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क्या है आर्टिकल 35A, जिसे लेकर है हलचल

आरती सिंह, नई दिल्ली कश्मीर में चल रही हलचल को देखते हुए आर्टिकल 35A पर बहस फिर शुरू हो गई है। आर्टिकल 35A के तहत जम्मू-कश्मीर सरकार के पास राज्य के स्थायी निवासी की परिभाषा तय करने का अधिकार होता है। स्थायी नागरकि को मिलनेवाले अधिकार और विशेष सुविधाओं की परिभाषा भी आर्टिकल 35A के ही तहत तय की जा सकती है। यह कानून 1954 में राष्ट्रपति के आदेश के तहत शामिल किया गया था। इसे संसद में संविधान संशोधन के जरिए आर्टिकल 368 के तहत नहीं जोड़ा गया है। 1) के अंतर्गत 35A में यह प्रावधान भारतीय संविधान में जोड़ा गया। जम्मू-कश्मीर के लोकप्रिय नेता शेख अब्दुल्ला और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बीच 1949 में हुए समझौतों के तहत आर्टिकल 35A का विशेष प्रावधान जोड़ा गया। पढ़ें: 2) आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है। विशेष राज्य का दर्जा मिलने के कारण केंद्र सरकार की शक्तियां रक्षा, विदेश मामले और कम्युनिकेशन तक ही सीमित होती है। इस विशेष प्रावधान के कारण ही 1956 में जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान लागू किया गया। 3) जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी संबंधी नियमडोगरा नियमों के तहत 20वीं शताब्दी की शुरुआत में ही राजा हरि सिंह ने लागू किया था। जम्मू-कश्मीर 1947 तक राजशाही के अंतर्गत आता था और इंस्ट्रूमेंट ऑफ असेसन (आईओए) के तहत इसे भारत में शामिल किया गया। 4) स्थायी निवासी संबंधित कानून जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह ने 1927 और 1932 में 2 बार लागू करने की घोषणा की। डोगरा रूल के तहत लागू किए कानूनों ने राज्य के अधिकार क्षेत्रों की परिभाषा तय की। ब्रिटिश शासन के दौरान पड़ोसी राज्य पंजाब से आनेवाले शरणार्थियों को रोकना ही डोगरा रूल लागू करने की प्रमुख वजह थी। पढ़ें: 5) जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी की परिभाषा है, 'ऐसे सभी व्यक्ति जिनका जन्मप्रदेश में 1911 से पहले हुआ है। ऐसे सभी निवासी जो 10 या उससे अधिक साल से प्रदेश में बस चुके हैं और वह राज्य में वैध तरीके से अचल संपत्ति के मालिक हैं।' प्रदेश के सभी प्रवासी इनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं जो पाकिस्तान जाकर बस गए हैं, उन्हें भी राज्य का विषय माना गया। राज्य छोड़कर जानेवाले प्रवासी नागरिकों की 2 पीढ़ियों को इसके तहत शामिल किया गया। 5) इस कानून के तहत जो लोग राज्य के स्थायी नागरिक नहीं हैं उन्हें स्थायी तौर पर प्रदेश में बसने की अनुमति नहीं है। प्रदेश की सरकारी नौकरियां, स्कॉलरशिप और अचल संपत्ति की खरीद-बिक्री का अधिकार भी सिर्फ स्थायी नागरिकों को ही है। 6) जम्मू-कश्मीर का यह कानून औरतों के साथ भेदभावपूर्ण है। अगर प्रदेश की स्थायी नागरिक महिला किसी गैर-स्थायी नागरिक से विवाह करती है तो वह राज्य की ओर से मिलनेवाली सभी सुविधाओं से वंचित कर देता है। हालांकि, 2002 में हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले को बदलते हुए ऐलान किया कि प्रदेश की महिलाएं अगर गैर-स्थायी नागरिकों से विवाह करती हैं तब भी उनके सभी अधिकार विधिवत बने रहेंगे, लेकिन ऐसी महिलाओं के संतान को स्थायी नागरिक को मिलनेवाली सुविधा से वंचित रहना पड़ेगा। 7) आर्टिकल 35A पर लंबे समय से विवाद चल रहा है और 2014 में इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई। याचिका के अनुसार, यह कानून राष्ट्रपति के आदेश के द्वारा जोड़ा गया और इसे कभी संसद के सामने पेश नहीं किया गया। कश्मीरी महिलाओं ने भी इस कानून के खिलाफ अपील की और कहा कि यह उनके बच्चों को स्थायी नागरिकों को मिलनेवाले अधिकार से वंचित करता है। 8) फिलहाल इस कानून के खिलाफ दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन सरकार कानून बनाकर आर्टिकल 35A को खत्म कर सकती है। बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार और चुनाव घोषणा पत्र में भी आर्टिकल 35A को खत्म करने का ऐलान किया था। 9) प्रदेश की सभी प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियां और कद्दावर चेहरे 35A हटाने के सख्त खिलाफ हैं। इसकी प्रमुख वजह है कि 35A हटा तो मुस्लिम बहुल कश्मीर की आबादी का अनुपात बदल सरता है। कश्मीर देश का इकलौता मुस्लिम बहुल प्रदेश है। 10) पिछले 70 साल में जम्मू-कश्मीर की धार्मिक आधार पर आबादी में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। कश्मीर मुस्लिम बहुल है जबकि लद्दाख में बौद्ध अधिक संख्या में हैं और जम्मू पूरी तरह से हिंदू बहुसंख्यक आबादी का क्षेत्र है।


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क्या है आर्टिकल 35A, जिसे लेकर है हलचल क्या है आर्टिकल 35A, जिसे लेकर है हलचल Reviewed by Fast True News on August 04, 2019 Rating: 5

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