शाह ने समझाया, 370 पर फैसला एकदम सही
नई दिल्ली केंद्रीय ने लोकसभा में पुनर्गठन बिल 2019 पर चर्चा के दौरान विपक्ष को समझाने की कोशिश की कि अनुच्छेद 370 के विशेषाधिकार वाले प्रावधानों को हटाने में कुछ भी असंवैधानिक नहीं है। उन्होंने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए सिलसिलेवार तरीके से जवाब देने के क्रम में कहा कि कांग्रेस भी इसी तरीके को अपनाकर दो बार अनुच्छेद 370 में बदलाव कर चुकी है। गृह मंत्री ने बताया-संविधान के तहत ही राष्ट्रपति का आदेश गृह मंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 370-1(डी) से मिली शक्तियों के तहत ही संविधान आदेश-2019 के जरिए इस अनुच्छेद के प्रावधानों को खत्म किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार भी इसका इस्तेमाल करके अनुच्छेद 370 में दो बार संशोधन कर चुकी है। अमित शाह ने कहा कि 1952 में अनुच्छेद 370 में महाराजा की जगह सदर-ए-रियासत को शामिल किया गया और फिर 1955 में सदर-ए-रियासत की जगह गवर्नर को शामिल किया गया। पढ़ें, 'विधानसभा की पूरी ताकत संसद में निहित' कांग्रेस के इस आरोप पर कि 1952 से अब तक जब-जब नए राज्य बनाए गए हैं या किसी राज्य की सीमाओं को बदला गया है तो बिना विधानसभा के विचार-विमर्श के नहीं बदला गया है, अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की विधानसभा फिलहाल भंग है, वहां राष्ट्रपति शासन है और ऐसी स्थिति में अनुच्छेद 356 के तहत विधानसभा की पूरी ताकत संसद के दोनों सदनों में निहित है, इसलिए हम राज्य के पुनर्गठन का बिल संसद में लेकर आए हैं। पढ़िए, राष्ट्रपति को 370 को सीज करने का अधिकार: शाह विपक्ष के इस तर्क पर कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की अनुशंसा के बिना अनुच्छेद 370 से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती पर जवाब में अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 367 और 370 (1) डी का उपयोग करते हुए राष्ट्रपति ने संविधान आदेश में व्यवस्था दी है कि अनुच्छेद 370 के संदर्भ में संविधान सभा को विधानसभा समझा जाए। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370( 3) के तहत राष्ट्रपति महोदय को अधिकार है कि वह 370 को सीज कर सकते हैं और इसके बाद अब भारतीय संविधान के सारे अनुबंध लागू होंगे। कांग्रेस के हर सवाल पर गृह मंत्री का जवाब गृह मंत्री ने कहा कि 370 (3) में राष्ट्रपति को संविधान आदेश का अधिकार प्राप्त है। हालांकि, उन्होंने साफ किया इसमें एक शर्त है कि राष्ट्रपति महोदय तभी यह नोटिफिकेशन निकाल सकते हैं जब जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा ऐसी अनुशंसा करे, लेकिन राष्ट्रपति ने 367 और 370 (1) डी के तहत मिले अधिकार से संविधान सभा को विधानसभा से स्थानापन्न कर दिया है क्योंकि अब संविधान सभा का अस्तित्व नहीं है। शाह ने लोकसभा में पेश किया जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल इससे पहले गृह मंत्री ने संकल्प और पुनर्गठन बिल लोकसभा में पेश किया। इसमें कहा गया है, ‘भारत के राष्ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत इस सदन में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 विचार के लिए भेजा है।’ इसमें कहा गया है कि 19 दिसंबर 2018 को राष्ट्रपति की अधिघोषणा के बाद जम्मू-कश्मीर राज्य विधायिका की शक्ति इस सदन को है । यह सदन जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 को विचार के लिए स्वीकार करता है। पढ़िए, अमित शाह ने कहा, 'हम दो केंद्रशासित प्रदेश बना रहे हैं, जिसमें जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में अपनी विधायिका होगी जबकि लद्दाख बिना विधायी वाला केंद्र शासित क्षेत्र होगा। गृह मंत्री ने कहा, ‘राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे।’ इससे पहले राज्यसभा ने सोमवार को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म कर जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख को दो केंद्र शासित क्षेत्र बनाने संबंधी सरकार के दो संकल्पों को मंजूरी दे दी।
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शाह ने समझाया, 370 पर फैसला एकदम सही
Reviewed by Fast True News
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August 06, 2019
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