकास होगा। देश में शांति कायम रखने के लिए कोशिशें होनी चाहिए। अब मंदिर-मस्जिद के लिए बहुत कुछ हो गया। कोर्ट के फैसले के साथ इसे समाप्त कर देना चाहिए।' अंसारी ने कहा कि मैं ऐसी बैठकों में अब हिस्सा नहीं लेना चाहता और शांति की जिंदगी जीना चाहता हूं, क्योंकि अब इस केस को लेकर आगे किसी भी लड़ाई के पक्ष में नहीं हूं। पढ़ें: इससे पहले बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी ने शुक्रवार को कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड अयोध्या में जमीन लेने या ना लेने के मसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के निर्णय को खास अहमियत देगा। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अयोध्या मामले में कोई पक्षकार नहीं था, मगर वह बेशक देश में मुसलमानों की सर्वमान्य संस्था है। लिहाजा उसके निर्णय को अहमियत देना वाजिब है। फारुकी ने कहा कि फिलहाल सवाल यह है कि क्या सुन्नी वक्फ बोर्ड मस्जिद निर्माण के लिए उच्चतम न्यायालय के आदेश पर दी जाने वाली 5 एकड़ जमीन लेने से इनकार कर सकता है? ऐसा करना कहीं अदालत की अवमानना तो नहीं होगी? इसके लिए बोर्ड ने कानूनी राय लेना शुरू कर दिया है। (भाषा से मिले इनपुट के साथ)


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100% खारिज होगी पर रिव्यू हमारा हक: मदनी 100% खारिज होगी पर रिव्यू हमारा हक: मदनी Reviewed by Fast True News on November 17, 2019 Rating: 5

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