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चार करोड़ फोटो देखे, चुन-चुनकर गिने बाघ

नई दिल्ली कभी देश में बात होती थी एक था टाइगर। तब हम टाइगर (बाघ) को बेहतर और सुरक्षित बसेरा देने में नाकाबिल हो रहे थे। अब हम कह रहे हैं- टाइगर जिंदा है। बाघों का आंकड़ा जारी करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका जिक्र किया। पिछले महीने जारी से हम पूरे विश्व को संदेश देने में सफल रहे कि जंगल के राजा के अस्तित्व को बचाने के लिए हम गंभीर हैं बल्कि अब इस जंग को जीत भी रहे हैं। पहली बार देश में बेहतर तरीके से बाघों की संख्या बढ़ी है। जिस तरीके से भारत ने बाघों की गिनती के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया है उसे पूरे विश्व में अब तक सबसे बेहतरीन गणना प्रक्रिया वाला सिस्टम बताया जा रहा है। बाघों की बढ़ी तादाद से पूरे विश्व में वन्य जीवन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का बड़ा संदेश गया। हालांकि यह सटीक गणना करना इतना आसान नहीं था। इस पूरी प्रक्रिया को पूरा करने में हजारों गुमनाम चेहरों ने घंटों-दुर्गम हालातों में काम किया। सूत्रों के अनुसार इस प्रयास को गिनेस बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स में भी दर्ज किया जा सकता है। क्या है कानून देश में बाघों को विलुप्तप्राय प्राणी माना गया है। वन्यजीव संरक्षण एक्ट 1972 के तहत इसके शिकार पर कड़ी सजा का प्रावधान है। इसके तहत 7 साल तक की सजा हो सकती है। इस तरह गिने कर्मियों ने देश के जंगलों में बाघ पूरे विश्व में कहीं भी बाघों की संख्या का एकदम सही आंकड़ा पेश करना नामुमकिन होता है। इसकी गिनती एक रेंज में की जाती है और उसका औसत नंबर सही आंकड़ा माना जाता है। मसलन, 2018 की गणना में भारत में इसकी तादाद 2,602 से 3,346 मानी गई और इसका औसत 2,967 माना गया। माना गया कि बाघों की संख्या इससे कम तो नहीं होगी। लेकिन इस बार इसलिए सबसे अधिक प्रामाणिक मानी जा रही है क्योंकि लगभग 2600 से अधिक अलग-अलग बाघों की तस्वीर भी ली गई है। माना जा रहा है कि असल नंबर 2,967 से ज्यादा ही होगा। इससे कम तो बिल्कुल नहीं। पूरे विश्व में अब तक ली गई बाघों की ये सबसे ज्यादा तस्वीरें हैं। 50 हजार फॉरेस्ट रेंजर्स जुटे काम में देश में हर चाल सालों में बाघों की गिनती की जाती है। इसकी गिनती चार चरणों में पूरी की जाती है। इसमें बाघों की गिनती के अलावा किस इलाके में इसके बढ़ने के संकेत हैं कहां घटने के और उनके मूवमेंट संबंधी सभी बातों को भी ट्रैक किया जाता है। इस बार गिनती के दौरान करीब 4 लाख वर्ग किलोमीटर जंगल का सर्वे किया गया। पूरे देश में इसकी गिनती के लिए 50 हजार हजार से अधिक फॉरेस्ट रेंजर्स और दूसरे वन्य कर्मी जुटे। इन्होंने 5 लाख किलोमीटर से अधिक घने जंगलों में जाकर फील्ड वर्क को पूरा किया। करीब 26 हजार कैमरों ने 4 करोड़ तस्वीरें लीं बाघों की सटीक गिनती करने के लिए पूरे भारत में 141 लोकेशन पर करीब 26,838 कैमरे लगाए गए। ये कैमरे हर मौसम और रात में भी तस्वीर ले सकते हैं। इन कैमरों से करीब 4 करोड़ तस्वीरें ली गईं। वहां से उन्हें छांट कर और डिकोड कर टाइगर की अलग-अलग पहचान की गई। सभी तस्वीरों को सेंट्रल डेटा बेस में भेजा जाता था। जहां बैठे कर्मी सभी तस्वीरों की पहचान करते थे। हमारे फिंगरप्रिंट्स की तरह प्रत्येक बाघ के शरीर पर बनी धारियां भी अलग-अलग होती हैं। गहनता से उनकी जांच की गई। हर स्तर पर चुनौती बाघों की गिनती करने के लिए सबसे पहले उनके पैरों के निशान की तलाश की जाती है। उनके चलने के निशान के आधार पर उनके संभावित इलाकों की पहचान की जाती है। यह गिनती करने की सबसे बेसिक बात है। इस बार कैमरा ट्रैपिंग, डीएनए फिंगर प्रिटिंग तकनीक का भी इस्तेमाल हुआ। फिर उनके मल से भी उनकी पहचान इस बार की गई। अंत में सारे डेटा को मिलाकर उसकी गहन डिकोडिंग की गई। भारत में लगभग हर इलाके जैसे मैदानी, पहाड़ी और जलीय इलाकों में बाघ पाए जाते हैं। सुंदरवन जैसी जगह पर गिनती सबसे चुनौती भरा काम था। महीनों घने जंगलों में चलता रहा फील्ड स्टाफ एनबीटी ने बाघों की गिनती में शामिल एक फील्ड स्टाफ से बात की तो उसने बताया कि किस तरह सबसे पहला और कठिन माने जाने वाला फील्ड वर्क पूरा किया। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश के जंगल में वह 7 महीने तक सुबह से लेकर शाम तक घूमते रहे। सुबह 8 बजे वे जंगल निकल पड़ते थे। उन्हें मूल रूप से बाघों के पैरों के निशान और उनके मल की पहचान कर ग्राउंड वर्क पूरा करना होता था। उन्होंने बताया कि घंटों-घंटों एक ही जगह खड़ा रहकर इंतजार करना होता था कि शायद उधर से टाइगर गुजरे। फिर देर शाम आकर रिपोर्ट बनानी होती थी। जो सैंपल इकट्ठा होता था उसे जमा किया जाता था। हालांकि इस बार तकनीक के इस्तेमाल ने पूरी प्रक्रिया को बहुत पारदर्शी बनाया। फॉरेस्ट गार्ड्स को दी गई तकनीक की जानकारी पुराने ढर्रे से चल रही गिनती को पीछे छोड़ते हुए सभी फॉरेस्ट गार्ड्स को नई तकनीक की जानकारी दी गई। फील्ड वर्क पर तैनात गार्ड्स के लिए काफी अहम था। गार्ड्स के द्वारा ली गई पंजों की तस्वीरें जियो टैग्ड थीं। एक स्पेशल ऐप के जरिए उन्हें अपनी लोकेशन, डिविजन और रेंज की जानकारी भी अपलोड करनी पड़ती थी ताकि डेटा एकदम सटीक रहे। पुराने गार्ड्स के लिए तकनीक इस्तेमाल करना एक नया अनुभव रहा।


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चार करोड़ फोटो देखे, चुन-चुनकर गिने बाघ चार करोड़ फोटो देखे, चुन-चुनकर गिने बाघ Reviewed by Fast True News on August 26, 2019 Rating: 5

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