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अमेरिकी 'चाणक्यों' से क्यों मिल रहे जयशंकर!

चिदानंद राजघट्टा, वॉशिंगटन अमेरिकी टीवी न्यूज की दुनिया में एक टर्म का इस्तेमाल होता है- फुल गिंसबर्ग। यह तब इस्तेमाल होता है जब कोई शख्स सभी 5 प्रमुख संडे मॉर्निंग टॉक शो पर एक ही दिन दिखाई दे। यह नाम विलियम गिंसबर्ग की वजह से पड़ा है जो मोनिका लेविंस्की के वकील थे। 1998 में तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और वाइट हाउस की इंटर्न मोनिका लेविंस्की के सेक्स स्कैंडल ने अमेरिकी राजनीति को हिला दिया था। तब गिंसबर्ग सभी 5 प्रमुख संडे मॉर्निंग टॉक शो में एक ही दिन दिखाई दिए थे। इस आधार पर कूटनीति की दुनिया में 'फुल जयशंकर' टर्म का इस्तेमाल किया जा सकता है। राजनयिक से भारत के विदेश मंत्री बने एस. जयशंकर उन प्रमुख थिंकटैंकों से रूबरू हुए जो अमेरिकी विदेश नीति को बहुत हद तक तय करने वाले 'चाणक्य' माने जाते हैं। करीब 20 साल बाद अमेरिका में भारत की इस तरह की डिप्लोमैटिक इंगेजमेंट भारत के नए विदेश मंत्री जयशंकर अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में हैं। इस शहर के बारे में कहा जाता है कि यहां इतने थिंकटैंक हैं जितने कुछ देशों के पास युद्धक टैंक नहीं हैं। यहां जयशंकर विदेश नीति पर एक के बाद एक थिंकटैंक के साथ रूबरू हो रहे हैं और भारत की नीतियों और उसके पक्ष को सामने रख रहे हैं। इससे पहले इस तरह की डिप्लोमैटिक इंगेजमेंट अटल सरकार में विदेश मंत्री रहे जसवंत सिंह की देखी गई थी जब भारत ने परमाणु परीक्षण किए थे। क्यों चाणक्य माने जाते हैं थिंकटैंक बहुत हद तक दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को तय करते हैं। इस तरह उनका असर सिर्फ अमेरिका ही नहीं, पूरी दुनिया पर पड़ता है। यही वजह है कि उन्हें चाणक्य कहना गलत नहीं होगा। दरअसल थिंकटैंक वे संगठन हैं जो पॉलिसी रिसर्च और ऐनालिसिस करते हैं। पिछली एक सदी से अमेरिकी थिंकटैंक नीतियां तय करने में काफी असरदार साबित होते रहे हैं। वॉशिंगटन में 5 और न्यू यॉर्क में 2 थिंकटैंकों से मुखातिब हुए जयशंकर पूर्व विदेश सचिव और अमेरिका में भारत के राजदूत रह चुके एस. जयशंकर 72 घंटों में वॉशिंगटन डीसी के प्रमुख 5 थिंकटैंकों- कार्निज इन्डोमेंट फॉर इंटरनैशनल पीस, अटलांटिक काउंसिल, सेंटर फॉर स्ट्रैटिजिक ऐंड इंटरनैशनल स्टडीज, द ब्रुकिंग्स इंस्टिट्यून और द हेरिटेज फाउंडेशन से मुखातिब हो चुके हैं। इससे पहले वह न्यू यॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र से इतर सेंटर फॉर फॉरेन रिलेशंस और एशिया सोसाइटी से मुखातिब हुए थे। इस दौरान उन्होंने भारत की विदेश नीति के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर उसकी भूमिका पर बातचीत की। 