UAPA पर दिग्विजय vs शाह vs चिदंबरम
नई दिल्ली विधि विरुद्ध क्रिया-कलाप (निवारण) संशोधन बिल (UAPA) शुक्रवार को राज्यसभा से भी पास हो गया। इस बिल के पारित होने से अब संस्था के अलावा आतंकी गतिविधियों में शामिल किसी व्यक्ति को भी आतंकी घोषित किया जा सकेगा। शुक्रवार को राज्यसभा में इस बिल के प्रावधानों पर विपक्षी सदस्यों ने तीखा विरोध किया। कांग्रेस की तरफ से वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम और ने मोर्चा संभाला, तो गृहमंत्री ने दोनों नेताओं को संबोधित करते हुए पलटवार किया। जानिए राज्यसभा में बिल पर किस तरह चिदंबरम, दिग्विजय और शाह के बीच वार-पलटवार का सिलसिला चला। चिदंबरम VS अमित शाह व्यक्ति को आतंकी बताना ठीक नहीं: चिदंबरम का विरोध करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर आप संशोधन के कारणों को देखेंगे तो इसमें कहा गया है कि यह राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को मजबूत करने के लिए है। आप (सरकार) कहते हैं कि इससे केंद्र को यह अधिकार मिल जाएंगे कि वह किसी भी व्यक्ति का नाम आतंकी के तौर पर जोड़ या हटा सकती है। यह प्रावधान ठीक नहीं है और हम इस संशोधन का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने साफ कहा कि वह UAPA यानी गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम ऐक्ट का विरोध नहीं कर रहे हैं। व्यक्ति से ही कोई भी संस्था बनती है: शाह पी चिदंबरम के सवाल का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, 'चिदंबरम जी ने कहा कि संस्था तो व्यक्ति से बनती है, जब संस्था को आतंकवादी घोषित क्या जा सकता है, तो व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने की जरूरत क्या है। मेरा तर्क भी आतंकवादी घोषित करने के लिए यही है। संस्था व्यक्ति से बनती है, इसके संविधान से नहीं बनती है। एक संस्था पर प्रतिबंध लगाते हैं, तो वह दूसरी संस्था खोल देते हैं। प्रतिबंध लगाने में सबूत इकट्ठा करने में साल गुजर जाते हैं, इस दौरान वह आतंकवाद फैलाते रहे हैं। घटनाएं करते रहते हैं।' शाह ने कहा, 'मैं चिदंबरम साहब को बताना चाहता हूं कि घटना संस्था नहीं करती, व्यक्ति करता है। कानून की कमजोरियों का फायदा उठाकर वे संस्थाओं के नाम बदलते रहते हैं। जब तक व्यक्ति को आतंकवादी घोषित नहीं करते, तब तक इस पर लगाम संभव नहीं है।' दिग्विजय VS अमित शाह NIA ने बदला तरीका, बरी हुए आरोपी: दिग्विजय इस दौरान कांग्रेस के सीनियर नेता दिग्विजय सिंह ने भी इस बिल संशोधन को लेकर सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा करने की कोशिश की। दिग्विजय ने कहा, 'यहां सवाल नीयत का है। आपकी सरकार आने के बाद समझौता ऐक्सप्रेस, मक्का मस्जिद ब्लास्ट और अजमेर ब्लास्ट में ऐसे फैसले आए हैं, जो चौंकाने वाले हैं। इन मामलों बरी हुए लोगों के खिलाफ सरकार ने अपील क्यों नहीं की?' उन्होंने कहा, 'आपने हमेशा एक धर्म के लोगों को आतंकवाद से जोड़ने की कोशिश की है, लेकिन एनआईए की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में टॉप तीन नाम कौन से हैं। पहला नाम है, लक्ष्मण राव उर्फ गणपति लेफ्ट विंग एक्स्ट्रिमिस्ट, दूसरा नाम है रामचंद्र कलंगसरा 10 लाख का इनामी, तीसरा नाम है संदीप दांगे इन पर भी 10 लाख का अवॉर्ड है। ये दोनों वॉन्टेड आरएसएस के कार्यकर्ता रहे हैं। दिग्विजय सिंह ने भोपाल से सांसद साध्वी प्रज्ञा का नाम लिए बगैर कहा, 'जो आज भी आतंकवाद के मामले में आरोपी हैं, उन्हें बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया। और वह आज लोकसभा सदस्य हैं।' NIA के तीन केस UPA के समय आई चार्जशीट: शाह कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के सवालों का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा, 'मैं दिग्विजय का गुस्सा समझ सकता हूं। अभी-अभी चुनाव हारकर आए हैं। स्वाभाविक रूप से गुस्सा निकल रहा है। (इस पर दिग्विजय ने टोका)।' शाह ने कहा कि वह सभापति के माध्यम से जवाब दे रहे हैं, और उनको सुनना पड़ेगा। शाह ने आगे कहा, दिग्विजय सिंह ने कहा कि एनआईए के तीन केस के अंदर सजा नहीं हुई। क्यों नहीं हुई, मैं बताना चाहता हैं। तीनों मामलों में राजनीतिक बदले के लिए एक धर्म विशेष को आतंकवाद से जोड़ने की कोशिश हुई। समझौता एक्सप्रेस में पहले कई आरोपी पकड़े गए। इसके बाद धर्म विशेष को निशाना बनाने के लिए समझौता एक्सप्रेस के पकड़े गए लोगों को छोड़ा गया फिर नकली मामला बनाकर समझौता एक्सप्रेस के आरोपियों को पकड़ने का काम हुआ। सवाल किया जा रहा है कि वह क्यों छूट गए। ऐसा इसलिए हुआ कि एनआईए कोई सबूत नहीं दे सकी। समझौता एक्सप्रेस की चार्जशीट 2012 में हुआ, पूरी चार्जशीट 2013 मे हुई। हमारी सरकार में तो सिर्फ बहस हुई। सारे सबूत चार्जशीट में दिए गए। कोर्ट को कोई सबूत नहीं मिले, इसलिए छूट गए। मक्का-मस्जिद की चार्जशीट भी यूपीए सरकार में दर्ज हुई थी।
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UAPA पर दिग्विजय vs शाह vs चिदंबरम
Reviewed by Fast True News
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August 02, 2019
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