42 विदेश मंत्रियों से मुलाकात, 36 द्विपक्षीय बातचीत जयशंकर अमेरिका में 42 देशों के विदेश मंत्रियों से मिले, 36 द्विपक्षीय बातचीत की, 7 बहुपक्षीय बैठकें कीं और 3 कार्यक्रमों को संबोधित किया। यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने कूटनीतिक प्रयासों से इतर था, जिनमें उन्होंने दर्जनभर वर्ल्ड लीडर्स से मुलाकात की। वॉशिंगटन में अभी जयशंकर की बैठकों का दौर जारी रहने वाला है, जिसमें अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ, रक्षा मंत्री मार्क एस्पर, एनएसए रॉबर्ट ओ'ब्रायन और कार्यवाहक गृह मंत्री मैक एलीनन से मुलाकातें शामिल हैं। रणनीतिक संबंध, व्यापार टॉप अजेंडा, ना'पाक' दुष्प्रचार की भी खोली पोल अमेरिका और विश्व समुदाय के साथ नई दिल्ली के इस इंगेजमेंट के अजेंडे में बड़े देशों के साथ रणनीतिक और व्यापारिक संबंध बढ़ाना टॉप पर है। हालांकि, भारत ने इन मुलाकातों का इस्तेमाल कश्मीर पर पाकिस्तान के दुष्प्रचारों का जवाब देने और अपने पक्ष से अवगत कराने के लिए भी किया है। भारत अपना पक्ष मजबूती से रख रहा है कि जम्मू-कश्मीर का भारत में वैध तरीके से विलय हुआ था और पाकिस्तान ने उसके एक हिस्से पर अवैध कब्जा कर लिया जिसे 'पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाला कश्मीर' (POK) कहा जाता है। पाकिस्तान कश्मीर पर जिस संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव की दुहाई देता है, वह प्रस्ताव भी कहता है कि जनमत संग्रह जैसे किसी भी कदम से पहले इस्लामाबाद को उस हिस्से को खाली करना होगा जिस पर उसने कब्जा किया हुआ है। इसके अलावा पाकिस्तान ने कश्मीर पर अपने अवैध कब्जे वाले इलाके का एक हिस्सा चीन को भी दे दिया है। 'जम्मू-कश्मीर में किसी की जान न जाए, इसलिए अस्थायी पाबंदियां' एस. जयशंकर ने मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि उनकी करीब आधी मुलाकातों, बैठकों में कश्मीर का मुद्दा आया। ज्यादातर में आर्टिकल 370 को खत्म किए जाने के बाद सूबे में नागिरक अधिकारों की रक्षा हो, इस पर बात हुई। जयशंकर ने अपनी बैठकों में स्पष्ट किया कि आर्टिकल 370 भारतीय संविधान का एक अस्थायी प्रावधान था और इसे हटाया जाना ही था। उन्होंने जोर देकर बताया कि घाटी में अभी जो सख्ती है, उसका मुख्य मकसद संभावित हिंसा को रोकना है। संचार पाबंदियों की आलोचनाओं पर जयशंकर ने कहा, 'मैं इंटरनेट पंसद करता हूं, लेकिन यह जिंदगी (के नुकसान) के बराबर नहीं हो सकता।' 'भारत और पाकिस्तान को एक साथ रखने पर ऐतराज' इसके अलावा, जयशंकर ने भारत और पाकिस्तान को एक साथ रखे जाने की भी आलोचना की। उन्होंने पत्रकारों से कहा, 'आप भारत और पाकिस्तान को एक साथ कैसे रख सकते हैं? आप एक ऐसे देश को हमारे साथ कैसे रख सकते हैं जो हमारी अर्थव्यवस्था का आठवां हिस्सा है... जो छवि के लिहाज से बिल्कुल उलट वजह से चर्चित है?' उन्होंने कहा कि इस तर्क के आधार पर तो भारत को कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहिए जिससे किसी भी बातचीत में पाकिस्तान आए।


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अमेरिकी 'चाणक्यों' से क्यों मिल रहे जयशंकर! अमेरिकी 'चाणक्यों' से क्यों मिल रहे जयशंकर! Reviewed by Fast True News on October 02, 2019 Rating: 5

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